सर्वप्रथम तो सभी को होली की शुभकामनाएँ |
आने वाले समय में हम निम्न प्रत्येक बिंदु के बारे में पर्याप्त जानकारी एकत्रित कर लेख प्रकाशित करने की चेष्टा करेंगे।
In English : Achievements of the Ancient Hindus (Indians)
here --> https://sites.google.com/site/vvmpune/achievements-of-the-ancients-hindus/aa
चिकित्सा विज्ञान
क्रम | ज्ञान | प्राचीन संदर्भ | आधुनिक संदर्भ | ||
1 | प्लास्टिक सर्जरी : माथे की त्वचा द्वारा नाक की मरम्मत | सुश्रुत (4000 - 2000 ईसापूर्व ) | एक जर्मन विज्ञानी (1968 ) | ||
2 | कृत्रिम अंग | ऋग्वेद (1-116-15) | 20वीं सदी | ||
3 | गुणसूत्र | गुणाविधि - महाभारत 5500 ईसापूर्व | 1860-1910 | ||
4 | गुणसूत्रों की संख्या 23 | महाभारत -5500 BCE | 1890 A.D. | ||
5 | युग्मनज में पुरुष और स्त्री गुणसूत्रों का संयोजन | श्रीमदभागवत (4000-2000 B.C.) | 20th Century | ||
6 | कान की भोतिक रचना (Anatomy) | ऋग्वेद / भागवत | Labyrinth-McNally 1925 | ||
7 | गर्भावस्था के दूसरे महीने में भ्रूण के ह्रदय की शुरुआत | ऐतरेय उपनिषद 6000 BCश्रीमदभागवत | Robinson, 1972 | ||
8 | महिला अकेले से वंशवृद्धि प्रजनन - कुंती और माद्री :- पांडव | महाभारत 5500 BC | 20th Century | ||
9 | टेस्ट ट्यूब बेबी | ||||
10 | अ) केवल डिंब(ovum) से ही | महाभारत | Not possible yet | ||
11 | ब) केवल शुक्राणु से ही | ऋग्वेद & महाभारत | Not possible yet | ||
12 | c) डिंब व शुक्राणु दोनों से | महाभारत | Steptoe, 1979 | ||
13 | जीवन का अंतरिक्ष यात्रा में बढ़ाव | श्रीमदभागवत 1652 BC | Not yet confirmed | ||
14 | कोशिका विभाजन (3 परतों में) | श्रीमदभागवत 1652 BC | 20th Century | ||
15 | भ्रूणविज्ञान | ऐतरेय उपनिषद 6000 BC | 19th Century | ||
16 | सूक्ष्म जीव | महाभारत | 18th Century | ||
17 | पदार्थ उत्पादन प्रदत बीमारी की रोकथाम या इलाज, अल्प मात्रा में | श्रीमदभागवत (1-5-33) | Hanneman,18thCentury | ||
18 | विट्रो में भ्रूण का विकास | महाभारत | 20th Century | ||
19 | पेड़ों और पौधों में जीवन | महाभारत | Bose,19th century. | ||
20 | मस्तिष्क के 16 कार्य | ऐतरेय उपनिषद | 19-20th Century | ||
21 | नींद की परिभाषा | प्रशनोपनिषद 6000 BC , पतंजलि योगसूत्र 5000 BC | 20th Century | ||
22 | जानवर की क्लोनिंग (कत्रिम उत्पति ) | ऋग्वेद | --- | ||
23 | मनुष्य की क्लोनिंग | मृत राजा वीणा से पृथु | अभी तक नही | ||
24 | अहिरावण के शरीर के तरल पदार्थ के रक्त में कोशिकाओं से क्लोनिंग | पुराण | May 1999- Japan | ||
25 | अश्रु - वाहिनी आंख को नाक से जोडती है | Halebid,Karnataka के शिव मंदिर में एक व्यक्ति को द्वार चौखट में दर्शाया गया है | 20th century AD | ||
26 | कंबुकर्णी नली (Eustachian Tube ) आंतरिक कान को ग्रसनी (pharynx) से जोड़ती है |
|
20th century AD | ||
27 | गर्भावस्था के 5वे महीने में भ्रूण को भूख और प्यास | श्रीमदभागवत - 1652 BC | अभी तक नहीं समझा जा सका | ||
28 | मृत्यु आपान वायु पर निर्भर करती है जो गर्भावस्था के दुसरे महीने में प्रारंभ होती है | ऐतरेय उपनिषद- 6000BC | अभी तक नहीं समझा जा सका | ||
29 | भ्रूण में सोचने की क्षमता | ऐतरेय उपनिषद 7000 BC | Sept. 2009 Dr.Bruner |
भौतिक विज्ञान
क्रम | ज्ञान | प्राचीन संदर्भ | आधुनिक संदर्भ |
1 | प्रकाश का वेग | ऋग्वेद - सायण भाष्य (1400) |
19th Century |
2 | ट्रांस सेटर्न देवता संबंधी या शनिग्रह विषयक ग्रह | महाभारत (5561 B.C) | 17-19th Century |
3 | अन्य सौर प्रणाली में अंतरिक्ष यात्रा | श्रीमदभागवत (4000 B.C) | परीक्षण में |
4 | गुरुत्वाकर्षण | प्रशनोपनिषद (5761 B.C)आदि शंकराचार्य (500 B.C or 800 AD) | न्यूटन 17th Century |
5 | पराबैंगनी बैंड | Sudhumravarna (मांडूक्य उपनिषद) | - |
6 | अवरक्त बैंड (Infra-red Band) | सुलोहिता मांडूक्य उपनिषद | - |
7 | Tachyons (एक कण) प्रकाश की तुलना में तेज | Manojava (मांडूक्य उपनिषद) | Sudarshan, 1968 |
8 | परमाणु ऊर्जा | Spullingini (मांडूक्य उपनिषद) | 20th Century. |
9 | श्याम विविर (Black Holes) | Vishvaruchi (मांडूक्य उपनिषद) | 20th Century |
10 | ग्रीष्म संक्रांति में मानसून | ऋग्वेद (23720 B.C) | - |
11 | दक्षिण अमेरिका में हवाई जहाज द्वारा प्रवेश | वाल्मीकि रामायण >7300 B.C | - |
12 | पिस्को,पेरू, दक्षिण अमेरिका की खाड़ी, में स्फुरदीप्त ट्रिडेंट | वाल्मीकि रामायण | Found in 1960 A.D. |
13 | हवाई जहाज | ऋग्वेद 15000BC रामायण 7300 BC महाभारत 5561 BC समरांगण सूत्रधार (1050 A.D.) |
20th Century |
14 | रोबोट/यंत्रमानव | समरांगण सूत्रधार 1050 AD रामायण - कुम्भकर्ण 7300 BC | 20th century |
15 | परमाणु (विभाज्य) | श्रीमदभागवत (4000 B.C.) | Dalton (Indivisible)1808 A.D. |
16 | उपपरमाण्विक कण (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन) | भागवत (4000 BC)परमाणु | Divisible - Bequerel, 1897 Thomas Rutherford 1911 |
17 | क्वार्क - एक कण | परम - महान | Dr. Jain Pyarelal 1980 |
18 | ब्रह्मांड की उत्पत्ति (नासदीय सूत्र ) | ऋग्वेद (>10000 B.C.) | Gamaow, et.al (1950) Sir Bernard Lowell 1975 |
19 | परमाणु बम | महाभारत ब्रह्माश्त्र 3rd Nov.5561 B.C | 6th Aug.1945 A.D. |
20 | ध्वनि ऊर्जा पाउडर सामग्री के लिए | महाभारत (Vajrastra) | Gavreau, 1964 |
21 | पारा हवाई जहाज के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में | समरांगण सूत्रधार 1050AD | Indian Express, 20-10-1979 |
22 | उत्तरी ध्रुव | वाल्मीकि रामायण 7000BC | Piery, 1909 A.D |
23 | दक्षिणी (Antartica) | रावण वाल्मीकि रामायण >7300 BC | Piery, 1950 A.D |
24 | ब्रह्मांड में व्याप्त मौलिक तत्व | ऋग्वेद (>10000 B.C.) (अम्भ) | 20th Century (Ylem) |
25 | मौलिक तत्व की रचना (अभू नासदीय) गैसिय कण/बूंदें | ऋग्वेद (>10000 B.C) | Gammow, 1950 |
26 | जल का प्राकृतिक चक्र | ऋग्वेद & वाल्मीकि रामायण | 19th Century |
27 | विद्युत एकदिश वाह (DC) | मित्र वरुण तेज/शक्ति, अगस्त्य | 18th Century |
28 | विद्युत के द्वारा जल विश्लेषण (2H2 + O2) | प्राण वायु + उदान वायु - अगस्त्य | 19th Century |
29 | विद्युत आवरण/लेपन | अगस्त्य | 19th Century |
30 | गुब्बारे में H2 (उदान वायु) भर कर उड़ना | अगस्त्य | |
31 | वेगा 12000 ई.पू. के दौरान ध्रुवतारा बना | महाभारत (Vanaparva 230) | 20th Century |
32 | सूरज की किरणों में सात रंग | ऋग्वेद (8-72-16) | |
33 | सूर्य पर काले धब्बे | वाल्मीकि रामायण & तथा वेद >7300 | |
34 | सागर पर अस्थायी पुल | वाल्मीकि रामायण 26-30 October 7292 BC | |
35 | विषुव और संक्रांति | ऋग्वेद (10-18-1) 25000BC | |
36 | उल्का (Meteors) | "उल्का" अथर्ववेद (19-9) 7000BC | |
37 | पाइथागोरस प्रमेय (बौधायन प्रमेय) | शुल्ब सूत्र (800 BC) | पाइथागोरस , 500 BC |
38 | धूमकेतु/पुच्छलतारा | ऋग्वेद , (मुल नक्षत्र)
वाल्मीकि रामायण 7000BC
(मुल नक्षत्र)
महाभारत 5561 BC (पुरुष नक्षत्र) |
|
39 | Aldebaren (एक विशाल तारा) में मंगल ग्रह | वाल्मीकि रामायण 7000 BC | अभी तक पुनः घटित नही हुआ |
40 | Aldebaren में शनि | महाभारत 5561 BC | अभी तक पुनः घटित नही हुआ |
41 | तारों का श्वास लेना | ऋग्वेद (नासदीय सूत्र ) | Gamov, 1950 |
42 | एक तारे में ऊष्मा तथा गुरुत्व का उत्पादन | ऋग्वेद (नासदीय ) | Gamov, 1950 |
43 | स्रष्टि उत्पति का क्रम :-अंतरिक्ष, गैस, गर्मी/अग्नि , पानी, और पृथ्वी/ठोस | ऋग्वेद , तैत्तिरीय उपनिषद् | - |
44 | पृथ्वी की आयु | महाभारत , पुराण 3.456 X 10^10 years |
Salim, Jogesh Pati, 1980 10^10 years -Sir Lowell |
45 | इलेक्ट्रॉन की आयु | 1.2 x 10^15 years | - |
46 | प्रोटॉन की आयु | 1.9 x 10^25 years | 10^30 years |
47 | राशि चक्र के 12 लक्षण/चिन्ह | ऋग्वेद 23920 BCप्रशनोपनिषद 5761 BC | 400 BC |
48 | विशिष्ट गुरुत्व के अनुसार वातावरण की परतें | वाल्मीकि रामायण (Kish.8) | |
49 | माइक्रोस्कोप | महाभारत - शांति पर्व 15/26(5500 BC) | 16th Century |
50 | चश्मा (उपनेत्र) | आदि शंकराचार्य -अपरोक्ष अनुभूति 81 - कम से कम 8 वी सदी |
16th Century |
51 | ग्रहों पर अलग अलग समय के पैमाने | महाभारत /श्रीमदभागवत /व्यास जी >1600BC | 20th century. |
52 | जंग न लगने वाला लोह पदार्थ | ईसाई युग की शुरूआत | not yet done |
53 | संगीतीय पत्थर के खम्भे | 1000 AD और पूर्व | not yet done |
54 | Stationary Sun appears moving | Arya Bhatta- First century AD | 16th century Jnaneshwar 13 century AD |
55 | No land, only sea, between The Pillar of Somnath Temple & Antarctica | 10th century AD. | 20th century AD |
56 | अफ्रीका के जिराफ | कोणार्क सूर्य मंदिर में नक्काशी 10वी सदी पूर्व | 15th century AD |
57 | रंग प्रौद्योगिकी | अजांता रंग क्षीण नही होता | आधुनिक रंग क्षीण होता है |
58 | नक्काशी प्रौद्योगिकी | एलोरा में शिव मंदिर एक पहाड़ी से 2000 साल पहले नक्काशीदार बनाया गया | not done |
59 | ध्वन्यात्मक/ध्वनिप्रधान लिपि (Phonetic script) | वेद > 23000 BC | not done |
60 | सूर्यग्रहण - कारण | वेद > 23000 BC | 16th century |
61 | पूर्ण ग्रहण की समाप्ति | ऋग्वेद सौर नेत्र | Diamond ring |
62 | अरुंधति वशिस्ठ (तारों के नाम) के आगे | महाभारत 5561 BC | 2011 AD |
63 | अभिजीत (वेगा/तारे ) की फिसलन | महाभारत 5561 BC में गिरावट, 20,000 ईसा पूर्व में शुरू हुआ | recently noted when? not known. |
64 | सप्ताह प्रणाली | तैतरीय सहिंता 8357 BC | A.D. |
65 | सप्ताह नाम | तैतरीय सहिंता 8357 BC | A.D. |
66 | विभिन्न ग्रहों की दूरी | तैतरीय सहिंता 8357 BC | 16th century |
67 | नये चंद्रमा दिन का कारण | वेद > 20,000 BC | Wrong name-Moon not new |
68 | सभी ग्रहों पर ग्रहण देखा जा सकता है | वेद > 20,000 BC | 2009 AD |
69 | बुद्धि/विचार मस्तिष्क से भिन्न (Mind different from brain) | वेद > 20,000 BC | 2009 AD |
70 | मृत्यु के बाद जीवन | वेद > 20,000 BC | not sure still. |
71 | भ्रूण का स्थानांतरण | Sankarshana >5626 BC | 20th century. |
72 | Out of Earth Ambareesh [thrown (EEsh) in sky (Ambar)] | Vishwamitra >Ramayan of 7300 BC | 1956 AD. |
73 | डायनासौर की सूचना | महाभारत 5500 BC | 20th century |
74 | मन/बुद्धि(mind) की क्लोनिंग | ऋग्वेद कहता है - यह असंभव है !!! | करने का स्वप्न देख रहे है :D - मुर्ख कभी नही कर पाएंगे !! |
75 | वर्ग घन मूल आदि | यजुर्वेद - रूद्र > BC era | 16th century |
उपरोक्त संपूर्ण जानकारी डाo पद्माकर विष्णु वार्ताक (वेद विज्ञान मंडल,पूणे) द्वारा हमारे शाश्त्रों पर गहन शोध कर प्राप्त की गई है ।
तथा वे उपरोक्त पर प्रमाण सहित अनेकों पुस्तकें लिख चुके है यहाँ देखें
http://www.drpvvartak.com/
जब हमारे पूर्वज सम्पूर्ण ज्ञान पुस्तकों में समाविष्ट कर चुके थे तब विदेशी जाती अस्तित्व में ही नही थी । उस समय विदेशी धरती 1 किमी मोटी बरफ के निचे थी --referred to as the quaternary ice age.
डाo पद्माकर विष्णु वार्ताक द्वारा बनाई गई ग्रन्थ समय तालिका अवश्य देखें |
http://www.vedicbharat.com/2013/03/ancient-indian-sanskrit-texts-time-table.html
इस महान कार्य के लिए हम उनका ह्रदय से धन्यवाद करते है |
दोष अंग्रेजों द्वारा चलाई हमारी आधुनिक शिक्षण पद्धति का है जिसमे हमें यह सोचने पर मजबूर किया गया की हमारे पूर्वज आदि वासी - जंगली जीव थे, कंद मूल खाते थे । किन्तु उनके कंद मूल खाने में हमें यह नही दीखता प्रकृति प्रदत कंद मूल फल आदि में विटामिन्स, खनिज आदि भरपूर मात्र में होते है जो पकाने से नष्ट हो जाते है और पकाने की प्रक्रिया में प्रकृति का कितना नुकसान होता है ।
उन जंगलियों का ही कमाल है की आज गोरे उनकी लिखी धर्म पुस्तकों को 5-5 6-6 बार पढ़ चुके है फिर भी गूढ ज्ञान उनके भेजे में नही घुस रहा ।
भारतीय संस्कृति से सदेव राक्षसों को ईर्ष्या रही है : ऐसे किस्से हमें पुराणो आदि में मिलते रहते है । परन्तु आज हमें देखने को भी मिल रहे है | इससे पुराणों के वे किस्से स्व सिद्ध हो जाते है |
जब तक विदेशी और उनके एजेंट सत्ता में रहेंगे तब तक यही चलता रहेगा |
महान आचार्य चाणक्य ने एक बार कहा था की जब कभी कोई विदेशी व्यक्ति तुम्हारे देश अथवा राज्य पर शासन करने लगे तो सचेत हो जाओ अन्यथा उन देश की सभ्यता का पतन निश्चित है ।
हमारे ग्रन्थ रूपी ज्ञान के भंडार कई तो नष्ट किये जा चुके है, तक्षशिला तथा नालंदा विश्वविधालयों की समस्त पुस्तकें ईर्ष्या वश अग्नि की भेंट चढा दी गई तथा यवनों के आक्रमण के समय कई महीनो तक यवनों का नहाने का पानी पुस्तकों को चूल्हे में दे दे कर गर्म होता रहा |
एक बार एक अंगेज ने एक भारतीय से कहा : तुम लोगो को आता ही क्या ?
हर चीज तो हमारे देशों से इम्पोर्ट करते हो ।
भारतीय बोला : पहले तो तु हमारा शून्य, बाइनरी संख्या, परमाणु बम का आईडिया, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का आईडिया,विमान शास्त्र, योग विज्ञान और भारत से लुटा हुआ सेंकडों जहाज स्वर्ण, रजत , हीरे आदि लौटा और धो कर आ । फिर बात कर ।
मित्रों, भाइयों व बहिनों अब समय आ गया है हमें भी वेदों की और कूच करनी चाहिए |
TIME TO BACK TO VEDAS
|| सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ||
जय शंकर
मित्रों, भाइयों व बहिनों अब समय आ गया है हमें भी वेदों की और कूच करनी चाहिए | से सहमत हूँ और ये काम की श्री गनेश स्कूल की समय से करवाना जरुरी है जो की १ चुनौती भरा है...और जब तक ये काम का सुरुवात नहीं होगा तब तक यैसे अनेकौ ज्ञान मूलक बिद्या से दुर्रहेंगे जो की हिन्दू के हित में उचित नहीं है...
जवाब देंहटाएंsai kaha bhai.. fir b ham jaise jo log "five point someone" ki bakwas me time waste karte hai, vo to vedic technology me utar hi skte hai.
हटाएंek koshish mainey shuru ki hai logo ko apney dharm key barey me bataney ki ki akhir hamara dherm hi aisa dherm hai jo pura vigyan adharit hai aur ham murkh vidshi vastuo par mohit hue ja rahey hai ab tak 50 baccho ko 5 saal se 22 saal tak ko kurkure chips cold drink chudwa chuka hu ladai lambi hai
हटाएंअच्छी बात है सखा .!
हटाएंअब इन्टरनेट के माध्यम से वैचारिक क्रांति आयेगी इस देश में ..
कई साईटस है जो अच्छे कार्यों में संलग्न है तथा भारतीय पुरातन ज्ञान को प्रस्तुत कर रही है ।
Log Bhartiya upladhiyo ko Aliens ki den samajhte hai.Unhe ye manjur hai ki prachin videshiyo ne khoj ki par Bhartiyo par unhe sak hai.
जवाब देंहटाएंYe soch hame mitani hogi aur logo ko batana hoga ki ye sab aliens ne nahi par mahan Bhartiyo ne kiya hai
यदि एलियंस की देन समझते है तो कोई दिक्कत नही, मुझे पता है की कई विदेशी वैज्ञानिक श्री कृष्ण आदि को भी एलियन मानते है । क्योकि महाभारत काल में ऐसी ऐसी तकनीक के प्रमाण मिले है की विदेशियों के रोंगटे खड़े हो गये । किन्तु ध्यान देने योग्य बात यह है की एलियंस होते कोन है । एलियन का अर्थ होता है - परगृही, दूसरी दुनिया के अथवा पृथ्वी लोक से परे । तो हमारे ग्रंथों में तो सदेव कहा गया है की प्रत्येक देवता का लोक भिन्न है जैसे विष्णु लोक/वैकुण्ठ लोक ब्रह्म लोक, शिव लोक, सूर्य, चन्द्र लोक आदि । ये सब पृथ्वी लोक से परे है ।
हटाएंऔर दूसरी बात कुछ वैज्ञानिक संस्कृत को भी एलियन भाषा कहते है उनका मानना है की जिस प्रकार की उत्कर्ष भाषा ये है इससे लगता है की ना तो इसकी उत्पत्ति मनुष्य द्वारा हुई और ना ही पृथ्वी पर हुई । और दूसरी ओर हमारे ग्रन्थ भी कहते है की ये देव भाषा है और देव कहाँ है ये मैं ऊपर बता चूका हु । तो हुई ना है एलियन/ब्रह्माण्ड की भाषा ।
ब्रह्म लोक से सम्बंधित ये लेख पढ़े ।
हटाएंhttp://www.vedicbharat.com/2013/03/theory-of-relativity.html
संजय अनेजा जी ने आपकी पोस्ट पर यह कमेंट किया है........
जवाब देंहटाएं.
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"बुकमार्क कर रहा हूँ, आपके सद्प्रयासों की सफ़लता की कामना करता हूँ। वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा देंगे तो टिप्पणी करने वालों को सुविधा होगी।"
वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दिया गया है ।
हटाएंधन्यवाद..
धन्यवाद, मुझे लगा था कि वर्ड वेरिफ़िकेशन के कारण शायद दूसरों को भी अपनी राय रखने में कठिनाई आ रही होगी, इसीलिये सुज्ञजी के माध्यम से आपतक अपनी बात पहुँचाई। सुज्ञजी के साथ साथ अनुरोध मानने के लिये आपका भी धन्यवाद।
हटाएंअपने पूर्वजों की उपलब्धियाँ आने वाली पीढियों के लिये किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हों, यही महत्वपूर्ण है।
aapka swagat h srimaan.
हटाएंniceeeeeeeeeeeeeeeeee
जवाब देंहटाएंपवन कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपके इन आलेखों को ॥ भारत-भारती वैभवं ॥:पर प्रस्तुति के अधिकार प्रदान करें.
अनुज्ञा की प्रतीक्षा!!
हाँ , सुज्ञ जी अवश्य !!!
हटाएंधन्यवाद पवन कुमार जी, Aap ke lekh ko padh kar aanand aa gya
हटाएंor grav ki anubhuti ho rahi hai ......
Agar shri krishan bhagwan the to unhone mahabharat ka yudh kyu hone diya vo to sakti shaali the jab unhone geeta ka ghayan dena suru kiya arjun ko tab unhone sabhi logo ko pathar ka bana diya tha unhone aise kyu kiya vo apni sakti se korvo ke brain ko wash bhi to kar sakte the..............there are so many question which i am not able to get answer
हटाएंdusto ka vinash jaruri hai, nhi to sabi innocent log mare jayenge. yadi sri krishn ne arjun ko geeta ka gyan nhi diya hota to pandav vo yudh nhi karte or korvo k ane wale putra b vaise hi papi hote hai, prathvi par burai havi ho jati.
हटाएंthik usi prakar border par kade dusman ko nhi mara gya to, tumhare desh me gush jayenge or tumhe gulam bana lenge.
rha brain wash to ramji ne ravan ka brain karne ki kitni kosis ki par vo nhi mana, atah: dusto ka vinash hi ek matra upay hai
अति उत्तम , आपके पास शायद पुरणों का भंडार है | क्या हम आपसे संपर्क कर सकते हैं | आप मुझे lakhwinder108@gmail.com पे संपर्क कर सकते हैं |
जवाब देंहटाएंha jarur.
हटाएंancient.india.tech@gmail.com
Shree man ji kya mai esko apne facebook se share kar sakta
जवाब देंहटाएंha mitra aavashya.!. aap is site se jo chahe share ya copy kar skte hai... :)
हटाएंjay bharat ... sir muje aj hi iski link apne dost ke dwara mili he...
जवाब देंहटाएंham logo ne kuchh yojna banayi he chaina market ko khatam kar
apne bhaiyo ko rojgar muhhaya karana or har taluka me ek gaushaala suru karna ...
apke sujav ka intjar rahega prabhu ji ...
vandematram
कृपया और भी लेख जल्दी प्रकाशित करें
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