वाल्मीकि रामायण में मर्यादा पुरुषोतम श्री राम चन्द्र जी महाराज के पश्चात परम बलशाली वीर शिरोमणि हनुमान जी का नाम स्मरण किया जाता हैं। हनुमान जी का जब हम चित्र देखते हैं तो उसमें उन्हें एक बन्दर के रूप में चित्रित किया गया हैं जिनके पूंछ भी हैं। हमारे मन में प्रश्न भी उठते हैं की
क्या वाकई हनुमान जी बन्दर थे?
क्या वाकई में उनकी पूंछ थी ?
इस प्रश्न का उत्तर इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि अज्ञानी लोग वीर हनुमान का नाम लेकर परिहास करने का असफल प्रयास करते रहते हैं।
आईये इन प्रश्नों का उत्तर वाल्मीकि रामायण से ही प्राप्त करते हैं सर्वप्रथम “वानर” शब्द पर विचार करते हैं। सामान्य रूप से हम “वानर” शब्द से यह अभिप्रेत कर लेते हैं की वानर का अर्थ होता हैं बन्दर परन्तु अगर इस शब्द का विश्लेषण करे तो वानर शब्द का अर्थ होता हैं वन में उत्पन्न होने वाले अन्न को ग्रहण करने वाला। जैसे पर्वत अर्थात गिरि में रहने वाले और वहाँ का अन्न ग्रहण करने वाले को गिरिजन कहते हैं उसी प्रकार वन में रहने वाले को वानर कहते हैं। वानर शब्द से किसी योनि विशेष, जाति , प्रजाति अथवा उपजाति का बोध नहीं होता।
सुग्रीव, बालि आदि का जो चित्र हम देखते हैं उसमें उनकी पूंछ दिखाई देती हैं, परन्तु उनकी स्त्रियों के कोई पूंछ नहीं होती?
नर-मादा का ऐसा भेद संसार में किसी भी वर्ग में देखने को नहीं मिलता। इसलिए यह स्पष्ट होता हैं की हनुमान आदि के पूंछ होना केवल एक चित्रकार की कल्पना मात्र हैं।
किष्किन्धा कांड (3/28-32) में जब श्री रामचंद्र जी महाराज की पहली बार ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान से भेंट हुई तब दोनों में परस्पर बातचीत के पश्चात रामचंद्र जी लक्ष्मण से बोले
न अन् ऋग्वेद विनीतस्य न अ यजुर्वेद धारिणः |
न अ-साम वेद विदुषः शक्यम् एवम् विभाषितुम् || ४-३-२८
“ऋग्वेद के अध्ययन से अनभिज्ञ और यजुर्वेद का जिसको बोध नहीं हैं तथा जिसने सामवेद का अध्ययन नहीं किया है, वह व्यक्ति इस प्रकार परिष्कृत बातें नहीं कर सकता। निश्चय ही इन्होनें सम्पूर्ण व्याकरण का अनेक बार अभ्यास किया हैं, क्यूंकि इतने समय तक बोलने में इन्होनें किसी भी अशुद्ध शब्द का उच्चारण नहीं किया हैं। संस्कार संपन्न, शास्त्रीय पद्यति से उच्चारण की हुई इनकी वाणी ह्रदय को हर्षित कर देती हैं”।
सुंदर कांड (30/18,20) में जब हनुमान अशोक वाटिका में राक्षसियों के बीच में बैठी हुई सीता जी को अपना परिचय देने से पहले हनुमान जी सोचते हैं
“यदि द्विजाति (ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य) के समान परिमार्जित संस्कृत भाषा का प्रयोग करूँगा तो सीता मुझे रावण समझकर भय से संत्रस्त हो जाएगी। मेरे इस वनवासी रूप को देखकर तथा नागरिक संस्कृत को सुनकर पहले ही राक्षसों से डरी हुई यह सीता और भयभीत हो जाएगी। मुझको कामरूपी रावण समझकर भयातुर विशालाक्षी सीता कोलाहल आरंभ कर देगी। इसलिए मैं सामान्य नागरिक के समान परिमार्जित भाषा का प्रयोग करूँगा।”
इस प्रमाणों से यह सिद्ध होता हैं की हनुमान जी चारों वेद ,व्याकरण और संस्कृत सहित अनेक भाषायों के ज्ञाता भी थे।
हनुमान जी के अतिरिक्त अन्य वानर जैसे की बालि पुत्र अंगद का भी वर्णन वाल्मीकि रामायण में संसार के श्रेष्ठ महापुरुष के रूप में किष्किन्धा कांड 54/2 में हुआ हैं
हनुमान बालि पुत्र अंगद को अष्टांग बुद्धि से सम्पन्न, चार प्रकार के बल से युक्त और राजनीति के चौदह गुणों से युक्त मानते थे।
बुद्धि के यह आठ अंग हैं- सुनने की इच्छा, सुनना, सुनकर धारण करना, ऊहापोह करना, अर्थ या तात्पर्य को ठीक ठीक समझना, विज्ञान व तत्वज्ञान।
चार प्रकार के बल हैं- साम , दाम, दंड और भेद
राजनीति के चौदह गुण हैं- देशकाल का ज्ञान, दृढ़ता, कष्टसहिष्णुता, सर्वविज्ञानता, दक्षता, उत्साह, मंत्रगुप्ति, एकवाक्यता, शूरता, भक्तिज्ञान, कृतज्ञता, शरणागत वत्सलता, अधर्म के प्रति क्रोध और गंभीरता।
भला इतने गुणों से सुशोभित अंगद बन्दर कहाँ से हो सकता हैं?
अंगद की माता तारा के विषय में मरते समय किष्किन्धा कांड 16/12 में बालि ने कहा था की
“सुषेन की पुत्री यह तारा सूक्षम विषयों के निर्णय करने तथा नाना प्रकार के उत्पातों के चिन्हों को समझने में सर्वथा निपुण हैं। जिस कार्य को यह अच्छा बताए, उसे नि:संग होकर करना। तारा की किसी सम्मति का परिणाम अन्यथा नहीं होता।”
किष्किन्धा कांड (25/30) में बालि के अंतिम संस्कार के समय सुग्रीव ने आज्ञा दी – मेरे ज्येष्ठ बन्धु आर्य का संस्कार राजकीय नियन के अनुसार शास्त्र अनुकूल किया जाये।
किष्किन्धा कांड (26/10) में सुग्रीव का राजतिलक हवन और मन्त्रादि के साथ विद्वानों ने किया।
जहाँ तक जटायु का प्रश्न हैं वह गिद्ध नामक पक्षी नहीं था। जिस समय रावण सीता का अपहरण कर उसे ले जा रहा था तब जटायु को देख कर सीता ने कहाँ – हे आर्य जटायु ! यह पापी राक्षस पति रावण मुझे अनाथ की भान्ति उठाये ले जा रहा हैं सन्दर्भ-अरण्यक 49/38
जटायो पश्य मम आर्य ह्रियमाणम् अनाथ वत् |
अनेन राक्षसेद्रेण करुणम् पाप कर्मणा || ४९-३८
कथम् तत् चन्द्र संकाशम् मुखम् आसीत् मनोहरम् |
सीतया कानि च उक्तानि तस्मिन् काले द्विजोत्तम || ६८-६
यहाँ जटायु को आर्य और द्विज कहा गया हैं। यह शब्द किसी पशु-पक्षी के सम्बोधन में नहीं कहे जाते। रावण को अपना परिचय देते हुए जटायु ने कहा -मैं गृध कूट का भूतपूर्व राजा हूँ और मेरा नाम जटायु हैं सन्दर्भ -अरण्यक 50/4 (जटायुः नाम नाम्ना अहम् गृध्र राजो महाबलः | 50/4)
यह भी निश्चित हैं की पशु-पक्षी किसी राज्य का राजा नहीं हो सकते। इन प्रमाणों से यह सिद्ध होता हैं की जटायु पक्षी नहीं था अपितु एक मनुष्य था जो अपनी वृद्धावस्था में जंगल में वास कर रहा था।
जहाँ तक जाम्बवान (जामवंत) के रीछ होने का प्रश्न हैं। जब युद्ध में राम-लक्ष्मण मेघनाद के ब्रहमास्त्र से घायल हो गए थे तब
किसी को भी उस संकट से बाहर निकलने का उपाय नहीं सूझ रहा था। तब विभीषण और हनुमान जाम्बवान के पास गये तब जाम्बवान ने हनुमान को हिमालय जाकर ऋषभ नामक पर्वत और कैलाश नामक पर्वत से संजीवनी नामक औषधि लाने को कहा था। सन्दर्भ युद्ध कांड सर्ग 74/31-34
आपत काल में बुद्धिमान और विद्वान जनों से संकट का हल पूछा जाता हैं और युद्ध जैसे काल में ऐसा निर्णय किसी अत्यंत बुद्धिवान और विचारवान व्यक्ति से पूछा जाता हैं। पशु-पक्षी आदि से ऐसे संकट काल में उपाय पूछना सर्वप्रथम तो संभव ही नहीं हैं दूसरे बुद्धि से परे की बात हैं।
इन सब वर्णन और विवरणों को बुद्धि पूर्वक पढने के पश्चात कौन मान सकता हैं की हनुमान, बालि , सुग्रीव आदि विद्वान एवं बुद्धिमान मनुष्य न होकर बन्दर आदि थे।
यह केवल मात्र एक कल्पना हैं और अपने श्रेष्ठ महापुरुषों के विषय में असत्य कथन हैं।
अन्य प्रमाण ==
१- हनुमान जी की माता जी का नाम 'अंजनी' था. और पिता जी का नाम 'पवन' था. ये दोनों मनुष्य थे या बन्दर ?
यदि ये दोनों मनुष्य थे. तो क्या मनुष्यों के मनुष्य पैदा होते हैं या बन्दर ?
यदि बन्दर पैदा नहीं होते, तो विचार करें, कि जब हनुमान जी के माता पिता मनुष्य थे, तो उनका बेटा श्री हनुमान जी भी तो मनुष्य सिद्ध हुआ.
२- यदि कोई छोटा बच्चा कहीं पर भीड़ में खो जाये, तो एक बन्दर से कहो, कि वह उस बच्चे का फोटो देख कर भीड़ में से उस बच्चे को पहचान कर ले आये. अब सोचिये क्या वह बन्दर भीड़ में से बच्चे को पहचान कर ले आयेगा. यदि नहीं. तो क्या हनुमान जी सीता जी को लंका से ढूंढ कर उनकी खबर ले आये या नहीं. यदि उनकी खबर ढूंढ लाये, तो अब बताइये, बन्दर तो यह काम नहीं कर सकता.
३- आपने रामायण सीरिअल में बाली, सुग्रीव और उनकी पत्नियाँ तो देखी ही होंगी. उस सीरिअल में बाली और सुग्रीव तो बन्दर दिखाए गए.परन्तु उनकी पत्नियाँ मनुष्यों वाली स्त्रियाँ दिखाई गईं या बंदरियां दिखाईं. यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य जाति की थी. तो उनके पति भी मनुष्य होने चाहियें.
अर्थात बाली और सुग्रीव भी मनुष्य दिखने चाहिए थे. परन्तु वे दोनों बन्दर दिखाए गए.यदि वे बन्दर थे, तो सोचिये क्या मनुष्यों की स्त्रियों की शादी बंदरों के साथ होती है ? या आजकल भी कोई मनुष्य स्त्रियाँ बंदरों के साथ शादी करने को तैयार हैं ? यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य थीं, तो उनके पति = बाली और सुग्रीव भी मनुष्य ही सिद्ध हुए. और श्री हनुमान जी उनके महामंत्री थे. वे भी उसी जाति के थे. तो श्री हनुमान जी भी मनुष्य सिद्ध हुए.
४- वाल्मीकि रामायण में श्री हनुमान जी की योग्यता लिखी है, कि वे ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के विद्वान थे. तथा संस्कृत व्याकरण शास्त्र में बहुत कुशल थे. सोचिये, क्या बन्दर ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद तथा संस्कृत व्याकरण पढ़ सकता है ? यदि नहीं, तो बताइये, श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ?
५- हनुमान चालीसा के प्रारंभ में चौथे/पांचवें वाक्य में लिखा है, कि
" काँधे मूंज जनेऊ साजे, हाथ बज्र और धजा बिराजे "
अर्थात श्री हनुमान जी के कंधे पर मूंज की जनेऊ अर्थात यज्ञोपवीत सुशोभित होता था. उनके एक हाथ में वज्र (गदा) और दूसरे हाथ में ध्वज रहता था.
अब सोचिये हनुमान चालीसा बहुत लोग पढ़ते हैं. फिर भी इस बात पर ध्यान नहीं देते, कि क्या बन्दर के कंधे पर मूंज की जनेऊ हो सकती है. क्या बन्दर के एक हाथ में गदा और दूसरे हाथ में ध्वज होता है. यदि नहीं, तो श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ?
मेरा सभी महानुभावों से विनम्र अनुरोध है, कृपया गुस्सा न करें और ठंडे दिल - दिमाग से सोचें. कि वेदों के महान विद्वान, महाबलवान, ब्रह्मचारी, तपस्वी श्री हनुमान जी को बन्दर बना कर उनका अपमान न करें, और पाप के भागी न बनें.
आदित्य ब्रह्मचारी, परम बलवान, चतुर और बुद्धिमान, श्री रामचंद्र जी के परम मित्र और सहायक , वेदों और व्याकरण के पंडित, अंजनी पुत्र श्री हनुमान ..... बन्दर नहीं थे. वे वेदों के बड़े विद्वान्, बलवान, ब्रह्मचारी और तपस्वी थे.
http://www.scribd.com/doc/138085759/Hanuman-Bandar-Nahin-The
जय वीर हनुमान !
साभार -- http://www.voiceofaryas.com/history/hanuman/
http://vedicvoice.blogspot.in/2013/06/blog-post_459.html
TIME TO BACK TO VEDAS
वेदों की ओर लौटो ।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
आपकी बात सच है लेकिन वाल्मीकि रामायण में ही में ही अनेक स्थानों पर हनुमान आदि वानरों पूँछ होने का प्रमाण है और हनुमान जी का अपनी जलती पूँछ से लंका को जला देना तो सर्वविदित है
जवाब देंहटाएंदृश्यते च महाज्वालः करोति च न मे रुजम् || ५-५३-३५
शिशिरस्य इव सम्पातो लान्गूल अग्रे प्रतिष्ठितः |
35. dR^ishyate = It is conspicuous; mahaajvaalaH = with large flames; na karoti cha = not creating;rujam = paoin; me = to me; iva = as though; shishirasya samghaataH = a snow-ball; pratiSThitaH = is kept; laaNguulaagre = at the tip of my tail.
"It is conspicuous with large flames. But it is not creating any paoin to me, as if a snow-ball is kept at the tip of my tail."
अथवा तत् इदम् व्यक्तम् यत् दृष्टम् प्लवता मया || ५-५३-३६
राम प्रभावात् आश्चर्यम् पर्वतः सरिताम् पतौ |
36. athava = Or; plavataa = while jumping over; mayaa = by me; raama prabhaavaat = due to the power of Rama; aashcharyam = a surprise; dR^iSTam = was seen; parvatodadhi samgame = in a friendly alliance with a mountain and the sea; yat tat = by which; idam = this; vyaktam = is clear.
"Or, while I was jumping over the ocean, a surprise-alliance was formed with Mount Mainaka and through the mountain, with the ocean, because of Rama's power. By this, the reason of the coolness is clear."
पूँछ को आग लगाये जाने से लेकर लंका को जलाने तक अनेक बार हनुमान जी की पूँछ का उलेख आता है
कृपया मार्गदर्शन करें
mere anusar hanuman ji Neanderthal namak Manav ki upprajati ho sakti hai jo vilupt ho gayi thi
हटाएंBharat me Neanderthal Madhya aur Dakshin me rahate the aur yadi dekhe to kiskindha aadi madhya bharat ya dakshin bharat me hi aate hai
Aaki kya Raye hai ??
भाई अमन,
हटाएंNeanderthal प्रजाति में भी इतनी बुद्धि होना संभव था , मैं नही मान सकता!
हनुमान जी वेदज्ञानी थे!
आज मैं और आप जैसे लोग भी वेद को पूर्णतया समझ नही सकते तो Neanderthal किस प्रकार समझ सके होंगे?
pahali baat ki kaha likha hai ki vedo ko janne wala hi gyaani hai ??
हटाएंaaj sabut hai ki neanderthal bhi manav jaisa hi samajhdar tha
neanderthals ki gufao me jo paintings mili hai vo 3D me hai
abhi us samay 3D me painting banana sirf ek samajhdar jeev ka hi kaam ho sakta hai
sath me homo sapiens ki bhi cave paintings mili hai
home sapiens aur neanderthals dono hi baat kar sakte the
aujaro ka istemal karte the
kadpe pahante the
iske atirikt brahma dev ne vanaro ko alag se banaya tha shree ram ki madat ke liye
to ve manushya nahi ho sakte
aap sabhee ko meree ram ram mei aap logo ke jesa gyanee toa nahee par hnuman jee ke pass 8st sidhhi or nav needhi thee..
हटाएंor ye kya hai
1trh ka viseh guad...
av baat karte hanuman se agr sukushm room rakh sakte they ..
matlv wo apne sharir ko chota or bada kar sakte they. .
jisse ye savit hota ki unhe apne saror ko halka karna aata hoga ..
or koi bharee cheej hawa mei bahut adhik samay tak nahee reh saktee...
9300009180
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसंदीप जी ,
हटाएंहनुमान जी की पूछ नहीं अपितु वह आकाश में उड़ने का वायुयान था जिससे हनुमान जी ने सागर को पार किया था और हिमालय से संजीवनी बूटी भी लाये थे। रावण ने जब लंका में उनके वायुयान को आग लगा कर नष्ट करने का प्रयास किया तो अपनी वीरता से पूरी लंका पर बमवर्षा कर लंका का दहन कर दिया।
और रही बात पूंछ की तो विमान के पश्च भाग को टेल (tail) कहा जाता है
http://virtualskies.arc.nasa.gov/aeronautics/4.html
क्या ये संभव है की कोई वानर पूंछ में आग लगा कर एक पूरी नगरी जला दे ?
जिस समय हनुमान जी ने लंका पर हमला किया तब रावन का उसानगोडा नामक हवाई अड्डा नष्ट हो गया था , इसकी पुष्टि यहाँ करें :--
http://www.vedicbharat.com/2013/07/4-airports-of-king-ravana-discovered.html
http://www.indusvalleycivilization.us/hanuman-pilot.html
http://www.indusvalleycivilization.us/Vaanarottama/hanumanji/
https://sites.google.com/site/vvmpune/essay-of-dr-p-v-vartak/flying-machines-from-valmiki-ramayana
आपकी बात सच हो सकती है लेकिन वाल्मीकि रामायण में ही में ही अनेक स्थानों पर हनुमान जी की पूँछ का ही उल्लेख है अकेली लंका देहन समय में ही नहीं और भी कई स्थानों पर
हटाएंऔर अगर हनुमान जी ने विमान का उपयोग किया था तो इसका कोई उल्लेख क्यूँ नहीं है अगर रावण के पुष्पक विमान का उल्लेख है हनुमान जी के क्यूँ नहीं ? सुंदर कांड में जब हनुमान जी लंका में जाते हैं कभी विराट तो कभी लघु रूप में भी हो जाते हैं क्या यह यह रूप भी विमान का ही होते थे
संदीप जी ,
हटाएंयह निश्चित है की हनुमान जी आदि बन्दर नही थे और न ही वो सेना बंदरों की थी , बन्दर रामसेतु जैसा विशाल well engineered prototype कभी नही बना सकते थे ..
http://www.youtube.com/watch?v=FgSINZO_VuI
और वह लघु रूप से अभिप्राय छुपने से होगा क्यू की यदि सीता जी से मिलने से पूर्व रावण के सेनिकों ने यदि हनुमान जी को देख लिया तो युद्ध छिड जाता और हनुमान जी का सीता जी से मिलना संभव नही हो पता !
https://sites.google.com/site/vvmpune/essay-of-dr-p-v-vartak/ram
Par agar vo Vayuviman par baithkar aaye the to unke shrap ka kya ??
हटाएंUnhe to Yaad dilane par apne shaktiya dubara mili thi to kya unke paas Shaktiya nahi thi ?
Yadi Unke Paas Shakti nahi thi to ve Drona Parvat kaise lekar aaye kya unka viman itna bada tha ki ve pahad lekar aa sakte the ???
Aur ve shiv ke avtar the kya unme itni shaktiya nahi ki khud udkar jaaye bina viman ke sahare
अमन भाई,
हटाएंशक्तियां क्या होती है ? पराक्रम पूर्वक अपने कार्य को करना ही तो शक्ति है?
क्या कोई भी असंभव कार्य को करना शक्ति होती है ?
बिना किसी यन्त्र/युक्ति आदि के उड़ना संभव नही!
lagta hai aap kai dino se lagatar Ancient Aliens dekh rahe hai
हटाएंagar yantra aadi se hanuman udte the to bachpan me jab ve suraj ko fal samajh khane chale to ude kaise
itna chota sa balak kya viman udaye aur ye ghatna unke surya dev se shiksa lene se pahale ki hai to vedo ya yantro ka gyaan unhe kaise mil sakta hai
aur ravan ko hanuman ji ke viman ko aag lagakar kya milta ?
waise bhi ravan unke pran lene chahta tha agar vo viman me aag lagata to fir sagar paar karne se pahale hi unka viman crash ho jata
aur vedo me hanuman ji ko vrishkapi kaha gaya hai
to kya brahma ji ko bhi hanuman ji ko pahachane me galti ho gayi
aur har baat scientific nazariye se dekhi jaaye ye jaruri nahi
mahishasur admi ya bhais ka rup le sakta tha
ab vo bhais ke kapde to nahi pahanta tha
agar science sachha hota aur ishwar jhuth to kab ka log nastik ban jaate
Bhagvan koi Aam aadmi nahi the jinke paas technology thi
agar aisa hota to me stephen hawking ko bhi devta maanu
Ancient Alien dekhna kam kare aur ishwar ke gun gaan kare
भाई अमन,
हटाएंमें भी आप ही की तरह सोचता था , जब तक दयानंद जी की सत्यार्थ प्रकाश और वैदिक साहित्यों से पाला नही पड़ा था ।
में सही कहु तो आज पूरी दुनिया में इश्वर के कांसेप्ट को कोई सही नही जनता सिवाए आर्य समाज के ।
सभी यही मानते है की ईश्वर और विज्ञानं का क्या वास्ता ?
जहाँ विज्ञानं ख़तम होती है वहां से ईश्वर/अल्लाह/गॉड के कार्य चालू होते है ।
यही कारन है की वेदों को छोड़ कर दुनिया की सभी धार्मिक पुस्तकों में विज्ञानं (सत्य) विरुद्ध बाते भरी पड़ी है ।
जैसे मेने तुलसीदास की रामचरितमानस का उदहारण दिया की समुद्र देवता बाहर निकल आया ।
कुरान/बाइबिल आदि में ऐसी बातों की भरमार है ।
जबकि इश्वर और विज्ञानं एक ही है ।
ब्रह्माण्ड का सत्य विज्ञानं है इसलिए इश्वर विज्ञानं (सत्य) के विरुद्ध कुछ नही कर सकता !
यदि आप कहे की हम तो समझते है की इश्वर जो चाहे सो करे !!
तो मैं कहूँगा क्या इश्वर चोरी, अपराध , लूट कर सकता है ? अपने जैसा दूसरा बना कर खुद को मार सकता है ? रोगी हो सकता है ?
plz visit -- www.agniveer.com
ये मूर्तियां भगवान पूरी दुनिया मे एक ही रहे पहाड़ उठाना एक मनुष्य जो आंशिक बंदर है इंसान से संबंध रखता है वायुयान द्वारा हजारों टन वजन उठाना सूरज निगलना इसी युग मे प्राकृतिक सूर्य को इसी इंसान द्वारा खत्म कर दिया जाएगा और इंसान अपने द्वारा बनाई गई ऊर्जा का उपयोग अपनी जरूरत मुताबिक कर सकेगा
हटाएंमित्र पवन जी ने कहा है की हनुमान उर नहीं सकते थे संभब तह विमान से हीं लंका गए थे और लंका भी विमान से हीं जलाये होंगे | तो यहाँ पर इस बात से इंकार किया जा रहा है की हनुमान जी बचपन में सूर्य को १ फल समझ कर नहीं नीला था
जवाब देंहटाएंजुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
यानि ओ उर सकए थे तभी तो सूर्य को निगल गए. यहाँ पर ये कहना गलत होगा की बालक हनुमान विमान से जा कर सूर्य को निगल गये होंगे |
जहाँ तक पूंछा की बात हैं तो, इस बात पर गौर कीजये जब ओ उर सकते थे तो जाहिर सी बात है की लंका विमान से नहीं गए था.
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
ओ उर सकते थे तभी बिशाल समुद्र को लाँघ गए लेकिन ये अचरज की बात नहीं अपितु यूँ कहे की ये हनुमान जी के लिए कोई मायने नहीं रखता था | विमंका उपयोग किये होते तो ये चौपाई का कोई मायने नहीं रखता |
अब बचा बात लंका जाल्ने की तो यहाँ पर सोचने की बात है की लंका हनुमान जी के पूंछ में आग लगाने के कारन से जला या रावण के विमान से?? जब हनुमान उर सकते थे तो जाहिर सी बात है की हनुमान जी शत्रु के बिमान नहीं लिए होंगे, ओ भी उरने के लिए | मतलब हनुमान जी खुद सक्षम थे लंका जलने के लिए. जो की उनके पूछ में आग लगाने के कारण से हीं ये सन्दर्भ आये हैं जो बिख्यात है
|
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
दृश्यते च महाज्वालः करोति च न मे रुजम् || ५-५३-३५
शिशिरस्य इव सम्पातो लान्गूल अग्रे प्रतिष्ठितः |
दृश्यते च महाज्वालः करोति च न मे रुजम् || ५-५३-३५
शिशिरस्य इव सम्पातो लान्गूल अग्रे प्रतिष्ठितः |
और sandeep जी के कमेंट से सहमत हूँ,
"वानर" शब्द का सन्दर्भ देखा जाये तो में 'वानर' शब्द यदि वन में रहने बाले प्राणी को संबोधित करता है तो "वानर" १ नाम है. पर यदि "वानर" हनुमान को कहा गया है तो ये जाती वाचक नाम है. मै भी यही कहूंगा की पूँछ को आग लगाये जाने से लेकर लंका को जलाने तक अनेक बार हनुमान जी की पूँछ का उलेख आता है और तो और धरबाहिक रामायण में भी जब अंगद रावण को अंतिम बार समझाने गया था तब अंगद में अपने पूंछ को लम्बा कर रावण के शिंघाशन के उचाई से भी बरा कर उसपर बैठ कर रावण से वार्तालाप किया था | आगे निवदेन है कृपया मार्गदर्शन करें,
भाई जी ,
हटाएंतुलसी दास जी के श्लोक कोई प्रमाण नही..
तुलसी जी के अनुसार तो ढोल , गँवार , सूद्र ,पशु और नारी ताडन के अधिकारी है !!!
ढोल , गँवार , सूद्र , पसु नारी । सकल ताड़ना के अधिकारी ........
कोई बालक सूर्य को मुह में डाल ले , इससे बड़ी मुर्खता दूसरी नही ।
लगता है हनुमान जी नही अपितु तुलसी जी सूर्य को फल जितना समझते थे ।
सूर्य पृथ्वी से हजारों गुणा बड़ा और गर्म है !
धरबाहिक रामायण भी सत्य से कोसो दूर है ।
उसमे तो दिखाया गया है की रामजी समुद्र से तिन दिन प्रार्थना करते है और जब समुद्र रास्ता नही देता तब उसपर क्रोध करते है और समुद्र का देवता बाहर निकल आता है !
भला समुद्र देहधारी है या जल ?
जबकि असल में रामजी तिन दिन जहाँ से पुल बंधना है उस साईट का निरिक्षण करने और पुल के लिए सामान जुटाने में लगे थे ।
इसी प्रकार के गपोड़ो ने भारतीय ज्ञान विज्ञानं आदि सभी को मजाक बना कर रख दिया है !
और हमने कसम खा ली है की सत्य नही खोजेंगे
ये जरुर देखे : --
http://www.youtube.com/watch?v=FgSINZO_VuI
par yadi samudra devta hai to manav rup le hi sakta hai
हटाएंiske alawa admi yogik shaktiyo se ud sakta hai
kuch log jo khudko psuchic kahate hai ve bhi yog ka sahara lete hai apni shaktiyo ko badane ke liye
iska ek namuna ye dekhiye aur ye ek scientist ke samne hua aur usne bhi mana : www.youtube.com/watch?v=SyFdGzlloII
rahi baat bharat gyan ke video ki to vo sirf ek andaja hai
necche mera video hai tab ka jab me rishikesh gaya tha
isme ek patthar tair raha hai
iska explanation naahi in bharat gyan walo ke paas hai aur naahi kisi scientist ke paas
har ghatna scientific tarike se nahi dekhi ja sakti hai
www.youtube.com/watch?v=vvD7fKuGyA4
hanuman manav to the nahi kyuki brahma ne vanaro ko baad me banaya tha
अमन भाई वही में आप से पूछ रहा हूँ सम्रुद्र जल है या शरीर वाला ?
हटाएंआपके इस विडियो में इस पत्थर में अवश्य ही कोई भेद होगा । और जो मेने आप को लिंक दी है ये विडियो वाल्मीकि रामायण के अनुसार ही है अंदाज नही । वाल्मीकि रामायण में पत्थर के तैरने का उल्लेख नही है ।
http://www.youtube.com/watch?v=FgSINZO_VuI
आपके इस विडियो की भाषा समझ नही आई ये व्यक्ति कोई जादूगर लगता है लोगो को बुला बुला कर जादू दिखा रहा है इस विडियो में भी है
http://www.youtube.com/watch?v=wcxMwmz7waw
परन्तु इस प्रकार की योग शक्ति को में मानता हूँ
ye dekhen http://www.youtube.com/watch?v=3F3ovb2kZ9Q
निश्चय ही आपका प्रयास अतुल्निय है और आपकी साईट अद्वितीय ! किन्तु इस विषय पर मैं सहमत नहीं हूँ ! लंका कांड मैं स्पष्ट है की हनुमान जी की पूँछ मैं ही आग लगे गयी थी ! हनुमान चालीसा मैं भी तुलसीदास जी ने उनको वानर बताया है ! ऐसा नहीं है की तत्कालीन वानर , पक्षियों या अन्य को ज्ञान नहीं होता था या वो किसी विषय मे मनुष्यों से कम थे ! जटायु जैसा पक्षी तक रजा दशरथ का मित्र था ! ऐसा भी नहीं था की विभिन्न प्रजातियों मैं विवाह नहीं होता था !
जवाब देंहटाएंरावन के पुत्र मेघनाद का विवाह नागकन्या सुलोचना के साथ हुआ था तो क्या इसका अर्थ ये होगा की उसका विवाह नागिन के साथ हुआ था ? या फिर एक रक्छास एक नाग के साथ था !!!!!
उस समय का विज्ञान इतना उन्नत था की की किसी भी प्रजाति का जीव अपने आप को समय और स्थान के अनुरूप बदल सकता था ! द्वापर युग मैं अर्जुन का विवाह भी नागलोक मैं हुआ था जो की मनुष्य रूप मैं रहते थे ! अतः हनुमान जी भी वानर ही थे !
hanumaan ji kooi aur nahhi balki genetically modified SUPER HUMAN thein ,isliye ye kehna bilkul galat hai wo koi bandar nahi thein ya aisi koi cheej nahi thi sabhi logon ko bahes chod kar ye baat kuch is tarike se samajhana chahiye ki:
जवाब देंहटाएंus samay science kaafi aage thi aur
ek specific task k liye super human ki jarurat thi jo ki unhe banaya gaya
isliye jiaisa RAMAYAN ya aur kisi book mian hanumaan ji ka descripton diya gaya hai wo ekdum sahi hai bina kisi aur +/- k
hanumaan ji kooi aur nahhi balki genetically modified SUPER HUMAN thein ,isliye ye kehna bilkul galat hai wo koi bandar nahi thein ya aisi koi cheej nahi thi sabhi logon ko bahes chod kar ye baat kuch is tarike se samajhana chahiye ki:
जवाब देंहटाएंus samay science kaafi aage thi aur
ek specific task k liye super human ki jarurat thi jo ki unhe banaya gaya
isliye jiaisa RAMAYAN ya aur kisi book mian hanumaan ji ka descripton diya gaya hai wo ekdum sahi hai bina kisi aur +/- k
Ye admin sala pagaal hai ......
जवाब देंहटाएंBal rup hanuman viman par beth kar surya ko khane jayenge :)
Wo shiv ke avtar the inke pas toh itna power hona hi chahiye ki wo udd sake
Ye admin sala pagaal hai ......
जवाब देंहटाएंBal rup hanuman viman par beth kar surya ko khane jayenge :)
Wo shiv ke avtar the inke pas toh itna power hona hi chahiye ki wo udd sake
Ye admin sala pagaal hai ......
जवाब देंहटाएंBal rup hanuman viman par beth kar surya ko khane jayenge :)
Wo shiv ke avtar the inke pas toh itna power hona hi chahiye ki wo udd sake
Ancient aliens ka hi kamaal hai
जवाब देंहटाएंAman bhai hahahahha
Ancient aliens ki kya baat aa gai isme. jara batana to??
हटाएंBHAI SATYA HAI KI WO SAARE DEVTA LOG WAPAS SWARAGA CHALE GAYE THE TO ANCIENT ALIEN HUYE NA.
जवाब देंहटाएंSAARE DEVTA WAPAS APNE GRAHO PER CHALE GAYE TO HUYE NA ANCIENT ALIENS.
जवाब देंहटाएंमै आर्य समाजी नही हूँ। पर इस बात से सहमत हूँ कि विज्ञानं से विरत कोई बात नही हो सकती।
जवाब देंहटाएंहमारा मुख्य धर्म ग्रन्थ वेद भी विद+ज्ञान=विज्ञानं अर्थात विज्ञानं से अलग नही है।
मै सहमत हूँ कि हनुमान जी बन्दर नही थे।
कवियों और कथा वाचको ने ये पूंछ और सूर्य को निगलने की चर्चा की है। यह कथा वाचन कला और अतिश्योक्ति अलंकार का उपयोग हो सकता है।
पर यह सोचने की बात है कि नर तो बन्दर पर मादा मनुष्य कैसे हो सकता है।
हमे अपने विवेक से मूल कथा पर ध्यान केन्द्रित करना चहिय।
जी अच्छा लगा ये जानकर की आप सत्य का समर्थन कर रहे है।
हटाएंऔर रही बात आर्य समाजी होने की तो आर्य समाजी होने के लिए आपको कुछ विशेष नही करना होता ,
आप सत्य को मानते है वेदों को मानते है तो आप आर्य (श्रेष्ठ) है बस यही तो आर्य समाजी होना है । हमारे सभी महान ऋषि मुनि आदि आर्य ही थे
सवाल उठता है कि यदि आप उन्हें वानर जाती का नहीं मानते हैं तो हनुमानजी की पूंछ का वर्णन फिर क्यों नहीं रामायण और रामचरित मानस से हटा दिया जाता है?
जवाब देंहटाएं