अंतिम प्रभा का है हमारा विक्रमी संवत यहाँ, है किन्तु औरों का उदय इतना पुराना भी कहाँ ?
ईसा,मुहम्मद आदि का जग में न था तब भी पता, कब की हमारी सभ्यता है, कौन सकता है बता? -मैथिलिशरण गुप्त

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

मिल गई भगवान श्री कृष्ण की नगरी: द्वारिका {Dwarka - Krishna 's Home Discovered}

महाभारत के समय (लगभग 7000 वर्ष पूर्व) श्री कृष्ण की जिस दवारिका नगरी का उल्लेख महाभारत ग्रन्थ, भागवत पुराण आदि में मिलता है वो नगरी गुजरात के निकट  समुद्र की गहराइयों में पाई गई है ।
महाभारत में इस नगरी के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है की श्री कृष्ण के आदेश पर देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने दवारिका समुद्र के मध्य में बसाई थी । परन्तु अब तक पुराणों में वर्णित भोगोलिक संकेतों का अनुसरण करने के पश्चात भी उस स्थान पर कोई  ऐसी नगरी नही पाई गई। इसी  कारण कई मतान्तरों में इस नगरी को काल्पनिक माना गया कहा गया की कभी ऐसी समुद्र पर स्थित नगरी थी ही नही।
किन्तु अपने वो कहावत तो सुनी ही होगी "सांच को आंच क्या ? "

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण  के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुजरात में समुद्र नारायण मंदिर के आसपास के इलाके को आज द्वारिका के नाम से जाना जाता है। काफी समय से जाने-माने शोधकर्ताओं ने यहां पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि हमने 2005 में द्वारिका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अभियान शुरू किया था। इस अभियान में हमें भारतीय नौसेना का सहयोग मिला। अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छटे पत्थर मिले और यहां हमने लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए। 
दूसरी ओर, दिल्ली इंस्टिट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च के विरासत विशेषज्ञ प्रोफेसर आनंद वर्धन ने बताया कि महाभारत काल से अब तक पुराणों, धर्मग्रंथों और शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी के प्रमाण मिले हैं।


प्रो. आनंद वर्धन ने बताया कि विष्णु पुराण में भी एक स्थान पर 'कृष्णात दुर्गम करिष्यामि' का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि भगवान कृष्ण के देह त्याग कर अपने धाम पधारने के पश्चात द्वारिका समुद्र में समा गई थी। 
डॉक्टर एस. आर. राव ने अपनी किताब 'द डिस्कवरी ऑफ द लिजेंड सिटी ऑफ द्वारिका' में लिखा है कि पौराणिक द्वारिका नगरी के अस्तित्व में होने के प्रमाण वहां मिले हैं। किताब में बताया गया है कि भारत के गुजरात स्थित पश्चिम तटीय क्षेत्र का कुछ इलाका 500 ईसा पूर्व में समुद्र में डूब गया था।  



 

5 टिप्‍पणियां:

  1. PRACHIN BHARAT YANE AK ..PROGETIHASIK HI NHI VARN ''NIHARIKA 'O' ME UNIVRSAL KI KRIVIJ SAGYAO KI AK ..LXJJK ABHIVYAKTI HAI..ESE JANANE HETU ...S..M..P..OO..R..'N...''ANTAR_DROOSHTI_YOG''..SADHHNA PADEGA....

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  2. JO YOG SADHHNE ME ''LOG'' SANKOCHH KARENGE..KYO KI ''VE..'' KISI POORVAGRAH SE GRASIT AVAM 'V..I..G..Y..A..N...''KE''...A...G..Y...A..N....''ME''..BANDHHE JO HAI

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  3. YAH JAN'NA UNKE LIYE AK PRASTUR BHAV BHI RHEGA ....AUR RAHANA BHI CHAHIYE 'KYO KI YAH JAN'NE HETU 'POONAH_MANAV_JAN'MA_..MILEGA YAH KOI GARANTI NHI ESILIYE ESI JANAM ME JANE TO BEHTAR RAHEGA

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