जन सामान्य में हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों के बारे में ऐसी धारणा जड़ जमाकर बैठी हुई है कि वे जंगलों में रहते थे, जटाजूटधारी थे, भगवा वस्त्र पहनते थे, झोपड़ियों में रहते हुए दिन-रात ब्रह्म-चिन्तन में निमग्न रहते थे, सांसारिकता से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं रहता था।
इसी पंगु अवधारणा का एक बहुत बड़ा अनर्थकारी पहलू यह है कि हम अपने महान पूर्वजों के जीवन के उस पक्ष को एकदम भुला बैठे, जो उनके महान् वैज्ञानिक होने को न केवल उजागर करता है वरन् सप्रमाण पुष्ट भी करता है। महर्षि भरद्वाज हमारे उन प्राचीन विज्ञानवेत्ताओं में से ही एक ऐसे महान् वैज्ञानिक थे जिनका जीवन तो अति साधारण था लेकिन उनके पास लोकोपकारक विज्ञान की महान दृष्टि थी।
महर्षि भारद्वाज और कोई नही बल्कि वही ऋषि है जिन्हें त्रेता युग में भगवान श्री राम से मिलने का सोभाग्य दो बार प्राप्त हुआ । एक बार श्री राम के वनवास काल में तथा दूसरी बार श्रीलंका से लौट कर अयोध्या जाते समय। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण तथा तुलसीदास कृत रामचरितमानस में मिलता है |
तीर्थराज प्रयाग में संगम से थोड़ी दूरी पर इनका आश्रम था, जो आज भी विद्यमान है। महर्षि भरद्वाज की दो पुत्रियाँ थीं, जिनमें से एक (सम्भवत: मैत्रेयी) महर्षि याज्ञवल्क्य को ब्याही थीं और दूसरी इडविडा (इलविला) विश्रवा मुनि को |
सर्वप्रथम इस विमान शास्त्र को मिथ्या माना गया परन्तु अध्यन से चोंका
देने वाले तथ्य सामने आये जैसे विमान का जो प्रारूप तथा जिन धातुओं से विमान का निर्माण इस विमान शास्त्र में उल्लेखित है वह परिकल्पना आधुनिक विमान निर्माण पद्धति से मेल खाती है । अधिक जानकारी के लिए निम्न विडियो देखे :
एक और विडियो देखें यह है तो तेलुगु भाषा में परन्तु यदि आप न भी समझ पाए फिर भी आप विडियो तो देख ही सकते है :
अधिक जानकारी के लिए देखे:
http://www.thelivingmoon.com/47brotherthebig/03files/Vimanas_Mercury_Vortex_Technology.html
https://sites.google.com/site/ekatmatastotra/stotra/scientists/bhardwaja
http://www.bibliotecapleyades.net/vimanas/vimanas.htm#menu
http://www.hindusthangaurav.com/viman.asp
http://www.hindi.kalkion.com/article/546
http://www.savehinduism.in/stories/article/925.html
http://www.hindi.kalkion.com/article/546
गूगल किताब
इसी पंगु अवधारणा का एक बहुत बड़ा अनर्थकारी पहलू यह है कि हम अपने महान पूर्वजों के जीवन के उस पक्ष को एकदम भुला बैठे, जो उनके महान् वैज्ञानिक होने को न केवल उजागर करता है वरन् सप्रमाण पुष्ट भी करता है। महर्षि भरद्वाज हमारे उन प्राचीन विज्ञानवेत्ताओं में से ही एक ऐसे महान् वैज्ञानिक थे जिनका जीवन तो अति साधारण था लेकिन उनके पास लोकोपकारक विज्ञान की महान दृष्टि थी।
महर्षि भारद्वाज और कोई नही बल्कि वही ऋषि है जिन्हें त्रेता युग में भगवान श्री राम से मिलने का सोभाग्य दो बार प्राप्त हुआ । एक बार श्री राम के वनवास काल में तथा दूसरी बार श्रीलंका से लौट कर अयोध्या जाते समय। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण तथा तुलसीदास कृत रामचरितमानस में मिलता है |
तीर्थराज प्रयाग में संगम से थोड़ी दूरी पर इनका आश्रम था, जो आज भी विद्यमान है। महर्षि भरद्वाज की दो पुत्रियाँ थीं, जिनमें से एक (सम्भवत: मैत्रेयी) महर्षि याज्ञवल्क्य को ब्याही थीं और दूसरी इडविडा (इलविला) विश्रवा मुनि को |
महाभारत काल तथा उससे पूर्व भारतवर्ष में भी विमान विद्या का विकास हुआ था
। न केवल विमान अपितु अंतरिक्ष में स्थित नगर रचना भी हुई थी | इसके अनेक
संदर्भ प्राचीन वांग्मय में मिलते हैं । निश्चित रूप से उस समय ऐसी विद्या अस्तित्व में थी जिसके द्वारा भारहीनता (zero gravity) की स्थति उत्पन्न की जा सकती थी । यदि पृथ्वी की गरूत्वाकर्षण शक्ति का उसी मात्रा में विपरीत दिशा में प्रयोग किया जाये तो भारहीनता उत्पन्न कर पाना संभव है | | ||||||
विद्या वाचस्पति पं. मधुसूदन सरस्वती
" इन्द्रविजय " नामक ग्रंथ में ऋग्वेद के छत्तीसवें सूक्त प्रथम मंत्र का
अर्थ लिखते हुए कहते हैं कि ऋभुओं ने तीन पहियों वाला ऐसा रथ बनाया था जो
अंतरिक्ष में उड़ सकता था । पुराणों में विभिन्न देवी देवता , यक्ष ,
विद्याधर आदि विमानों द्वारा यात्रा करते हैं इस प्रकार के उल्लेख आते हैं ।
त्रिपुरासुर याने तीन असुर भाइयों ने अंतरिक्ष में तीन अजेय नगरों का निर्माण
किया था , जो पृथ्वी, जल, व आकाश में आ जा सकते थे और भगवान शिव ने
जिन्हें नष्ट किया । वेदों मे विमान संबंधी उल्लेख अनेक स्थलों पर मिलते हैं। ऋषि देवताओं द्वारा निर्मित तीन पहियों के ऐसे रथ का उल्लेख ऋग्वेद (मण्डल 4, सूत्र 25, 26) में मिलता है, जो अंतरिक्ष में भ्रमण करता है। ऋषिओं ने मनुष्य-योनि से देवभाव पाया था। देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों द्वारा निर्मित पक्षी की तरह उडऩे वाले त्रितल रथ, विद्युत-रथ और त्रिचक्र रथ का उल्लेख भी पाया जाता है। महाभारत में श्री कृष्ण, जरासंध आदि के विमानों का वर्णन आता है । वाल्मीकि रामायण में वर्णित ‘पुष्पक विमान’ (जो लंकापति रावण के पास था) के नाम से तो प्राय: सभी परिचित हैं। लेकिन इन सबको कपोल-कल्पित माना जाता रहा है। लगभग छह दशक पूर्व सुविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ0 वामनराव काटेकर ने अपने एक शोध-प्रबंध में पुष्पक विमान को अगस्त्य मुनि द्वारा निर्मित बतलाया था, जिसका आधार `अगस्त्य संहिता´ की एक प्राचीन पाण्डुलिपि थी। अगस्त्य के `अग्नियान´ ग्रंथ के भी सन्दर्भ अन्यत्र भी मिले हैं। इनमें विमान में प्रयुक्त विद्युत्-ऊर्जा के लिए `मित्रावरुण तेज´ का उल्लेख है। महर्षि भरद्वाज ऐसे पहले विमान-शास्त्री हैं, जिन्होंने अगस्त्य के समय के विद्युत् ज्ञान को अभिवर्द्धित किया। महर्षि भारद्वाज ने " यंत्र सर्वस्व " नामक ग्रंथ लिखा था, जिसमे सभी प्रकार के यंत्रों के बनाने तथा उन के संचालन का विस्तृत वर्णन किया। उसका एक भाग वैमानिक शास्त्र है | इस ग्रंथ के पहले प्रकरण में प्राचीन विज्ञान विषय के पच्चीस ग्रंथों की एक सूची है, जिनमें प्रमुख है अगस्त्यकृत - शक्तिसूत्र, ईश्वरकृत - सौदामिनी कला, भरद्वाजकृत - अशुबोधिनी, यंत्रसर्वसव तथा आकाश शास्त्र, शाकटायन कृत - वायुतत्त्व प्रकरण, नारदकृत - वैश्वानरतंत्र, धूम प्रकरण आदि । विमान शास्त्र की टीका लिखने वाले बोधानन्द लिखते है - निर्मथ्य तद्वेदाम्बुधिं भरद्वाजो महामुनिः । नवनीतं समुद्घृत्य यन्त्रसर्वस्वरूपकम् । प्रायच्छत् सर्वलोकानामीप्सिताज्ञर्थ लप्रदम् । तस्मिन चत्वरिंशतिकाधिकारे सम्प्रदर्शितम् ॥ नाविमानर्वैचित्र्यरचनाक्रमबोधकम् । अष्टाध्यायैर्विभजितं शताधिकरणैर्युतम । सूत्रैः पञ्चशतैर्युक्तं व्योमयानप्रधानकम् । वैमानिकाधिकरणमुक्तं भगवतास्वयम् ॥
अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत शोध मण्डल ने प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज के विशेष प्रयास किये। फलस्वरूप् जो ग्रन्थ मिले, उनके आधार पर भरद्वाज का `विमान-प्रकरण´, विमान शास्त्र प्रकाश में आया। इस ग्रन्थ का बारीकी से अध्यन करने पर आठ प्रकार के विमानों का पता चला : 1. शक्त्युद्गम - बिजली से चलने वाला। 2. भूतवाह - अग्नि, जल और वायु से चलने वाला। 3. धूमयान - गैस से चलने वाला। 4. शिखोद्गम - तेल से चलने वाला। 5. अंशुवाह - सूर्यरश्मियों से चलने वाला। 6. तारामुख - चुम्बक से चलने वाला। 7. मणिवाह - चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त मणियों से चलने वाला। 8. मरुत्सखा - केवल वायु से चलने वाला। इसी ग्रन्थ के आधार पर भारत के बम्बई निवासी शिवकर जी ने Wright brothers से 8 वर्ष पूर्व ही एक विमान का निर्माण कर लिया था । इसके बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें | |
एक और विडियो देखें यह है तो तेलुगु भाषा में परन्तु यदि आप न भी समझ पाए फिर भी आप विडियो तो देख ही सकते है :
अधिक जानकारी के लिए देखे:
http://www.thelivingmoon.com/47brotherthebig/03files/Vimanas_Mercury_Vortex_Technology.html
https://sites.google.com/site/ekatmatastotra/stotra/scientists/bhardwaja
http://www.bibliotecapleyades.net/vimanas/vimanas.htm#menu
http://www.hindusthangaurav.com/viman.asp
http://www.hindi.kalkion.com/article/546
http://www.savehinduism.in/stories/article/925.html
http://www.hindi.kalkion.com/article/546
गूगल किताब
sadhuwad
जवाब देंहटाएंdhanywad mitra..
हटाएंsaaaadhu...saaadhu....aapko....anant.saaadhuwaad.......ishwer.karein.k.aap...isi.prakaar.ye.pavitra.kaarya.karte.rahein....yadi.merey.yogya.koi.sewaa.ho.to.mujhey.prassanta.praapt.hogi......om
जवाब देंहटाएंkripya mujhe vaimanik shashtra book hindi bhasha me kaha se milegi bata do.
हटाएंnaam-Madhuresh pal
gmail id-mpalindian@gmail.com
contact number-7696447896
9729992912
http://www.mediafire.com/download/hvz2xh8aal16wzu/13133117-Vaimanika-Shastra.pdf
हटाएंhttp://www.mediafire.com/download/hvz2xh8aal16wzu/13133117-Vaimanika-Shastra.pdf
हटाएंSir, aap bahot achcha kary kar rahe hai.
जवाब देंहटाएंKya aapne padhi huyi kitaabe angreji yaa fir MARATHI pdf me mil sakti hai kya ?
Kripaya batayiye ,
Shubhechcha !
मित्र आप गूगल पर सर्च करें कुछ मराठी अनुवाद मिल सकते है और वर्तक जी कि साईट भी देखें ; ये मुख्यतः अंग्रेजी और मराठी में ही लिखा करते है
हटाएंhttps://sites.google.com/site/vvmpune/
ये साले अंग्रेज हमारे देश की सम्पत्ति को लूटने के साथ-साथ हमारे देश के बड़े-बड़े शास्त्रों को भी जला दिया।
जवाब देंहटाएंAcha kiya, socho jab gyan nahin tha inke pass tab hum intne saal the gulam then agar humara gyan in gadhon ko mil jata to harana aur muskil hota
हटाएंअब हमारी बारी है सालो को खाक करके रख देंगे
हटाएंLord Macaulay saw that indian culture is the best in the worl and english culture does not stand even close.So he conspired to remake BHARAT IN HIS OWN IMAGE HE INTRODUCED ENGLISH EDUCATION BECAUSE OF EDUCATION YOU CAN TRANSFORM THE POPULATION OF ANY NATION WITH THAT CAME ENGLISH CULTURE AND TODAY WE SEE ANYTHING RELATED TO OUR NATION PAST WITH DOUBT AND SHAME. WE MUST CHANGE THIS ATTITUDE
जवाब देंहटाएंFrom where you've got this information... please share so that i can read this too...
हटाएंwill share a pdf which is LALA LAJPATH RAI'S BOOK for indian economy and future existance......
Vaibhav Shastri
Vaibhav.shastri@imrbint.com
09977712623
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSir jo purane granth hai wo kis libraries me rakhe gaye he?
जवाब देंहटाएंआपको और और जानना है तो कृपया राजीव दीक्षित की वीडियो youtube पर देखिए !
जवाब देंहटाएंआपको और और जानना है तो कृपया राजीव दीक्षित की वीडियो youtube पर देखिए !
जवाब देंहटाएंmujhe vimaan shatra ki hard copy chahiye kaise milegi
जवाब देंहटाएंSanskrut Koi sikha sakta hi Kya hamare wed puran se hum kuch reserch karke bana sakte hi jisike pass orignal sanskrut grantha hi to muze de.. mi electronics eng hooo...soft bhi banata hooo my no is 9890324845 muze yantra shatra ka orignal sanskrut grantha milenga kya..mainee free energy wale device banaye hai..ye granth padhake muze aur knoldedge melega..Mr:nitin Pawar Pune Baramati. pawarnitina1@gmail.com
जवाब देंहटाएंVadodara ..oriental institute me ye grantha hai...
हटाएंI am completely of the opinion that our ancestors came from the outer space and probably they still live there. The greatest epics we find here could not be the result of merely a hundred or thousand years. Our ancestors worked over a longer period of time and probably they helped more and more by the process of reincarnation. Lord Krishana provided us with the Geeta and we can see that the Geeta has no scope for improvement. It looks that Lord Krishana took the help of the process of reincarnation. But it is not so that everyone could be helped by the process of reincarnation. The most of us works on the principle of untruth and untruth don't help us to remember for the following term. Those who remember all the things for all the terms don't enjoy untruth, they always enjoy truth and only truth could be remembered for ever.
जवाब देंहटाएंhame hamre bharat pe garv hai..hamare bharat me yisy kalaye aur gyan tha aur hai bhi..magar kuch hamre bharat wasi mante nahi..unko dekhkar muzi bahot pida hoti hai aur unpar daya bhi aati ahi ,samay unko satbudhi de..
जवाब देंहटाएंvery nice..........
जवाब देंहटाएंक्या आज के समय मे सरकार महृषि भरदुवाज के विमान शाष्त्र पर कोई रिसर्च कर रही है? ओर क्या वेदों में वर्णित ज्ञान पर काम कर रही है
जवाब देंहटाएंभारत सरकार वेदों और पुराणों एवम अन्य ऋषियों दुवारा रचित ग्रंथो पर काम कर रही है या नही।
जवाब देंहटाएंकृपया जानकारी से अवगत जरूर कराएं ।
,7859979912 contact me WhatsApp number
जवाब देंहटाएंमैने नवंबर महिने मे सुबह के 5 ,55 पे आसमान मे बिच के स्टार के जैशे दिखने वाली चीजे देखी जो एक सामन गति से चल रही थी,,,, मै राजस्थान के डूंगरपुर से हू,,,, जो लगभग 25 से 30 थी । मुझे अनुमान है।की धरती पे।कुछ प्राचीन लोग और प्राचीन विमान भी मौजूद है। जो दुनिया से छुप के रह्ते है । जिशे लोग एलियन कहते है।।।।।
जवाब देंहटाएंजिसकी चाल लगभग हमारे हवाईजहाज के ही बराबर थी
मुझे ऐशा लगता है। की कुछ प्राचीन बैज्ञनीक जो अपने प्रोयोगो से अपने और विमानो के आकर को विकाश, या विकशीत कर के धरती पे ही रह्ते है।जो
ये वैमानिक शास्त्र कहां से प्राप्त होगा।
जवाब देंहटाएंक्या मुझे यन्त्र सरस्वती पांडुलिपि मिल सकती है? कहाँ और कैसे विवरण दें vipin872005@gmail.com
जवाब देंहटाएं