अंतिम प्रभा का है हमारा विक्रमी संवत यहाँ, है किन्तु औरों का उदय इतना पुराना भी कहाँ ?
ईसा,मुहम्मद आदि का जग में न था तब भी पता, कब की हमारी सभ्यता है, कौन सकता है बता? -मैथिलिशरण गुप्त

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

गरूत्वाकर्षण की खोज {Bhaskaracharya's Gravity}

गरूत्वाकर्षण की खोज का श्रेय न्यूटन (25 दिसम्बर 1642 – 20 मार्च 1726) को दिया जाता है।  माना  जाता है की सन 1666 में गरूत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने की | तो क्या गरूत्वाकर्षण  जैसी मामूली चीज़ की खोज मात्र 350 साल पहले ही हुई है? ...नहीं |

हम सभी विद्यालयों में पढ़ते हैं की न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज की थी परन्तु  मह्रिषी भाष्कराचार्य  ने
न्यूटन से लगभग 500 वर्ष पूर्व ही पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था |
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। इनका जन्म 1114 ई0 में  हुआ था। भास्कराचार्य उज्जैन में स्थित वेधशाला के प्रमुख थे। यह वेधशाला प्राचीन भारत में गणित और खगोल शास्त्र का अग्रणी केंद्र था। जब इन्होंने "सिद्धान्त शिरोमणि" नामक ग्रन्थ लिखा तब वें मात्र 36 वर्ष के थे। "सिद्धान्त शिरोमणि" एक विशाल ग्रन्थ है (पढने हेतु यहाँ क्लिक करें ) जिसके चार भाग हैं  (1) लीलावती (2) बीजगणित (3) गोलाध्याय और (4) ग्रह गणिताध्याय।

लीलावती भास्कराचार्य की पुत्री का नाम था। अपनी पुत्री के नाम पर ही उन्होंने पुस्तक का नाम लीलावती रखा। यह पुस्तक पिता-पुत्री संवाद के रूप में लिखी गयी है। लीलावती में बड़े ही सरल और काव्यात्मक तरीके से गणित और खगोल शास्त्र के सूत्रों को समझाया गया है।


 भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
"मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो,विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।"
सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
आगे कहते हैं-
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं। ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण भी उपलब्ध हैं !

तथा इसके अतिरिक एक और बात में जोड़ना चाहूँगा की निश्चित रूप से गरूत्वाकर्षण की खोज हजारों वर्षों पूर्व ही की जा चुकी थी जैसा की हमने इस ब्लॉग में महर्षि भारद्वाज रचित 'विमान शास्त्र ' के बारे में बताया था । विमान शास्त्र की रचना करने वाले वैज्ञानिक को गरूत्वाकर्षण के सिद्धांत के बारे में पता न हो ये हो ही नही सकता क्योंकि किसी भी वस्तु को उड़ाने के लिए पृथ्वी  की गरूत्वाकर्षण शक्ति का विरोध करना अनिवार्य है। जब तक कोई व्यक्ति गरूत्वाकर्षण को पूरी तरह नही जान ले उसके लिए विमान शास्त्र जैसे ग्रन्थ का निर्माण करना संभव ही नही | अतएव गरूत्वाकर्षण की खोज कई हजारों वर्षो पूर्व ही की जा चुकी थी |
आधार :
http://hi.wikipedia.org/wiki/भास्कराचार्य
https://sites.google.com/site/ekatmatastotra/stotra/scientists/bhaskaracharya

19 टिप्‍पणियां:

  1. Dost
    Bhaskaracharya ne gravity ki khoj nahi ki thi asal me unhone gurutvakarshan naam diya tha aur sidhant diye the.
    mere kahane ka matlab hai ki gravity pahale se thi bas unhone logo ko uske astitva ke bare me bataya
    aur mere khyal se bhaskaracharya ne gravity ka pata nahi laga tha vo hazaro sal pahale viman ki khoj ke samay ho chuka hoga

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सिद्धांत तभी दिए जाते है भाई जब उस वस्तु के बारे में जान लिया जाये :)
      और दूसरा आपने कहा की उन्होंने लोगो को उसके अस्तित्व के बारे में बताया तो वो खोज करने से पृथक थोड़ी हुआ |
      और तीसरा भास्कराचार्य से पूर्व ही गरूत्वाकर्षण की जानकारी भारतीय वैज्ञानिको को थी ये सही है अन्यथा विमानशास्त्र की रचना करने वाले भारद्वाज जी को क्या ये पता नही होगा की विमान को उड़ने के लिए पृथ्वी के गरूत्वाकर्षण का विरोध करना होगा।
      मेने उपर पोस्ट में अंतिम लाइने यही लिखी है

      हटाएं
    2. O.K
      Vaise Aryan Invasion Theory par Post nahi kiya aapne ?

      हटाएं
  2. kya muje सिद्धान्त शिरोमणि book mil sakata hai padhanekeliye....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये लीजिये मित्र- सिद्धान्त शिरोमणि- पढ़िए और कुछ नया मिले तो मुझे जरुर बताइयेगा :-
      http://books.google.co.in/books?id=ZhYVbhuIFtkC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false

      हटाएं
  3. aapko ye sab information kahase meli our iska koi documentry proof aapke pass hai kya plz jarur batana...i m so interested to study about my "BHARAT"

    जवाब देंहटाएं
  4. न्यूटन के गूत्वाकर्षण नियम को सार्वभौमिक नियम बनाने में कठिनाई हो रही है ! फ्रेंच वैज्ञानिक पॉल काऊडर्क ने अपनी पुस्तक The Expansion of The Universe – p.196 में लिखा है की- तारामंडल का दुरगमन न्यूटन के सिद्धांत को तोड़ता है ! गुरुत्वाकर्षण के अनुसार तो पदार्थो को सिमित होना चाहिए, वह फैलता क्यों है?

    वस्तुतः न्यूटन को जो श्रेय मिला वह तो हमारे पितामह भीष्म को मिलना चाहिए हो Einstein से अधिक समीप हैं ! भूत पदार्थों के गुणों का वर्णन करते हुए उन्होंने युधिस्ठिर से कहा था -
    भुमिः स्थैर्यं गुरुत्वं च काठिन्यं प्र्सवात्मना, गन्धो भारश्च शक्तिश्च संघातः स्थापना धृति . महाभारत – शांति पर्व . २६१
    हे युधिष्ठिर ! स्थिरता, गुरुत्वाकर्षण, कठोरता, उत्पादकता, गंध, भार, शक्ति, संघात, स्थापना, आदि भूमि क गुण है.( भीष्म पितामह )

    न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण (बल) कोई शक्ति नहीं है बल्कि पार्थिव आकर्षण मात्र है. – Einstein
    यह गुण भूमि में ही नहीं संसार के सभी पदार्थो में है की वे अपनी तरह के सभी पदार्थो को आकर्षित करते है एवं प्रभावित करते है. इसका सबसे अच्छा विश्लेषण कई हजार वर्ष पूर्व महर्षि पतंजलि ने ” सादृश्य एवं आन्तर्य ” के सिद्धांत से कर दिया था! गुरुत्वाकर्षण सादृश्य का ही उपखंड है ! सामान गुण वाली वस्तुए परस्पर एक दुसरे को प्रभावित करती है ! उससे आन्तर्य पैदा होता है !

    “अचेतनेश्वपी, तद-यथा- लोष्ठ क्षिप्तो बाहुवेगम गत्वा नैव तिर्यग गच्छति नोर्ध्वमारोहती प्रिथिविविकारह प्रिथिविमेव गच्छति – आन्तर्यतः! तथा या एता आन्तारिक्ष्यः सूक्ष्मा आपस्तासाम विकारो धूमः ! स आकाश देवे निवाते नैव तिर्यग नवागवारोहती ! अब्विकारोपी एव गच्छति आनार्यतः ! तथा ज्योतिषों विकारो अर्चिराकाशदेशो निवाते सुप्रज्वलितो नैव तिर्यग गच्छति नावग्वारोहती! ज्योतिषों विकारो ज्योतिरेव गच्छति आन्तर्यतः ! (१/१/५०)

    चेतन अचेतन सबमें आन्तर्य सिद्धांत कार्य करता है ! मिटटी का ढेला आकाश में जितनी बाहुबल से फेका जाता है, वह उतना ऊपर चला जाता है , फिर ना वह तिरछे जाता है और ना ही ऊपर जाता है, वह पृथ्वी का विकार होने के कारण पृथ्वी में ही आ गिरता है ! इसी का नाम आन्तर्य है ! इसी प्रकार अंतरिक्ष में सुक्ष्म आपः (hydrogen) की तरह का सुक्ष्म जल तत्व ही उसका विकार धूम है ! यदि पृथ्वी में धूम होता तो वह पृथ्वी में क्यों नहीं आता ? वह आकाश में जहाँ हवा का प्रभाव नहीं, वहां चला जाता है- ना तिरछे जाता है ना निचे ही आता है ! इसी प्रकार ज्योति का विकार “अर्चि” है ! वह भी ना निचे आता है ना तिरछे जाता है ! फिर वह कहा जाता है ? ज्योति का विकार ज्योति को ही जाता है !”

    इस आन्तर्य के सिद्धांत से शारीर के स्थूल और सुक्ष्म सभी तत्वों का विश्लेषण कर सकते है ! इनमे सभी स्थूल द्रव्य आदि अपने-अपने क्षेत्र की ओर चले जाते है ! पर प्रत्येक क्षेत्र का अनुभव करने वाला अर्चि कहाँ जाता है ? उसे भी आन्तर्य सिद्धांत से कहीं जाना चाहिए ! उसका भी कोई ब्रह्माण्ड और ठिकाना होना चाहिए , जहाँ वह ठहर सके ! जब इस प्रकार का ध्यान किया जाता है तब एक ऐसी उपस्थिति का बोध होता है जो समय , ब्रह्माण्ड, और गति से भी परे होता है ! वह कारण चेतना ही ब्रह्म है !

    योग का उद्देश्य शरीरस्थ क्षेत्रज्ञ को उस कारण सत्ता में मिला देना है ! आन्तर्य सिद्धांत ध्यान की इसी स्थिति को सिद्ध करता है !इसीलिए इसे प्रतिगुरुत्वाकर्षण बल कहा जा सकता है, अर्थात मन को अन्य सभी विकारों का परित्याग कर केवल चेतना को चेतना से ही, प्रकाश को प्रकाश से ही मिलाने का अभ्यास करना चाहिए ! इसी से पदार्थ से परे, राग-द्वेष से परे शुद्ध-बुद्ध, निरंजन आत्मा और परमात्मा की अनुभूति की जा सकती है !

    वेदांत कहता है कि परमात्मा प्रकृति से भिन्न गुणों वाला है और वैज्ञानिक कहते है कि सक्रिय और सूक्ष्म परमाणुओं का अलग ब्रह्माण्ड है , जहाँ पदार्थ नहीं अपदार्थ कि शक्ति ही भरी है.

    साभार :- परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा “आचार्य” की पुस्तक “दृश्य जगत की अदृश्य पहेलियाँ” से संकलित ! __/\__

    http://cpdarshi.wordpress.com/2012/02/23/%E0%A4%B6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AA/

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय मित्र ,आपको इस पुनीत कार्य के लिए ह्रदय से साधुवाद .आपका प्रयास अतिसुन्दर है मित्र .मैंने आपके दिए लिंक पर सिधांत सिरोमणि को ebook format मे देखा किन्तु मित्र उसमे हिंदी अथवा इंग्लिश मे टिपण्णी उपस्थित नहीं है क्या आप कोई ऐसा लिंक बता सकते है जहा ये सटीका उपलब्ध हो ?

    जवाब देंहटाएं
  6. I wana read type of book . would u please send me link where I can read this.
    marcket me a sab book hai nhi.

    जवाब देंहटाएं
  7. apka bhut bahut dhanyawad ki apne itni achhi jankari share ki hai

    जवाब देंहटाएं
  8. Janamkundli and matrix equation mathematics key formula probability theory and rankings methods and coefficient of correlation etc ko hum janamkundli main rakh kar Apney Siddhanta ki mathematical vyakhaya kar saktey hain
    Humarey yantra mathematics key rules ko matrix equation main dikhaney ka model hain
    Inka use karkey hum mathematics ko badey hee Rochak Vishaya ki taraha sikh saktey hain
    Main NASA and isro ko challenged situations ki kaat sujhaney ki chunouti deta hoon
    Yantra vigyaan bahut badhiya hain
    Is per research honee chaiye
    Yantra vigyaan KO scientifically proved Karna chahiyey
    Bhukamp ki bhavisayavani bhee graha nakshatro ki sithi KO dekh kar pata chal jati Hai
    Bhuj earthquake and Nepal earthquake key ek jaisey graha nakshatro ki sithi dikhati hain ki sabhee theories mathematics and Jyotish results main Jo Samanta ya asamanata hain usmaey jyada fark nahee Hai

    जवाब देंहटाएं
  9. Val aghoord ko achha se samjhao thodi miss understanding hai

    जवाब देंहटाएं
  10. Agar bharat itna hi mahaan hai toh...saare aavishkaar usi samay batane chahie thhe..us samay wo kya ganna chus rahe thhe

    जवाब देंहटाएं
  11. Agar bharat itna hi mahaan hai toh...saare aavishkaar usi samay batane chahie thhe..us samay wo kya ganna chus rahe thhe

    जवाब देंहटाएं
  12. Exactly gravitational force ki theory 'Viman shastra' se pehle kisne di thi, pta h kisi ko

    जवाब देंहटाएं
  13. न्यूटन ने किस पुस्तक में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया था

    जवाब देंहटाएं
  14. Hello ser, I am very confused
    कि G का मान 6.67*10^―11 कहा से आया? इस मान को ही गुरुत्वाकर्षण नियतांक क्यों कहा गया। किस सूत्र से ये आया। कृप्या जल्दी जवाब दे?

    जवाब देंहटाएं
  15. भाई मझे प्रश्न यह पढ़ रहा है कि गरुत्वाकर्षन की खोज जब भास्कराचार्य द्वितीय ने की थी तो न्यूटन के नाम से क्यों कॉपीराइट है, किस कारण इसे भास्कराचार्य से नही जोड़ा जाता

    जवाब देंहटाएं