दोस्तों आज दुनिया में धर्म की काफी वैराईटी आ गयी है । आज ईसाईयत , इस्लाम , बोद्ध, जैन तथा हिन्दू ....... आदि सभी को धर्म कहा जा रहा है यही कारण है की आज लोग धर्म के नाम पर लड़ रहे है ।
आज हम इसी की पड़ताल करेंगे और साथ में वैदिक विद्वान पं० महेंद्र पाल आर्य जी की भी सहायता लेंगे ।
धर्म का स्पष्ट शब्दों में अर्थ है :
धारण करने योग्य आचरण ।
अर्थात सही और गलत की पहचान ।
इसी कारण जब से धरती पर मनुष्य है तभी से धरती पर धर्म / ज्ञान होना आवश्यक है । अन्यथा धर्म विहीन मनुष्य पशुतुल्य है ।
ज्ञात हो लगभग १००० ईसापूर्व तक धरती पर ये सभी नही थे केवल एक सनातन धर्म ही था इसका पुख्ता प्रमाण । देखिये :
२. राजा शुद्धोधन के पुत्र जब तक सिद्धार्थ (लगभग 600 ई० पू०) थे अर्थात युवक थे तब तक धरती पर बोध/ बौधिस्ट नामक कोई भी नही था ।
उन्होंने दुनिया वालों को बौध्गामी बनाया और अगर आज तक उनका आगमन नहीं होता तो फिर बौधिस्ट कहलाने वाला कौन होता भला? बोध धर्म कहाँ होता?
“कुल इन्नी उमिर्तु अन अकुना आव्वाला मन असलम-ला ताकुनान्ना मिनल मुश्रेकिन”
-सूरा अन्याम आयत १४
अर्थात तुम कह दो सबसे पहला मैं मुसलमान हूँ, मै मुशरिको में शामिल नहीं| यानि सबसे पहले मै मुस्लमान हूँ मै शिर्क करने वालों में नहीं हूँ|
सबसे पहले हज़रत मोहम्मद साहब (570 ई०) ही सबसे पहला मुस्लमान है, यह कुरान में अल्लाह ने फ़रमाया है ।
इसी प्रकार अनेको उदाहरन मिल जायेंगे । ये सभी 'मजहब' कहलाते है । इन्ही का नाम मत है, मतान्तर है, पंथ है , रिलिजन है । ये धर्म नही हो सकते ।
अंग्रेजी के शब्द Religion का अर्थ भी मजहब है धर्म नही । किन्तु डिक्शनरी में आपको धर्म और मजहब दोनों मिलेंगे , डिक्शनरी बनाई तो इंसानों ने ही है ना !!
वास्तव में धर्म शब्द अंग्रेजी में है ही नही इसलिए उन्हें Dharma लिखना पड़ता है । ठीक उसी प्रकार जैसे योग को Yoga.
http://stephen-knapp.com/
http://www.hinduism.co.za/founder.htm
http://www.youtube.com/watch?v=OTQMcv2euKk
http://www.mahenderpalarya.com/वैदिक-संस्कृति-का-परिचय/
https://www.facebook.com/MahendraPalArya
इस लेख के माध्यम से मेरा उद्देश्य किसी की भावनाएँ आहात करने का नही अपितु सत्य की चर्चा करने का है । पसंद आये तो इस लेख/विडियो का प्रचार करें ताकि लोगो तक सत्य पहुंचे ।
TIME TO BACK TO VEDAS
वेदों की ओर लौटो ।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
आज हम इसी की पड़ताल करेंगे और साथ में वैदिक विद्वान पं० महेंद्र पाल आर्य जी की भी सहायता लेंगे ।
धर्म का स्पष्ट शब्दों में अर्थ है :
धारण करने योग्य आचरण ।
अर्थात सही और गलत की पहचान ।
इसी कारण जब से धरती पर मनुष्य है तभी से धरती पर धर्म / ज्ञान होना आवश्यक है । अन्यथा धर्म विहीन मनुष्य पशुतुल्य है ।
ज्ञात हो लगभग १००० ईसापूर्व तक धरती पर ये सभी नही थे केवल एक सनातन धर्म ही था इसका पुख्ता प्रमाण । देखिये :
१. महावीर (लगभग 600 ई० पू०) के जन्म से पूर्व जैनी नामक इस धरती पर कोई नही था ।
उन्होंने दुनिया वालों को जैनी बनाया और अगर आज तक उनका आगमन नहीं होता तो फिर जैनी कहलाने वाला कौन होता भला? जैन धर्मधर्म कहाँ होता?
इससे ये प्रश्न उठता है की आज जो लोग जैनी है उनके पूर्वज महावीर के जन्म से पूर्व किस धर्म में थे ? या धर्म विहीन थे ? और फिर स्वयं महावीर किस धर्म में पैदा हुए?
२. राजा शुद्धोधन के पुत्र जब तक सिद्धार्थ (लगभग 600 ई० पू०) थे अर्थात युवक थे तब तक धरती पर बोध/ बौधिस्ट नामक कोई भी नही था ।
उन्होंने दुनिया वालों को बौध्गामी बनाया और अगर आज तक उनका आगमन नहीं होता तो फिर बौधिस्ट कहलाने वाला कौन होता भला? बोध धर्म कहाँ होता?
इससे ये प्रश्न उठता है की आज जो लोग बोध है उनके पूर्वज बुध के जन्म से पूर्व किस धर्म में थे ? या धर्म विहीन थे ? और फिर गौतम बुद्ध किस धर्म में पैदा हुए?
३. जीसस लगभग 5 ई० पू० हुए ।
उन्होंने दुनिया वालों को ईसाई बनाया और अगर आज तक उनका आगमन नहीं होता तो फिर ईसाई कहलाने वाला कौन होता भला? ईसाई धर्म कहाँ होता?
इससे ये प्रश्न उठता है की आज जो लोग ईसाई है उनके पूर्वज जीसस के जन्म से पूर्व किस धर्म में थे ? या धर्म विहीन थे ?
और फिर स्वयं जीसस किस धर्म में पैदा हुए?
४. मुहम्मद लगभग 570 ई० में जन्मे ।
उन्होंने दुनिया वालों को मुसलमान बनाया और अगर आज तक उनका आगमन नहीं होता तो फिर मुसलमान कहलाने वाला कौन होता भला? इस्लाम धर्म कहाँ होता?
इससे ये प्रश्न उठता है की आज जो लोग मुसलमान है उनके पूर्वज मुहम्मद के जन्म से पूर्व किस धर्म में थे ? या धर्म विहीन थे ? और फिर स्वयं मुहम्मद किस धर्म में पैदा हुए?
चलते चलते ये भी बता दूँ की कई मुस्लमान ये भी कहते है की इस्लाम पहले से है सनातन है । सनातन अर्थात शाश्वत है ।
पर ये क्या ?
चलते चलते ये भी बता दूँ की कई मुस्लमान ये भी कहते है की इस्लाम पहले से है सनातन है । सनातन अर्थात शाश्वत है ।
पर ये क्या ?
قل أني أمر ت أن أكون أول من أسلم ولا تكو نن من أ لمشر كين
“कुल इन्नी उमिर्तु अन अकुना आव्वाला मन असलम-ला ताकुनान्ना मिनल मुश्रेकिन”
-सूरा अन्याम आयत १४
अर्थात तुम कह दो सबसे पहला मैं मुसलमान हूँ, मै मुशरिको में शामिल नहीं| यानि सबसे पहले मै मुस्लमान हूँ मै शिर्क करने वालों में नहीं हूँ|
सबसे पहले हज़रत मोहम्मद साहब (570 ई०) ही सबसे पहला मुस्लमान है, यह कुरान में अल्लाह ने फ़रमाया है ।
इसी प्रकार अनेको उदाहरन मिल जायेंगे । ये सभी 'मजहब' कहलाते है । इन्ही का नाम मत है, मतान्तर है, पंथ है , रिलिजन है । ये धर्म नही हो सकते ।
अंग्रेजी के शब्द Religion का अर्थ भी मजहब है धर्म नही । किन्तु डिक्शनरी में आपको धर्म और मजहब दोनों मिलेंगे , डिक्शनरी बनाई तो इंसानों ने ही है ना !!
वास्तव में धर्म शब्द अंग्रेजी में है ही नही इसलिए उन्हें Dharma लिखना पड़ता है । ठीक उसी प्रकार जैसे योग को Yoga.
http://stephen-knapp.com/
http://www.hinduism.co.za/founder.htm
धर्म केवल ईश्वर प्रदत होता है व्यक्ति विशेष द्वारा चलाया हुआ नही । क्योकि व्यक्ति विशेष द्वारा चलाया हुआ 'मत' (विचार) होता है अर्थात उस व्यक्ति को जो सही लगा वो उसने लोगो के समक्ष प्रस्तुत किया और श्रधापूर्वक अथवा बलपूर्वक अपना विचार (मत) स्वीकार करवाया।
अब यदि एक व्यक्ति निर्णय करने लग जाये क्या सही है और क्या गलत तो दुनिया में जितने व्यक्ति , उतने धर्म नही हो जायेगे ?
कल को कोई चोर कहेगा मेरा विचार तो केवल चोरी करके अपनी इच्छाएं पूरी करना है तो क्या ये मत धर्म हो गया ?
कल को कोई चोर कहेगा मेरा विचार तो केवल चोरी करके अपनी इच्छाएं पूरी करना है तो क्या ये मत धर्म हो गया ?
ईश्वरीय धर्म में ये खूबी है की ये समग्र मानव जाती के लिए है और सामान है जैसे सूर्य का प्रकाश , जल , प्रकृति प्रदत खाद्य पदार्थ आदि ईश्वर कृत है और सभी के लिए है । उसी प्रकार धर्म (धारण करने योग्य) भी सभी मानव के लिए सामान है । यही कारण है की वेदों में वसुधेव कुटुम्बकम (सारी धरती को अपना घर समझो), सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।
(सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े ।)
आदि आया है । और न ही किसी व्यक्ति विशेष/समुदाय को टारगेट किया गया है बल्कि वेद का उपदेश सभी के लिए है।
उपरोक्त मजहबो में यदि उस मजहब के जन्मदाता को हटा दिया जाये तो उस मजहब का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा । इस कारण ये अनित्य है । और जो अनित्य है वो धर्म कदापि नही हो सकता । किन्तु सनातन वैदिक (हिन्दू) धर्म में से आप कृष्ण जी को हटायें, राम जी को हटायें तो भी सनातन धर्म पर कोई असर नही पड़ेगा क्यू की वैदिक धर्म इनके जन्म से पूर्व भी था, इनके समय भी था और आज इनके पश्चात भी है अर्थात वैदिक धर्म का करता कोई भी देहधारी नही। यही नित्य है।
अब यदि कोई कहे की उपरोक्त जन्मदाता ईश्वर के ही बन्दे थे आदि आदि तो ईश्वर आदि-स्रष्टि में समग्र ज्ञान वेदों के माध्यम से दे चुके थे तो कोनसी बात की कमी रह गई थी जो बाद में अपने बन्दे भेजकर पूरी करनी पड़ी ?
जिस प्रकार हम पूर्ण ज्ञानी न होने के कारण ही पुस्तक के प्रथम संस्करण (first edition) में त्रुटियाँ छोड़ देते है तो उसे द्वितीय संस्करण (second edition) में सुधारते है क्या इसी प्रकार ईश्वर का भी ज्ञान अपूर्ण है ?
और दूसरा ये की स्रष्टि आरंभ में वसुधेव कुटुम्बकम आदि कहने वाला ईश्वर अलग अलग स्थानों पर अलग अलग समय में अपने बन्दे भेज भेज कर लोगो को समुदायों में क्यू बाँटने लग गया ? और उसके सभी बन्दे अलग अलग बाते क्यू कर रहे थे ? यदि एक ही बात की होती तो आज अलग अलग मजहब क्यू बनते ?
और तीसरा ये की यदि बन्दे भेजने ही थे तो इतनी लेट क्यू भेजे ? धरती की आयु अरबो वर्ष की हो चुके है और उपरोक्त सभी पिछले ३ ० ० ० वर्षों में ही अस्तित्व में आये है ।
http://www.vedicbharat.com/2013/04/Age-of-Universe-Vedas-Shri-Mad-Bhagwatam.html
और तीसरा ये की यदि बन्दे भेजने ही थे तो इतनी लेट क्यू भेजे ? धरती की आयु अरबो वर्ष की हो चुके है और उपरोक्त सभी पिछले ३ ० ० ० वर्षों में ही अस्तित्व में आये है ।
http://www.vedicbharat.com/2013/04/Age-of-Universe-Vedas-Shri-Mad-Bhagwatam.html
इत्यादि कारणों से स्पष्ट है की धर्म सभी के लिए एक ही है जो आदि काल से है । बाकि सभी मत है लोगो के चलाये हुए ।
शायद में ठीक से समझा नही पाया कृपया निम्न १४ मिनट का विडियो देखें :
http://www.youtube.com/watch?v=OTQMcv2euKk
http://www.mahenderpalarya.com/वैदिक-संस्कृति-का-परिचय/
https://www.facebook.com/MahendraPalArya
इस लेख के माध्यम से मेरा उद्देश्य किसी की भावनाएँ आहात करने का नही अपितु सत्य की चर्चा करने का है । पसंद आये तो इस लेख/विडियो का प्रचार करें ताकि लोगो तक सत्य पहुंचे ।
TIME TO BACK TO VEDAS
वेदों की ओर लौटो ।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
धर्म क्या है ? [जो धारण करने योग्य हो ]
जवाब देंहटाएंजैसा व्यवहार आप अपने लिए दुसरो से चाहते है वैसा ही व्यवहार आप दुसरो के साथ करे यही धर्म है , जैसे आप चाहते है की कोई आप से झूठ ना बोले, झगडा न करे तो आपको भी दुसरो से झूठ नहीं बोलना चाहिये और झगडा नहीं करना चाहिये
कोई भी काम करते समय अपनी आत्मा की आवाज सुने . अगर आत्मा की आवाज कहती है की ये काम गलत है तो उसको न करे .आत्मा की आवाज के अनुसार काम करना धर्मं हैं जैसे शराबी भी कभी ये नहीं चाहता की उसके बच्चे शराब पियें . क्योंकि शराबी की आत्मा भी कहती है की शराब पीना गलत होता है
किसी भी आदमी को हिन्दू / मुस्लिम या छोटी जाति/ बड़ी जाति या अमीर / गरीब के नजरिये से ना देखे . सिर्फ ये देखे की ये अच्छा आदमी है या बुरा आदमी
राष्ट्र धर्म (देश के प्रति कर्तव्य ) ही धर्म है
नीचे लिखे धर्म के 10 लक्षण होते हैं, जो इनको धारण करता है वो धार्मिक है
धॄति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्॥
धैर्य, क्षमा , संयम , अस्तेय ( चोरी न करना ), पवित्रता , इंद्रियों पर नियंत्रण , बुद्धि , ज्ञान, सत्य , क्रोध न करना ( There are ten characteristics of 'Dharma' - patience, forgiveness, self-control, non- stealing, purity, control of senses, intelligence, knowledge, truth, non-anger )
http://www.socialservicefromhome.com/2010/12/blog-post_22.html
mahoday apki jankari ke liye bata dein ki jain dharm mein 24 Teerthankar hote hain aur bhagwan mahaveer 24be tirthankar hain wo bhi is chobeesi ke isse pehle kitni hi chobeesi
जवाब देंहटाएंho chuki hain yani jain dharm anadinidhan hai aur baat karein vikram sambant ki to usse bhi veer nirvan sambant 470 yr. purana hai aur yadi baat karein humare desh bharat ki to
subse pracheen naam bharat hi hai jo Bhagwan rishab dev de putra bharat ke naam per pada aur jain dharm ke paryaybachi bhi jan hi lein shraman dharm, sanatan dharm app kehte hain hindu dharm to suniye hindu dharm vaishnav dharm hain jo ki sanatan dharm ki hi shakha hai. adhik jankari ke liye sampark karein 9300981884
Aur Siddharth was 28th Buddha...Buddh hi Sahi sahi Dharm batate hai...q ki saara gyan sirf Buddha ko hi prapt hota hai....
जवाब देंहटाएंBuddha banane ke liye 30 paarmita purn krni padti hai jo sansaar me koi nhi krta...
Bodhisatv jab paida hote hi 7 kadam chale the aur kaha tha samast sansaar me Agra mai hu....Tab Buddh nhi bane the...To buddh banne ke baad to koi nhi hota jo unke Aas paas ho....
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