अंतिम प्रभा का है हमारा विक्रमी संवत यहाँ, है किन्तु औरों का उदय इतना पुराना भी कहाँ ?
ईसा,मुहम्मद आदि का जग में न था तब भी पता, कब की हमारी सभ्यता है, कौन सकता है बता? -मैथिलिशरण गुप्त

गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

शिर्डी साईं बाबा /सत्य साईं बेनकाब {Shirdi sai baba Exposed !}

                                                                                                     शिर्डी साईं बाबा बेनकाब  भाग २ >>

सर्वप्रथम तो सभी को सनातन नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ  !!

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कृपया ध्यान दें :--
{प्रस्तुत लेख का मंन्तव्य साँई के प्रति आलोचना का नही बल्कि उनके प्रति स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने का है। लेख मेँ दिये गये प्रमाणोँ की पुष्टि व सत्यापन “साँई सत्चरित्र” से करेँ, जो लगभग प्रत्येक साईँ मन्दिरोँ मेँ उपलब्ध है। यहाँ पौराणिक तर्कोँ के द्वारा भी सत्य का विश्लेषण किया गया है।}

हमने बहुत मेहनत कर साँई सत्चरित्र के पुरे 1 से 51 अध्याय पढ़ तथा समझ कर इस लेख को लिखा है, विनती है  कृपया पूरा लेख  जरुर पढ़े ! धन्यवाद !


आजकल आर्यावर्त  मेँ तथाकथित भगवानोँ का एक दौर चल पड़ा है। यह संसार अंधविश्वास और तुच्छ ख्याति- सफलता के पीछे भागने वालोँ से भरा हुआ है।
“यह विश्वगुरू आर्यावर्त का पतन ही है कि आज परमेश्वर की उपासना की अपेक्षा लोग गुरूओँ, पीरोँ और कब्रोँ पर सिर पटकना ज्यादा पसन्द करते हैँ।”


आजकल सर्वत्र साँई बाबा की धूम है, कहीँ साँई चौकी, साँई संध्या और साँई पालकी मेँ मुस्लिम कव्वाल साँई भक्तोँ के साथ साँई जागरण करने मेँ लगे हैँ। मन्दिरोँ मेँ साँई की मूर्ति सनातन काल के देवी देवताओँ के साथ सजी है। मुस्लिम तान्त्रिकोँ ने भी अपने काले इल्म का आधार साँई बाबा को बना रखा है व उनकी सक्रियता सर्वत्र देखी जा सकती है। 

कोई इसे  विष्णुजी  का ,कोई शिवजी  का तथा कोई दत्तात्रेयजी  का अवतार बताता है ।


परन्तु साँई बाबा कौन थे? उनका आचरण व व्यवहार कैसा था? इन सबके लिए हमेँ निर्भर होना पड़ता है “साँई सत्चरित्र” पर!
जी हाँ ,दोस्तोँ! कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीँ जो रामायण व महाभारत का नाम न जानता हो? ये दोनोँ महाग्रन्थ क्रमशः श्रीराम और कृष्ण के उज्ज्वल चरित्र को उत्कर्षित करते हैँ, उसी प्रकार साईँ के जीवनचरित्र की एकमात्र प्रामाणिक उपलब्ध पुस्तक है- “साँईँ सत्चरित्र”
इस पुस्तक के अध्ययन से साईँ के जिस पवित्र चरित्र का अनुदर्शन होता है,
क्या आप उसे जानते हैँ?
चाहे चीलम/तम्बाकू/बीडी  पीने की बात हो, चाहे स्त्रियोँ को अपशब्द कहने की?, चाहे बातबात पर क्रोध करने की चाहे माँसाहार की बात हो, या चाहे धर्मद्रोही, देशद्रोही व इस्लामी कट्टरपन की….
इन सबकी दौड़ मेँ शायद ही कोई साँई से आगे निकल पाये। यकीन नहीँ होता न?
तो आइये चलकर देखते हैँ…


साईं के 95% से अधिक भक्तों ने "साँईँ सत्चरित्र" नही पढ़ी है, वे केवल देख देखी में इस बाबे के पीछे हो लिए!
कोई बात नही हम आपको दिखाते है सत्य क्या है। 
निम्न  प्रति साँईँ सत्चरित्र अध्याय 1 की है ! इसे ध्यान से पढ़े :---


जब इतना अधिक सम्मान दिया गया है तो इसकी जाँच भी करनी आवश्यक  है !

इसी किताब में बताया गया है की बाबा के माता  पिता, जन्म, जन्म स्थान किसी को ज्ञात नही । इस सम्बन्ध में बहुत छान बिन की गई । बाबा से व अन्य लोगो से पूछ ताछ की गई पर कोई सूत्र हाथ नही लगा ।  यथार्थ में हम लोग इस इस विषय में सर्वथा अनभिज्ञ है । 16 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम दिखाई पड़े  (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 4) । 
कोई भी निश्चयपूर्वक यह नही जनता की वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन  थे !  (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 38 )
 जिस व्यक्ति के बारे में आप सर्वथा अनभिज्ञ है और वे किस कुल में जन्मे और उनके उनके माता पिता कोन  थे - कुछ पता नही ! 
फिर उसका गौत्र कैसे लिख दिया आपने ??

पहले ही पन्ने पर झूठ  !!!................ झूठ नं 1 

इससे स्पष्ट है की मस्जिद में रहने वाले एक अनाथ साईं को जबरदस्ती प्रमोट किया गया । न की केवल सनातनी देवी देवताओं के साथ इसका नाम लिखा गया अपितु श्री गणेश, वेद माता सरस्वती तथा ब्रह्मा विष्णु महेश के तुल्य बना  दिया गया । 
जबरदस्ती महर्षि भारद्वाज के कुल में पैदा किया गया ।
अब बस आप देखते जाईये !!!



अब जरा सोचे जिसके माता पिता, कुल, प्रारंभिक शिक्षा आदि सभी पर प्रश्न चिन्ह लगा हो जो सर्वथा अनाथ हो, 16 वर्ष की आयु में इधर उधर धूमते पाया गया हो ! उसे भगवान कह देना कहाँ तक सही है ?? जबकी इसका जीवन पूर्णतया कर्मशून्य था ! इसी लेख में आप आगे देखेंगे !


A.एक और महाझूठ:--- 
बाबा 16 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम दिखाई पड़े  (साँईँ सत्चरित्र अध्याय 4) । 
निम्न प्रति साँईँ सत्चरित्र अध्याय 4 की है !


उपरोक्त में यह भी लिखा है "वह  16 वर्ष की आयु में ब्रह्मज्ञानी था व किसी लोकिक पदार्थ की इच्छा न थी, और भी बहुत बड़ाई की गई है ! "- इसे भी आगे हल करेंगे 

जब पहलेपहल बाबा  शिर्डी में आए थे तो उस समय उनकी आयु केवल 16 वर्ष की थी ! वे शिर्डी में 3 वर्ष तक रहने के पश्चात कुछ समय के लिए अंतर्धान हो गये । 
कुछ समय उपरांत वे ओरंगाबाद (निजाम  स्टेट ) में प्रकट हुए और चाँद पाटिल के बारात साथ पुनः शिर्डी पधारे । उस समय उनकी आयु 20 की थी । (अध्याय  10 )

16 वर्ष आयु में दिखे, 3 वर्ष शिर्डी में रहे 
16 +3 =19 वर्ष । 
19 वर्ष की आयु में फिर कहीं निकल गये । 
और जब बारात के साथ आए तो आयु 20 वर्ष थी ।  मतलब पुरे 1 वर्ष (365-366 दिन) गायब रहे ।  

"19 वर्ष की आयु में गायब रहे" -ये बात याद रखना भाइयों ! 

बारात के साथ किस प्रकार आये इसका वर्णन निम्न प्रकार से है :--
निम्न प्रति साँईँ सत्चरित्र अध्याय 5  की है ध्यान  से पढ़े :-- 


उपरोक्त वर्णन में 19 वर्ष के युवक को फ़क़ीर, मानव, व्यक्ति कहा गया है ! ........................झूठ नं 2 
उपरोक्त से यह भी स्पष्ट है की बाबा 19 वर्ष की आयु में चिलम पिना  सिख गया और सारी  नाटक बाजी करना भी ॥ पहले खुद पि फिर चाँद पाटिल को भी पिलाई !

वे अपनी युवावस्था में चिलम के अतिरिक्त कुछ संग्रह(इकठ्ठा)  न किया करते थे {अध्याय 48}
मस्जिद में पड़े बीड़ियाँ/तम्बाकू का सेवन किया करते थे - ऐसा तो कई जगह आया है इस पुस्तक में !

"वह  16 वर्ष की आयु में ब्रह्मज्ञानी था व किसी लोकिक पदार्थ की इच्छा न थी".................................... झूठ नं 3 

और 3 वर्ष  पश्चात (19 वर्ष आयु मेंवह ज्ञानी बालक एकदम बिगड़ गया जैसा की आप  उपर  अध्याय 5 की प्रति में देख सकते है ! चिलम जलाने और जमीन से अंगारा निकलने आदि का जो वर्णन इसमें लिखा है इससे स्पष्ट है की बाबा इन 3 वर्षों में जम  कर नशा करना सिख गया ! और सड़कछाप जादूगरी करना भी !

परन्तु इन 3 वर्षों में ऐसा क्या हुआ जो बाबे की ये हालत हुई ? इन 3 वर्षों का वर्णन इस किताब में ही नही है !
वो 16 वर्ष में तेजस्वी आदि आदि था और 19 वर्ष की आयु में बीड़ियाँ फूंकना कैसे सिख गया ?

ये सारी बात निर्भर करती है उसके -----> 3 वर्षों पर (16 वर्ष से 19 वर्ष) 


शिर्डी पहुँचने पर क्या हुआ आगे देखे {निम्न प्रति भी  साँईँ सत्चरित्र अध्याय 5 की ही है } :---
ये क्या बाबा पुनः युवक बन गये !!.........................झूठ नं 5  

एक और बात :-
म्हालसापति और वहा उपस्थित लोग एक 19-20 वर्ष के बालक का अभिनन्दन* कर रहे है ?
इसका मतलब वो बाबा से प्रभावित है, तो फिर बाबा के 16 वर्ष से 19 वर्ष का वर्णन कहाँ है ??
इस किताब में तो नही है !!
बाबा ने उन 3  वर्षों में ऐसा क्या किया की सब प्रभावित हो गये ??

जो खुल्लम खुला बिडीया फूंकता है बड़ों के सामने । चाँद पाटिल निश्चित रूप से 30-35 वर्ष का तो रहा ही होगा!
एक 19-20 वर्षीय बालक उसे बीडी देता है ! ले पि !

*यहाँ अभिनन्दन किया गया है , परन्तु अभिनन्दन का कारन नही बताया गया!
इसी प्रकार धीरे धीरे आगे भगवान बनाया गया है !


बस आगे देखते जाइये आप !!!!

निम्न प्रति भी  साँईँ सत्चरित्र अध्याय 5 की ही है  :---


ये क्या बाबा पुनः बड़े (पुरुष) हो गये..................................झूठ नं 6

ध्यान दे :- 
उपरोक्त प्रति में लिखा है श्री साईंबाबा बगीचे के लिए पानी ढो रहे है और लोग अचम्भा कर रहे है !
(अभी बाबे की आयु २ ० वर्ष ही है! ऊपर प्रति में लिखा है जब प्रथम बार उन्होंने श्री साईं बाबा को देखा  )
यदि एक २ ० वर्षीय युवक बगीचे के लिए पानी ढो रहा है तो लोग इसमें अचम्भा क्यू कर रहे है ??
कोनसी बड़ी बात है ?
ये भूमि (शिर्डी) महान  कैसे हुई? अभी तो हम स्पष्ट रूप से देखते आये  है बाबा ने कोई कमाल नही दिखाया ! 

आगे - फिर आगे पुनः छोटे हो गये !
फिर पहलवान बन गये !
20 वर्ष का युवक पहलवान की तरह रहता था  ! अर्थात सड़क पर चलते फिरते किसी को भी ललकार  लेना , बाहें चड़ा लेना आदि!
इसी पहलवानी के तहत वे एक बार पिटे भी गये :-
शिर्डी में एक पहलवान था उससे बाबा का मतभेद हो गया और दोनों में कुश्ती हुयी और बाबा हार गए(अध्याय 5 साईं सत्चरित्र )

इसी अध्याय  में आगे लिखा है (ध्यान दें)
वामन तात्या नाम के एक भक्त इन्हें नित्य प्रति दो मिट्टी  के घड़े दिया करते थे ! इन घड़ों द्वारा बाबा स्वयं ही पोधों में पानी डाला करते ! 
 वे स्वयं कुए से पानी खींचते और संध्या  समय घड़ों को नीम वृक्ष के निचे रख देते । जैसे ही रखते तो घड़े फुट जाते, क्यू की घड़े कच्चे थे !  और दुसरे दिन तात्या फिर उन्हें 2 घड़े दे देते !
यह क्रम 3 वर्षों तक चला ! (अध्याय ५)

अब बाबा की आयु हो गई है 23  वर्ष !
समझे :--
1. सबसे पहले तो तात्या किसका भक्त था ? साईं का या किसी और का !
यदि साईं का था तो क्यू ? अभी तो साईं ने कुछ करतब नही दिखाया !  तात्या क्या देख कर भक्त बना !
2 रोज के रोज घड़े टूट रहे है न ही बाबा में और न ही तात्या में अक्ल थी की, क्यू न घड़ा ठीक प्रकार से संभाल कर रखा जाये !
रोज के दो घड़े के हिसाब से तात्या ने 3 वर्षों में कितने घड़े खरीदे ?----> 2190 घड़े !

और फिर क्या बिना तपाये बनाये हुए मिटटी के कच्चे घड़ों में जल ठहर सकता है ?

इस प्रकार की उलजलूल बातों का क्या अभिप्राय है ? या इसका कोई और अर्थ भी  है जो हम समझने की अपेक्षा इस पागल को पूज रहे है ?
या ये कोई कूट भाषा (Coded language) है !



इसके आगे के अध्यायों में  सारा वर्णन 1910 से 1918 (बाबा की आयु 72 से 80) के बिच का है  उत्तरोंतर बाबा के चमत्कारों के गप्पे और केवल रुपया पैसा की बाते है,  और  लोगो ने बाबा को किस प्रकार पूजा, यह लिखा गया है !

बाबा के जीवन काल की 24 वर्ष आयु से 71 वर्ष आयु तक की घटनाये गायब है !

B. एक और झूठ :
 एक फ़क़ीर देखा जिसके सर पर एक टोपी, तन पर कफनी और पास में एक सटका  था  {अध्याय 5  }
 वे सिर पर एक साफा , कमर में एक धोती और तन ढकने के लिए एक अंगरखा धारण करते थे ! प्रारंभ से ही उनकी वेशभूषा इसी प्रकार की थी ! {अध्याय 7 }


C. 3 वर्ष बाबा ने क्या क्या किया ?

एक बार पुनः ----
16 वर्ष आयु में दिखे, 3 वर्ष शिर्डी में रहे 

16 +3 =19 वर्ष । 
19 वर्ष की आयु में फिर कहीं निकल गये । 
और जब बारात के साथ आए तो आयु 20 वर्ष थी । 
ठीक है !! इतना हम समझ चुके है !

परन्तु 16 वर्ष में प्रथम बार दिखने के पश्चात तो 3 वर्ष वे शिर्डी में ही रहे !
इन 3 (1095 दिनोंवर्षों का वर्णन इस किताब में है ही नही ! बाबा की  आयु के 16 से 19 वर्ष तक का वर्णन कहाँ है ??

ये तिन वर्ष और एक वर्ष गायब रहा :- हुए ४ वर्ष ? कहाँ तथा बाबा ४ वर्ष!?
.................................झूठ नं 6 


D.बेनामी बाबा :--- 
अब तक किसी को बाबे का नाम नही पता ! पहले युवक कहा गया फिर सीधे "साईं" कह दिया गया !

साईं शब्द का अर्थ :-- 
"साईं बाबा नाम की उत्पत्ति साईं शब्द से हुई है, जो मुसलमानों द्वारा प्रयुक्त फ़ारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है पूज्य व्यक्ति और बाबा"
यहाँ देखे :---
http://bharatdiscovery.org/india/शिरडी_साईं_बाबा
फ़ारसी एक भाषा है जो ईरानताज़िकिस्तानअफ़ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है।

अर्थात साईं नाम(संज्ञा/noun) नही है ! जिस प्रकार मंदिर में पूजा आदि करने वाले व्यक्ति को "पुजारी" कहा जाता है परन्तु पुजारी उसका नाम नही है !
यहाँ साईं भी नाम नही अपितु विशेषण (Adjective) है !
उसी प्रकार 'बाबा' शब्द  भी कोई नाम नही !!

और फिर म्हालसापति ने उन्हें सीधे "साईं" कह कर ही क्यू बुलाया ??
साईं ही क्यू??

सभी साईं बाबा ही कहते है तो फिर इसका नाम क्या है ??

चाँद मियां !!!

हम इसे फ़िलहाल साईं ही कहेंगे !


ये बालक 100 % व्यसनी/नशा करने वाला था क्यू की लावारिश था इसलिए शिक्षा आदि न पा सका !
इसी कारन ये ओछे स्वभाव वाला तथा चिड-चिडा भी था !
बात बात पर क्रोधित होना तथा स्त्रिओं को गलिया  देना इसके ओछे स्वभाव व चिडचिडेपण का प्रमाण है ! आगे देखने को मिलेगा !


सब कुछ झूठ ही झूठ है इस किताब  में ! ये किताब कम से कम 4-5 जनों ने मिलकर सोचा समझ कर लिखी है ! फिर भी हड़बड़ी में कई गलतिया रह ही गई ! या यूँ कह लो की
सत्य नही छुप सकता !!!!!!!!
झूठ पर सदेव सत्य की और बुराई पर सदेव  अच्छाई की विजय होती है ! जय श्री राम 


E.एक और बड़ा झूठ व आस्था के नाम पर धोखा:-----

लेखक  "हेमाडपंत" ने लिखा है की 1910 में मैं बाबा से मिलने मस्जिद गया ! (अध्याय १ )
मेने बाबा की पवित्र जीवन गाथा का लेखन प्रारंभ कर दिया (अध्याय २  )
 और बाबा से उनके जीवन पर किताब लिखने की अनुमति मांगी !
और मैंने महाकव्य "साईं सच्चरित्र" की रचना भी की ! अर्थात साईं सच्चरित्र की रचना सन 1910 में की !
 (अध्याय २ )
................................झूठ नं 7 

साईं सच्चरित्र की रचना हुई कम से कम उनकी मृत्यु के  15-20  वर्ष बाद  अर्थात सन 1933  से 1938   के आसपास !

कैसे पता ?? 
यहाँ देखें : 

साईं की मृत्यु के पश्चात का वर्णन :

अब कुछ भक्तों को श्री साईं बाबा के वचन याद आने लगे !
किसी ने कहा की महाराज (साईं बाबा) ने अपने भक्तों से कहा था की वे -
"भविष्य में वे आठ वर्ष के बालक के रूप में पुनः प्रकट होंगे" (अध्याय 43)

ऐसा प्रतीत होता है की इस प्रकार का प्रेम सम्बन्ध विकसित करके महाराज (श्री साईं बाबा ) दोरे पर चले गये और भक्तों को दृढ विश्वास है की वे शीघ्र ही पुनः वापिस आ जायेगे ! (अध्याय 43)


और बाबा पुनः आये भी !! पता है वो कोन  थे ? ये थे  ---> 
सत्य साईं बाबा !

ध्यान से समझे :-
साईं बाबा की मृत्यु हुई सन 1918 में !
उसके ठीक 8 वर्षों पश्चात बाबा पुनः आ गये सत्य साईं बन कर !

सत्य साईं बाबा  (जन्म: 23 नवंबर 1926 ; मृत्यु: 24 अप्रैल 2011), 

 सत्य साईं बाबा का बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। बाबा को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है।
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी गांव में एक सामान्य परिवार में 23 नवंबर 1926 को जन्मे सत्यनारायण राजू ने 20 अक्तूबर 1940 को 14 साल की उम्र में खुद को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार कहा। जब भी वह शिरडी साईं बाबा की बात करते थे तो उन्हें ‘अपना पूर्व शरीर’ कहते थे।

इससे स्पष्ट है की "सत्य साईं बाबा" उन्ही लोगो में से किसी के घर जन्मा जिन्होंने इसके जन्म से 8 वर्ष पूर्व साईं को भगवन बनाया ! चूँकि  सत्य साईं बाबेके जन्म की बात  साईं सच्चरित्र में आ चुकी है इसलिए ये किताब बाबे(शिर्डी वाले)  की मृत्यु के 15-20 वर्ष  पश्चात लिखी गई ! इस समय सत्य साईं बाबा की आयु रही होगी 7 से 12 वर्ष !

इसे  निश्चत रूप से अच्छे से समझाया गया की तुझे यही कहना है की तू साईं बाबा का अवतार है ! ये इन्होने कहा 14 वर्ष की आयु में अर्थात साईं की मृत्यु  के 20 वर्ष पश्चात ! 
इसने शिर्डी वाले बाबे के बारे में 8 -10 बाते लोगो को बता दी होंगी  की मैंने पिछले (साईं जन्म में) ये ये किया, जैसा की इसे 12-13 वर्ष की आयु में रटा दीया होगा !

चूँकि शिर्डी साईं की पुनः प्रकट होने की बात सत्य निकली "इससे शिर्डी साईं की धाक जम  गई ! "
और इसकी भी जम गई !

 इसी तथ्य के कारन शिर्डी साईं को प्रसिद्धी मिलनी शुरू हुई ! इससे पूर्व शिर्डी साईं को गली का कुता  भी नही जनता था :- आगे सिद्ध किया गया है !



ये है सारा खेल !


सत्यनारायण राजू ने शिरडी के साईं बाबा के पुनर्जन्म की धारणा के साथ ही सत्य साईं बाबा के रूप में पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित की। सत्य साईं बाबा अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध रहे और वे हवा में से अनेक चीजें प्रकट कर देते थे और इसके चलते उनके आलोचक उनके खिलाफ प्रचार करते रहे।

वैसे ये भी एक नंबर का नाटक खोर था !
यहाँ देखें:--
http://hi.wikipedia.org/wiki/सत्य_साईं_बाबा

मेने सुना है की सत्य साईं (राजू) के पुनर्जन्म का किस्सा इसकी(राजू की ) पुस्तक में है ! (यधपि  मेने इसकी पुस्तक नही पड़ी है )

"पुट्टापर्थी के सत्य साईं इस दुनिया को एक साल पहले अलविदा कह गये थे. उनके चमत्कारों और दावों पर सवाल उठे तो भक्तों को उनमें भगवान दिखते थे. उसी सत्य साईं ने सालों पहले ये भविष्यवाणी की थी कि अपने देहांत के एक साल बाद वो फिर अवतार लेंगे. इसीलिए उनकी पहली बरसी पर ये सवाल उठ रहा है कि कहां है सत्य साईं का अवतार"

जरा सोचिये, ये लोग इतने पापी है की इनकी मुक्ति ही नही हो  पा रही, बार बार जन्म ले रहे है !


:D


इसी प्रकार ये लोग पुनर्जन्म लेते रहेंगे,

अभी के भारतीय, महान ऋषियों की संताने होकर भी मुर्ख है! इनके पीछे हो जाते है  !!!

Both Exposed Shirdi Sai & Satya Sai as Well !

F.ये किताब कितनी सही कितनी गलत ?
दोस्तों उपर हम देख चुके है की ये किताब निश्चित रूप से सत्य साईं (राजू) के जन्म के पश्चात लिखी गई !
तभी लोगो ने सोचा की राजू को ही बाबा का पुनर्जन्म सिद्ध करना है तभी राजू के जन्म की बात साईं सच्चरित्र में आयी है !

क्यू की साईं की प्रसिद्धी मात्र इसी एक तथ्य पर निर्भर करती थी की :-


"भविष्य में वे 8 वर्ष के बालक के रूप में पुनः प्रकट होंगे" (अध्याय 43)




राजू जन्मा  सन 1926 में अर्थात बाबा की मृत्यु के 8 वर्ष पश्चात !

इस हिसाब से "साईं सच्चरित्र" लिखने की  कम से कम तारिक बनती है सन 1926 (राजू का जन्म)..

"इससे पहले किताब का लिखा जाना संभव ही नही" ---- मेरा दावा है !!
क्यू की राजू के जन्म की बात उस किताब में दो जगह आ चुकी है !

F(a).गणितीय विवेचन :--- {एक और बड़ा खुलासा}
1. "साईं सच्चरित्र" लिखे जाने का कम से कम वर्ष सन 1926 !
2. बाबा 16 वर्ष में दिखे, 3 वर्ष रहे फिर 1 वर्ष गायब इस प्रकार 20 वर्ष की आयु में बाबा का शिर्डी पुनः आगमन व मृत्यु होने तक वही निवास !

साईं बाबा का जीवन काल 1838 से 1918 (80 वर्ष) तक था (अध्याय 10)
अर्थात बाबा 20 वर्ष के थे सन 1858 में !

इस किताब में जितनी भी बाबा की लीलाएं व चमत्कार लिखे गये है वे सभी 20 वर्ष के आयु के पश्चात के ही है ,   क्यू  की 20 वर्ष की आयु में ही वे शिर्डी में मृत्यु होने तक रहे !

3. स्पष्ट है जो लीला बाबा ने सन 1858 से करनी प्रारंभ की वो लिखी गई इस किताब में सन 1926 में !
अर्थात (1926-1858) 68 वर्षों पश्चात !

अब जरा दिमाग, बुद्धि व अपने विवेक का प्रयोग करिये और सोचिये 68 वर्ष पुराणी घटनाओं को इस किताब में लिखा गया वो कितनी सही  होंगी ?????

अब यदि ये माने की किताब लिखने वालों ने जो भी लिखा है वो सब आँखों देखा हाल है तो किताब लिखने
वालों की सन 1858 में आयु क्या होगी ???

ध्यान से समझे :--
1. जैसा की किताब लिखने  वाले बहुत ही चतुर किस्म के लोग थे तभी उन्होंने इस किताब को उलझा कर रख दिया, बाबा के सन्दर्भ में जहाँ जहाँ उनकी आयु व लीला करने का सन लिखने की नोबत आयी वहां वहां उन्होंने  बाते एक ही स्थान पर न लिख कर टुकड़ों में लिखी जैसे : बाबे के सर्वप्रथम देखे जाने की आयु लिखी 16 वर्ष पर सन नही लिखा -----> अध्याय 4 में 
जीवन काल 1838 से 1918 लिखा  ----->अध्याय 10  में 
इस बिच बाबे  के 3 वर्ष, आयु 16 से 19 को पूरा गायब ही कर दिया ! और बचपन पूरा अँधेरे में है 
युवक -->व्यक्ति/फ़क़ीर-->युवक --->व्यक्ति/पुरुष 


इस चतुराई से साफ है की वे(किताब लिखने वाले) 40 से 60 वर्ष के रहे होंगे  सन 1926 में जब किताब लिखनी प्रारंभ की !
1. हम 40 वर्ष माने तो 1858 में वे(किताब लिखने वाले) पैदा भी नही हुए !  1926-40=1886>1858
२. किताब लिखने वालों की आयु सन 1926 में 50 वर्ष माने तो भी वे 1858 में पैदा नही हुए !
३. 60 वर्ष माने तो भी पैदा नही हुए ----> 1926-60 = 1866 > 1858
4. 68 वर्ष माने तो किताब लिखने वाले जस्ट पैदा ही हुए थे जब बाबा 20 वर्ष के थे ---> 1926-68=1858 (1858=1858)

ये तो संभव ही नही की किताब लिखने वाले सन 1858 में जन्मे और जन्म लेते ही  बाबे की लीलाए देखि समझी और 1926 में किताब में लिख दी हो !

तो अब क्या करे ???
किताब लिखने वालों की आयु 68 वर्ष होने भी संभव नही, आयु बढ़ानी पड़ेगी !

माना किताब लिखने वाले बाबे की लीलाओं के समय (सन 1858  से आगे तक) थे 20 वर्ष के,
अर्थात बाबे की और किताब लिखने वालों की आयु सन 1858 में 20वर्ष (एक बराबर) थी !

क्यू की कम से कम 20 वर्ष आयु लेनी ही पड़ेगी तभी उन्होंने 1858  में  लीलाए देखि होंगी  व समझी होंगी !
1. 1858  में 20 वर्ष के तो सन 1926 में हुए ----> 88 वर्ष के (कम से कम )
बाबा खुद ही 80 वर्ष में मर गये तो 88 वर्ष का व्यक्ति क्या जीवित होगा ??
यदि होगा तोभी 88 वर्ष की आयु में ये किताब लिखा जाना संभव ही नही, 88 वर्ष का व्यक्ति चार पाई पकड़ लेता है !

फिर में कह चूका हु की  ये किताब लिखने का काम करने वाले चतुर जवान लोग थे !
लगभग 40 से 60 वर्ष के बिच के !
और इन आयु का व्यक्ति 1858 में पैदा भी नही हुआ !!.......................झूठ नं 8

ये किताब पूरी एक महाधोखा है ! 
ये राजू के जन्म के पश्चात लिखी गई और कोरे झूठ ही झूठ है इसमें !


G.एक और झूठ :
 फ़क़ीर से साधू बनाने का प्रयास :--
निम्न तस्वीर में बिच वाला साईं नही है ! बिच वाले व्यक्ति की तस्वीर , दाये-बाये (असली साईं) की जगह लेने का प्रयास कर रही है ! यदि ध्यान  नही दिया गया तो असली साईं की तस्वीर बिच वाली तस्वीर से बदल दी जाएगी । क्योकि बिच वाले की सूरत भोली है !................................झूठ नं 9 

"Recently there appeared on some websites what was claimed to be a recently discovered photo of Shirdi Sai Baba.It is clearly a photo of that much revered Indian ‘saint’."

बिच वाले बाबे के माथे पर बंधा कपडा भी नकली है ! गौर से देखें :- photo shop से एडिट किया हुआ है !
मेने नही किया है इस साईट पर उपलब्ध है :--

http://robertpriddy.wordpress.com/2008/07/04/undiscovered-photo-of-shirdi-sai-baba/






H.एक और महाझूठ !!
साँईँ के चमत्कारिता के पाखंड और झूठ का पता चलता है, उसके “साँईँ चालिसा” से। 
दोस्तोँ आईये पहले चालिसा का अर्थ जानलेते है:-
“हिन्दी पद्य की ऐसी विधा जिसमेँ चौपाईयोँ की संख्या मात्र 40 हो, चालिसा कहलाती है।”

सर्वप्रथम देखें की चोपाई क्या / कितनी बड़ी होती है ?
हनुमान चालीसा की प्रथम चोपाई :---

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥...1

ठीक है !!

अब साँईँ चालिसा की एक चोपाई देखें :--

पहले साईं के चरणों में, अपना शीश नवाऊँ मैं।
कैसे शिर्डी साईं आए, सारा हाल सुनाऊँ मैं।। (1)

उपरोक्त में प्रथम पंक्ति में एक कोमा (,) है अतः यदि पहली पंक्ति को (कोमे के पहले व बाद वाले भाग को) एक चोपाई माने तो चोपाईयों की संख्या हुई :--  204
और यदि दोनों पंक्तियों को एक चोपाई माने तो चोपाईयों की संख्या हुई :--  102





हनुमान चालीसा में पुरे 40  है आप यहाँ देख सकते है ---> 
http://www.vedicbharat.com/p/blog-page_6.html

साँईँ चालिसा में  कुल 102  या  204  है .........................................झूठ नं 10
http://www.indif.com/nri/chalisas/sai_chalisa/sai_chalisa.asp

तनिक विचारेँ क्या इतने चौपाईयोँ के होने पर भी उसे चालिसा कहा जा सकता है??
नहीँ न?…..
बिल्कुल सही समझा आप लोगोँ ने….
जब इन व्याकरणिक व आनुशासनिक नियमोँ से इतना से इतना खिलवाड़ है, तो साईँ केझूठे पाखंडवादी चमत्कारोँ की बात ही कुछ और है!



कितने शर्म की बात है कि आधुनिक विज्ञान के गुणोत्तर प्रगतिशिलता के बावजूद लोग साईँ जैसे महापाखंडियोँ के वशिभूत हो जा रहे हैँ॥


क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ?
इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है …. श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, 



श्रद्धालु बनो …. 
भगवान को चुनो …




I.बाबा फ़क़ीर अथवा धनि  


1. बाबा की चरण पादुका स्थापित करने के लिए बम्बई के एक भक्त ने 25 रुपयों का मनीआर्डर भेजा । स्थापना में कुल 100 रूपये व्यय हुए जिसमे 75  रुपये चंदे द्वारा एकत्र हुए ! प्रथम पाच वर्षों तक कोठारे के निमित 2 रूपये मासिक भेजते रहे । स्टेशन से छडे ढोने और  छप्पर बनाने का खर्च 7   रूपये 8 आने सगुण मेरु नायक ने दिए ! {अध्याय 5}
25 +75 =100 
2 रु  मासिक, 5 वर्षों तक = 120 रूपये 
100 +120 =220  रूपये कुल  
ये घटनाये 19वीं सदी की है उस समय लोगो की आय 2-3 रूपये प्रति माह हुआ करती थी ! तो 220 रूपये कितनी बड़ी रकम हुई ??
उस समय के लोग  2-3 रूपये प्रति माह में अपना जीवन ठीक ठाक व्यतीत करते थे !
और आज के 10,000 रूपये प्रति माह में अपना जीवन ठीक ठाक व्यतीत करते है !
तो उस समय और आज के समय में रुपयों का अनुपात (Ratio) क्या हुआ ?
 10000/3=3333.33
तो उस समय के  220 रूपये आज के कितने के बराबर हुए ?
 220*3333.33=733332.6 रूपये (7 लाख 33 हजार रूपये)

यदि हम यह अनुपात 3333.33 की अपेक्षा कम से कम 1000  भी माने तो :-
उस समय के 220 रूपये अर्थात आज के कम से कम 2,20000  (2 लाख 20 हजार रूपये) {अनुपात =1000 }
इतने रूपये एकत्र हो गये ? 
मस्त गप्पे है इस किताब में तो !

स्थापना में कुल 100 रूपये व्यय हुए =1,00,000 (1 लाख रूपये)

2. बाबा का दान विलक्षण था ! दक्षिणा के रूप में जो धन एकत्र होता था उसमें से वे किसी को 20, किसी को 15 व किसी को 50 रूपये प्रतिदिन  वितरित कर देते थे ! {अध्याय 7 }

3. बाबा हाजी के पास गये और अपने पास से 55 रूपये निकाल कर हाजी को दे दिए !  {अध्याय 11 }
4. बाबा ने प्रो.सी.के. नारके से 15 रूपये दक्षिणा मांगी, एक अन्य  घटना में उन्होंने श्रीमती आर. ए. तर्खड से 6 रूपये  दक्षिणा मांगी {अध्याय 14  }
5 . उन्होंने जब महासमाधि ली तो 10 वर्ष तक हजारों रूपये दक्षिणा मिलने पर भी उनके पास स्वल्प राशी ही शेष थी । {अध्याय 14   }
यहाँ हजारों रूपये को कम से कम 1000 रूपये भी माने तो आप सोच सकते है कितनी बड़ी राशी थी ये ?
उस समय के 1000  अर्थात आज के 10  लाख  रूपये कम से कम ! {अनुपात =1000 }
6 . बाबा ने आज्ञा  दी की शामा के यहाँ जाओ और कुछ समय वर्तालाब  कर 15 रूपये दक्षिणा ले आओ ! {अध्याय 18  }
7 बाबा के पास जो दक्षिणा एकत्र होती थी, उनमे से वे 50 रूपये प्रतिदिन बड़े बाबा को दे दिया करते थे !
{अध्याय 23  }
8 . प्रतिदिन दक्षिणा में बाबा के पास  बहुत रूपये इक्कठे हो जाया करते थे, इन रुपयों में से वे किसी को 1, किसी को 2 से 5, किसी को 6,  इसी प्रकार 10 से 20  और 50  रूपये तक वो अपने भक्तों को दे दिया करते थे ! {अध्याय 29  }
9  . निम्न प्रति अध्याय 32 की है :
बाबा की कमाई  = 2 (50+100 +150 ) = 600 रूपये 
वाह !!
10 . बाबा ने काका से 15 रूपये दक्षिणा मांगी और कहा में यदि किसी से 1 रु. लेता हु तो 10 गुना लौटाया करता हु ! (अध्याय 35 )
11 . इन शब्दों को सुन कर श्री ठक्कर ने भी बाबा को 15 रूपये भेंट किये (अध्याय 35 )
12 . गोवा से दो व्यक्ति आए और बाबा ने एक से 15रूपये दक्षिणा मांगी !(अध्याय 36  )
13  . पति पत्नी दोनों ने बाबा को प्रणाम किया और पति ने बाबा को 500 रूपये भेंट किये जो बाबा के घोड़े श्याम कर्ण के लिए छत बनाने के काम आये !    (अध्याय ३ ६  )
बाबा के पास घोडा भी था ?  :D

ये कोन लोग थे जो बाबा को इतनी दक्षिणा दिए जा रहे थे !
दोस्तों आप स्वयं ही निर्णय ले ये क्या चक्कर है ??  में तो हेरान  हु !


J. बाबे की जिद  

14 अक्तूबर, 1918  को बाबा ने उन लोगो को भोजन कर लौटने को कहा ! लक्ष्मी बाई सिंदे को बाबा ने 9 रूपये देकर कहा "मुझे अब मस्जिद में अच्छा नही लगता " इसलिए मुझे अब बूंटी के पत्थर वाडे में ले चलो, जहाँ में सुख पूर्वक रहूँगा" इन्ही शब्दों के साथ बाबा ने अंतिम श्वास छोड़ दी ! {अध्याय 43 }

1886 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बाबा को दमा से अधिक पीड़ा हुई और उन्होंने अपने भगत म्हालसापति को कहा तुम मेरे शरीर की तिन दिन तक रक्षा करना यदि में  वापस लौट आया तो ठीक, नही तो मुझे उस स्थान (एक स्थान को इंगित करते हुए) पर मेरी समाधी बना देना और दो ध्वजाएं चिन्ह रूप में फेहरा देना ! {अध्याय 43}

जब बाबा सन 1886 में  मरने की हालत में थे तब तथा सन  1918  में भी, बाबे की केवल एक ही इच्छा थी मुझे तो बस मंदिर में  ही दफ़न करना !
1918-1886 = 32 वर्षों से अर्थात  48 वर्ष की आयु से बाबा के दिमाग में ये चाय बन रही थी !


K. जीवन में अधिकतर बीमार व मृत्य बीमारी से !!
बाबा की स्थति चिंता जनक हो गई और ऐसा दिखने लगा की वे अब देह त्याग देंगे ! {अध्याय ३९}
1886 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बाबा को दमा से अधिक पीड़ा हुई और उन्होंने अपने भगत म्हालसापति को कहा तुम मेरे शरीर की तिन दिन तक रक्षा करना यदि में  वापस लौट आया तो ठीक, नही तो मुझे उस स्थान (एक स्थान को इंगित करते हुए) पर मेरी समाधी बना देना और दो ध्वजाएं चिन्ह रूप में फेहरा देना ! {अध्याय 43}
1. बाबे को 1886 अर्थात 48 वर्ष की आयु में दमे की शिकायत हुई !
19 वर्ष की आयु से लगातार चिलम पि रहा था ऊपर सिध्ध किया जा चूका है !
2. दमे से बाबे की हालत मरने जैसी हो गई ! बाबे ने जिस स्थान की और समाधी बनाने को इंगित किया वो स्थान था एक मंदिर (अध्याय 4 में लिखा है ), और मरणासन्न स्थिति में अभी जहाँ वो पड़ा है वो स्थान है : मस्जिद।अर्थात मस्जिद में पड़े पड़े इशारा किया मुझे वहा (मंदिर में) गाड़ना !

बाबा रहा सारी उम्र मस्जिद में और उसकी जिद थी की मुझे गाड़ना एक मंदिर में !

इससे एक और बात साफ है शिर्डी के उस गाँव या उन  गलियों में  एक मंदिर और एक मस्जिद थे
बाबा रहा मस्जिद में ही(स्वेइच्छा से ) :- वो मुस्लिम ही था इससे साफ दिखता है !

28 सितम्बर 1918 को बाबा को साधारण-सा  ज्वर आया । ज्वर 2 3 दिन रहा । बाबा ने भोजन करना त्याग दिया । इसे साथ ही उनका शरीर दिन प्रति दिन क्षीण व दुर्बल होने लगा । 17 दिनों के पश्चात अर्थात 14 अक्तूबर 1918 को को 2 बजकर 30 मिनिट पर उन्होंने अपना शरीर त्याग किया !{अध्याय 42 }
अब सोचिये ये आदमी 17 दिनों तक बीमार रहा और पहले भी दमे से ग्रसित रहा और तडपता रहा !



"बाबा समाधिस्त हो गये " - यह ह्रदय विदारक दुख्संवाद सुन सब मस्जिद की और दोड़े {अध्याय 43}

स्पष्ट है बाबे ने मस्जिद में दम तोडा !


लोगो में बाबा के शरीर को लेकर मतभेद हो गया की क्या किया जाये और यह ३ ६ घंटों तक चलता रहा  {अध्याय ४ ३ }


इस किताब में बार बार समाधी/महासमाधी/समाधिस्त  शब्द आया है किन्तु बाबा की मृत्यु दमे व बुखार से हुई ! बाद में दफन किया गया  अतः उस स्थान को समाधी नही कब्र कहा जायेगा !!
और क्रब्रों को पूजने वोलों के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता जी में क्या कहा है आगे देखने को मिलेगा !
समाधी स्वइच्छा देहत्याग को कहते है !

3 दिनों पुरानी लाश को बाद में मंदिर में दफन किया गया !

बाबा का शरीर अब वहीँ विश्रांति पा  रहा है , और फ़िलहाल वह समाधी मंदिर नाम से विख्यात है {अध्याय 4}

"बाबा का शरीर अब वहीँ विश्रांति पा  रहा है" --- स्पष्ट है  इसे दफन ही किया गया !

 जहाँ उसे दफ़न किया गया वो मंदिर था किस का ?
भगवान श्री कृष्ण का ! 
बुधवार संध्या को बाबा का पवित्र शरीर बड़ी धूमधाम से  लाया गया और  विधिपूर्वक उस स्थान पर समाधी बना दी गई ! सच तो ये है की बाबा 'मुरलीधर' बन  गये और समाधी मंदिर एक पवित्र देव स्थान ! {अध्याय ४३ }

श्री कृष्ण के मंदिर में इस सड़ी लाश को गाडा गया !! और पूज दिया गया !

कई साईं भक्तों का ये भी कहना है की बाबा ने कभी भी स्वयं को भगवान नही कहा, तो आईये उनके मतिभ्रम का भी समाधान करते है :-
 निम्न प्रति साईं सत्चरित्र अध्याय 3 की है :-
इस पुस्तक में और भी पचासों जगह बाबा ने स्वयं को ईश्वर कहा है !
हम केवल यह एक ही उदहारण दे रहे है !

निम्न विडियो एक साईं मंदिर का  है, जो हमारी मुहीम "साईं पाखंड भन्डाफोडू" के तहत बनाया गया।
इस विडियो को देख कर आप समझ जायेंगे  की सब लकीर के फ़क़ीर है !
साईं बाबा के मंदिर में पुरे दिन बेठने वाले पुजारी भी बाबा को ठीक से नही जानते !




ये हाल है दोस्तों :-- करोडो भारतियों की आस्था के साथ बलात्कार किया गया है एक बार नही बारम्बार !!!







 जिन्हें ईश्वर ने जरा सी भी बुद्धि दी है वो तो उपरोक्त वर्णन से ही समझ चुके होंगे !
शिर्डी वाले का भांडा फूटते ही ----> सत्य साईं का अपने आप ही फुट गया क्यू की सत्य साईं उसी का अवतार था !
---->दोस्तों साईं और सत्य साईं  की पोल पूरी खुल ही चुकी है परन्तु हमारे करोडो भाई-बहिनों-माताओं आदि के ह्रदय में इनका  जहर घोला गया वो उतरना अति अति आवश्यक है ! 
इसलिए आगे बढ़ते है और अभी भी मात्र  लोगोको सत्य दिखने के लिए इसे(शिर्डी वाले को) चमत्कारी  ही मान कर चलते है  !


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साईं बाबा का जीवन काल 1838 से 1918 (80 वर्ष) तक था (अध्याय 10 ) , उनके जीवन काल के मध्य हुई घटनाये जो मन में शंकाएं पैदा करती हैं की क्या वो सच में भगवान थे , क्या वो सच में लोगो का दुःख दूर कर सकते है?

A. क्या साँईं ईश्वर या कोई अवतारी पुरूष है?

1. भारतभूमि पर जब-जब धर्म की हानि हुई है और अधर्म मेँ वृध्दि हुई है, तब-तब परमेश्वर साकाररूप मेँ अवतार ग्रहण करते हैँ और तब तक धरती नहीँ छोड़ते, जबतक सम्पूर्ण पृथ्वी अधर्महीन नहीँ हो जाती। लेकिन साईँ के जीवनकाल मेँ पूरा भारत गुलामी की बेड़ियोँ मे जकड़ा हुआ था, मात्र अंग्रेजोँ के अत्याचारोँ से मुक्ति न दिला सका तो साईँ अवतार कैसे?
न ही स्वयं अंग्रेजोँ के अत्याचारोँ के विरुद्ध आवाज़ उठाई और न ही अपने भक्तों को प्रेरित किया । इसके अतिरिक्त  हजारों तरह की समस्या भी थी :- गौ हत्या, भ्रस्ताचार,  भूखमरी तथा समाज में फैली अन्य  कुरुतियाँ ! इसके विरुद्ध भी एक शब्द नही बोला  !! जबकि अपनी पूरी आयु (80 वर्ष) जिया  !!

2. साईं सच्चरित्र में बताया गया है की बाबा की  जन्म तिथि सन 1838 के आसपास थी ।  हम 1838 ही मान  कर चलते है । इसी किताब में बताया गया है की बाबा 16 वर्ष की आयु में सर्वप्रथम दिखाई पड़े  (अध्याय 4)
अर्थात 1854 में सर्वप्रथम दिखाई पड़े , तभी लेखक ने 1838 में जन्म कहा है ।  झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई ने  1857 की क्रांति में महत्व पूर्ण योगदान दिया तथा लड़ते लड़ते विरांगना हुई ।  1857 में बाबा की आयु 19  वर्ष के आस पास रही होगी । 

एक अवतार के धरती पर मोजूद होते हुए स्त्रियों को युद्ध क्षेत्र में जाना पड़े ???
19  वर्ष की आयु क्या युद्ध  लड़ने के लिए पर्याप्त नही ? शिवाजी 19 वर्ष की आयु में निकल पड़े थे !!

मात्र 18 वर्ष  की आयु में खुदीराम बोस सन 1908 में  स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुये  !

तो लक्ष्मी बाई, शिवाजी, खुदीराम बोस आदि अवतार नही और साईं अवतार कैसे ??? 
और फिर क्या श्री कृष्ण ने युवक अवस्था में पापियों  को नही पछाड़ा था ?

भगवान श्री राम जी ने तड़का तथा अन्य देत्यों को मात्र 16 वर्ष की आयु में मारा और वहां के लोगो को सुखी व भय मुक्त किया !
यहाँ देखें :--
Scientific Dating of Ramayana by Dr. P.V. Vartak



3. राष्ट्रधर्म कहता है कि राष्ट्रोत्थान व आपातकाल मेँ प्रत्येक व्यक्ति का ये कर्तव्य होना चाहिए कि वे राष्ट्र को पूर्णतया आतंकमुक्त करने के लिए सदैव प्रयासरत रहेँ, परन्तु गुलामी के समय साईँ किसी परतन्त्रता विरोधक आन्दोलन तो दूर, न जाने कहाँ छिप कर बैठा था,जबकि उसके अनुयायियोँ की संख्या की भी कमी नहीँ थी, तो क्या ये देश से गद्दारी के लक्षण नहीँ है?

4. यदि साँईँ चमत्कारी था तो देश की गुलामी के समय कहाँ छुपकर बैठा था? इस किताब में लाखों बार  साईं को अवतार, अंतर्यामी आदि आदि बताया गया है । तो क्या अंतर्यामी को यह ज्ञात नही हुआ की जलियावाला बाग़ (1919) में  हजारों निर्दोष लोग मरने वाले है । मैं अवतार हु,  कुछ तो करूँ !!

5. श्री कृष्ण ने तो अर्जुन को अन्याय, पाप, अधर्म के विरुद्ध लड़ने को प्ररित किया । ताकि पाप के अंत के पश्चात धरती पर शांति स्थापित हो सके ।  तो फिर साईं ने अपने हजारों भक्तों को अंग्रेजोँ के अत्याचारोँ के खिलाफ खड़ा कर उनका मार्गदर्शन क्यू नही किया ?


6 . एक और राहता (दक्षिण में) तथा दूसरी और नीमगाँव (उत्तर में) थे । बिच में था शिर्डी । बाबा अपने जीवन काल में इन सीमाओं से बहार नही गये (अध्याय 8)
एक और पूरा देश अंग्रेजों से त्रस्त था पुरे देश से सभी जन समय   समय   अंग्रेजों के विरुद्ध होते रहे, पिटते रहे , मरते रहे ।  और बाबा है की इस सीमाओं से पार भी नही गये । जबकि श्री राम ने जंगलों में घूम घूम कर देत्यों का नाश किया । श्री राम तथा कृष्ण ने सदेव कर्मठ बनने का मार्ग दिखाया । इसके विपरीत आचरण करने वाला साईं,  श्री कृष्ण आदि का अवतार कैसे ????


7 . उस समय श्री कृष्ण की प्रिय गऊ माताएं  कटती थी क्या कभी ये उसके विरुद्ध बोला  ?

8. भारत का सबसे बड़ा अकाल साईं बाबा के जीवन के दौरान पड़ा
>(अ ) 1866 में ओड़िसा के अकाल में लगभग ढाई लाख भूंख से मर गए
>(ब) 1873 -74 में बिहार के अकाल में लगभग एक लाख लोग प्रभावित हुए ….भूख के कारण लोगो में इंसानियत ख़त्म हो गयी थी|
>(स ) 1875 -1902 में भारत का सबसे बड़ा अकाल पड़ा जिसमें लगभग 6 लाख लोग मरे गएँ|

साईं बाबा ने इन लाखो लोगो को अकाल से क्यूँ पीड़ित होने दिया यदि वो भगवान या चमत्कारी थे? क्यूँ इन लाखो लोगो को भूंख से तड़प -तड़प कर मरने दिया?


9 .  साईं बाबा के जीवन काल के दौरान बड़े भूकंप आये जिनमें हजारो लोग मरे गए
(अ ) १८९७ जून शिलांग में
(ब) १९०५ अप्रैल काँगड़ा में
(स) १९१८ जुलाई श्री मंगल असाम में
साईं बाबा भगवान होते हुए भी इन भूकम्पों को क्यूँ नहीं रोक पाए?…क्यूँ हजारो को असमय मारने दिया ?

10.   एक कथा के अनुसार संत तिरुवल्लुवर एक बार एक गाँव में गये "वहां उन्होंने अपना अपमान करने वालों को आबाद  रहो तथा सम्मान करने वालों को उजड़ जाओ " का आशीर्वाद दिया । जब उन्हें इस आशीर्वाद का रहस्य पूछा गया तो उन्होंने कहा जो सत्पुरुष है वे यदि उजड़ जायेंगे तो वे अपने ज्ञान का प्रकाश जहाँ जहाँ जायेंगे वहां वहां फेलायेंगे । किन्तु साईं तो एक ही जगह चिपक कर बैठे रहे । ज्ञान का प्रकाश एक छोटे से गाँव तक ही सिमित रहा !!

जबकि स्वामी दयानंद 18-19 वर्ष की आयु में ही वेदों के महान ज्ञाता हो गये थे और गृह का त्याग कर पुरे भारत वर्ष मे भ्रमण किया वेद रूपी सत्य विद्या का प्रचार किया , ढोंगियों को पछाड़ा , कितनो का ही जीवन सुधारा ।
 दयानंद जी ने सर्वप्रथम स्वराज्य, स्वदेशी, स्वभाषा, स्वभेष और स्वधर्म की प्रेरणा देशवासियों को दी।  गोरक्षा आंदोलन में उनकी विशेष भूमिका रही। स्वामी  जी ने अप्रैल 1875 में आर्यसमाज की स्थापना की, जिसके सदस्यों की स्वतंत्रता संग्राम में विशेष भूमिका रही।
तो  स्वामी दयानंद अवतार नही और साईं अवतार कैसे ??

स्वामी विवेकानंद आदि ने भारतीय संस्कृति, योग, वेद आदि को विदेशों तक पहुँचाया ! जब उन्होंने शिकागो में (1893 ) प्रथम भाषण दिया, निकोल टेस्ला, श्रोडेंगर, आइंस्टीन, नील्स बोहर जैसे जानेमाने वैज्ञानिक और अन्य हजारों लोग उनके भक्त बन गये । उस समय स्वामी जी मात्र 33 वर्ष के थे और बाबा 55 वर्ष के !
महापुरुष का जीवन भटकाऊ होता है वो एक जगह सुस्त  पड़ा नही रहता !
http://www.teslasociety.com/tesla_and_swami.htm






B. साँई माँसाहार का प्रयोग करता था व स्वयं जीवहत्या करता था!

१ मैं मस्जिद में एक बकरा हलाल करने वाला हूँ, बाबा ने शामा से कहा हाजी से पुछो उसे क्या रुचिकर होगा - "बकरे का मांस, नाध या अंडकोष ?"
-अध्याय ११ 

(1)मस्जिद मेँ एक बकरा बलि देने के लिए लाया गया। वह अत्यन्त दुर्बल और मरने वाला था। बाबा ने उनसे चाकू लाकर बकरा काटने को कहा।
-:अध्याय 23. पृष्ठ 161.

(2)तब बाबा ने काकासाहेब से कहा कि मैँ स्वयं ही बलि चढ़ाने का कार्य करूँगा।
-:अध्याय 23. पृष्ठ 162.  

(3)फकीरोँ के साथ वो आमिष(मांस) और मछली का सेवन करते थे।
-:अध्याय 5. व 7.

(4)कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल अर्थात् नमकीन पुलाव।
-:अध्याय 38. पृष्ठ 269.

(5)एक एकादशी के दिन उन्होँने दादा कलेकर को कुछ रूपये माँस खरीद लाने को दिये। दादा पूरे कर्मकाण्डी थे और प्रायः सभी नियमोँ का जीवन मेँ पालन किया करते थे।
-:अध्याय 32. पृष्ठः 270.

(6)ऐसे ही एक अवसर पर उन्होने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है? दादा ने योँ ही मुँहदेखी कह दिया कि अच्छा है। तब बाबा कहने लगे कि तुमने न अपनी आँखोँ से ही देखा है और न ही जिह्वा से स्वाद लिया, फिर तुमने यह कैसे कह दिया कि उत्तम बना है? थोड़ा ढक्कन हटाकर तो देखो। बाबा ने दादा की बाँह पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन मेँ डालकर बोले -”अपना कट्टरपन छोड़ो और थोड़ा चखकर देखो”।
-:अध्याय 38. पृष्ठ 270.

अब जरा सोचे :--

{1}क्या साँई की नजर मेँ हलाली मेँ प्रयुक्त जीव ,जीव नहीँ कहे जाते?
{2}क्या एक संत या महापुरूष द्वारा क्षणभंगुर जिह्वा के स्वाद के लिए बेजुबान नीरीह जीवोँ का मारा जाना उचित होगा?
{3}सनातन धर्म के अनुसार जीवहत्या पाप है।
तो क्या साँई पापी नहीँ?
{4}एक पापी जिसको स्वयं क्षणभंगुर जिह्वा के स्वाद की तृष्णा थी, क्या वो आपको मोक्ष का स्वाद चखा पायेगा?
{5}तो क्या ऐसे नीचकर्म करने वाले को आप अपना आराध्य या ईश्वर कहना चाहेँगे?



यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ....गीता १७/१ 
 
जो भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्धयुक्त, बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र(मांस आदि) भी है, वह भोजन तामस(अधम) पुरुषों  को प्रिय होते हैं ।

यः पौरुषेयेण क्रविषा समङ्क्ते यो अश्व्येन पशुना यातुधानः 
यो अघ्न्याया भरति क्षीरमग्ने तेषां शीर्षाणि हरसापि वृश्च (ऋग्वेद-10:87:16)



मनुष्य, अश्व या अन्य पशुओं के मांस से पेट भरने वाले तथा दूध देने वाली अघ्न्या गायों का विनाश करने वालों को कठोरतम दण्ड देना चाहिए |

य आमं मांसमदन्ति पौरूषेयं च ये क्रवि: ! 
गर्भान खादन्ति केशवास्तानितो नाशयामसि !! (अथर्ववेद- 8:6:23)

जो कच्चा माँस खाते हैं, जो मनुष्यों द्वारा पकाया हुआ माँस खाते हैं, जो गर्भ रूप अंडों का सेवन करते हैं, उन के इस दुष्ट व्यसन का नाश करो !

अघ्न्या यजमानस्य पशून्पाहि (यजुर्वेद-1:1)
हे मनुष्यों ! पशु अघ्न्य हैं – कभी न मारने योग्य, पशुओं की रक्षा करो |

अनुमंता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी ।
संस्कर्त्ता चोपहर्त्ता च खादकश्चेति घातका: ॥ (मनुस्मृति- 5:51)

मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए लेने और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले - ये आठों प्रकार के मनुष्य घातक, हिंसक अर्थात् ये सब एक समान पापी हैं ।

मां स भक्षयिताऽमुत्र यस्य मांसमिहाद् म्यहम्। 
एतत्मांसस्य मांसत्वं प्रवदन्ति मनीषिणः॥ (मनुस्मृति- 5:55)

जिस प्राणी को हे मनुष्य तूं इस जीवन में खायेगा, अगामी(अगले) जीवन मे वह प्राणी तुझे खायेगा।


सारे वैदिक नियम भंग करने वाला ये दुष्ट/मुरख  संत कहलाने योग्य भी नही !
क्या ऐसे पापी को पहले ही पन्ने पर वेद माता  सरस्वती (ज्ञान की देवी) के तुल्य बना देना उचित है ? 

 C. साँई हिन्दू है या मुस्लिम? व क्या हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्रतीक है?

ये मुस्लिम था सिद्ध किया जा चूका है !!!

साँई हिन्दू है या मुस्लिम? व क्या हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्रतीक है?

कई साँईभक्त अंधश्रध्दा मेँ डूबकर कहते हैँ कि साँई न तो हिन्दू थे और न ही मुस्लिम। इसके लिए अगर उनके जीवन चरित्र का प्रमाण देँ तो दुराग्रह वश उसके भक्त कुतर्कोँ की झड़ियाँ लगा देते हैँ।
ऐसे मेँ अगर साँई खुद को मुल्ला होना स्वीकार करे तो मुर्देभक्त क्या कहना चाहेँगे?
जी, हाँ!


(1)शिरडी पहुँचने पर जब वह मस्जिद मेँ घुसा तो बाबा अत्यन्त क्रोधित हो गये और उसे उन्होने मस्जिद मेँ आने की मनाही कर दी। वे गर्जन कर कहने लगे कि इसे बाहर निकाल दो। फिर मेधा की ओर देखकर कहने लगे कि तुम तो एक उच्च कुलीन ब्राह्मण हो और मैँ निम्न जाति का यवन (मुसलमान)। तुम्हारी जाति भ्रष्ट हो जायेगी।
-:अध्याय 28. पृष्ठ 197.

(2)मुझे इस झंझट से दूर ही रहने दो। मैँ तो एक फकीर(मुस्लिम, हिन्दू साधू कहे जाते हैँ फकीर नहीँ) हूँ।मुझे गंगाजल से क्या प्रायोजन?
-:अध्याय 32. पृष्ठ 228.

 श्री कृष्ण के अवतार को गंगा जल प्राणप्रिय नही होगा ? 

(3)महाराष्ट्र मेँ शिरडी साँई मन्दिर मेँ गायी जाने वाली आरती का अंश-
“गोपीचंदा मंदा त्वांची उदरिले!
मोमीन वंशी जन्मुनी लोँका तारिले!”

उपरोक्त आरती मेँ “मोमीन” अर्थात् मुसलमान शब्द स्पष्ट आया है। 

(4)मुस्लिम होने के कारण माँसाहार आदि का सेवन करना उनकी पहली पसन्द थी।

अब जरा सोचे :-- 

{1}साँई जिन्दगी भर एक मस्जिद मेँ रहा, क्या इससे भी वह मुस्लिम सिध्द नहीँ हुआ? यदि वह वास्तव मेँ हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक होता तो उसे मन्दिर मेँ रहने मेँ क्या बुराई थी?

{2}सिर से पाँव तक इस्लामी वस्त्र, सिर को हमेशा मुस्लिम परिधान कफनी मेँ बाँधकर रखना व एक लम्बी दाढ़ी, यदि वो हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक होता तो उसे ऐसे ढ़ोँग करने की क्या आवश्यकता थी? क्या ये मुस्लिम कट्टरता के लक्षण नहीँ हैँ?

{3}वह जिन्दगी भर एक मस्जिद मेँ रहा, परन्तु उसकी जिद थी की मरणोपरान्त उसे एक मन्दिर मेँ दफना दिया जाये, क्या ये न्याय अथवा धर्म संगत है? “ध्यान रहे ताजमहल जैसी अनेक हिन्दू मन्दिरेँ व इमारते ऐसी ही कट्टरता की बली चढ़ चुकी हैँ।”

"ताजमहल के सन्दर्भ में भी बिलकुल ऐसा ही हुआ था , जब शाहजहाँ ने अपनी पत्नी के शव को महाराजा मानसिंह के मंदिर तेजो महालय (शिव मंदिर) में लाकर पटक दिया और बलपूर्वक तथा  छलपूर्वक वही गाड कर दम लिया"
इस प्रकार वो मंदिर भी एक कब्र बन कर रहा गया और ये मंदिर भी !
यहाँ देखें --->
http://www.vedicbharat.com/2013/03/truth-about-taj-mahal---its-tejo-mahalaya.html


{4}उसका अपना व्यक्तिगत जीवन कुरान व अल-फतीहा का पाठ करने मेँ व्यतीत हुआ, वेद व गीता नहीँ?, तो क्या वो अब भी हिन्दू मुस्लिम एकता का सूत्र होने का हक रखता है?

{5}उसका सर्वप्रमुख कथन था “अल्लाह मालिक है।” परन्तु मृत्युपश्चात् उसके द्वितीय कथन “सबका मालिक एक है” को एक विशेष नीति के तहत सिक्के के जोर पर प्रसारित किया गया। यदि ऐसा होता तो उसने ईश्वर-अल्लाह के एक होने की बात क्योँ नहीँ की? कभी नही कही !!

"उनके होठों पर अल्लाह मालिक रहता था" ऐसा इस किताब में पचासों जगह आया है !
और फिर फ़क़ीर मुस्लिम होता है, हिन्दू  साधू !

D. साँई  हिन्दू- मुस्लिम एकता स्थापित करने में पूरी तरह असफल रहे !!!!


 हम सभी जानते है की 1906 में भारत में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई ! जिसमे मुस्लिम समुदाय ने स्वयं को भारत से पृथक करने का मत प्रकट किया तथापि मुहम्मद अली जिन्ना ने इसका नेतृत्व किया ॥

 1906 में तो बाबा जीवित थे, 68 वर्ष के थे  ! तो फिर बाबा के रहते ये विचार शांत क्यू नही किया गया ? बाबा ने हिन्दू भाई- मुस्लिम भाई को एक साथ प्रेम पूर्वक रहने को प्रेरित क्यू नही किया ?? क्या अंतर्यामी बाबा को यह ज्ञात नही था की इसका परिणाम अमंगलकारी होगा !!



२.  यदि आप यह सोचते है की साईं केवल हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करने हेतु ही  अवतीर्ण हुए तो फिर सन 1947 में , हिन्दुस्थान -पाकिस्थान  क्यू बन गया ?? इसका अभिप्राय बाबा हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करने में भी पूर्णतया असफल रहे ।  और यदि असफल नही रहे तो उनकी मृत्यु के मात्र 29 वर्ष पश्चात ही भारत के दो टुकडे क्यू हुए ? बाबा के इतने प्रयास के बाद भी हिन्दू भाई - मुसलमान भाई एक साथ प्रेम से क्यू न रह सके ?? साईं के आदर्श मात्र 29 वर्षों में ही खंडित हो गये ???

३. इस तथाकथित अवतार ने शिव/राम/कृष्ण  शब्द  अपने मुख से एक बार भी  नही निकाला । मस्जिद में रहने वाला सदेव अल्लाह मालिक कहने वाला यदि एकबार ये नाम  ले लेता तो क्या ये हिन्दू -मुस्लिम एकता में योगदान न निभाता ??

E. साईं स्त्रियों को अपशब्द कहा करता था । 

1.बाबा एक दिन गेहूं पीस रहे थे. ये बात सुनकर गाँव के लोग एकत्रित हो गए और चार औरतों ने उनके हाथ से चक्की ले ली और खुद गेहूं पिसना प्रारंभ कर दिया. पहले तो बाबा क्रोधित हुए फिर मुस्कुराने लगे. जब गेंहूँ पीस गए त्तो उन स्त्रियों ने सोचा की गेहूं का बाबा क्या  करेंगे और उन्होंने उस पिसे हुए गेंहू को आपस में बाँट लिया. ये देखकर बाबा अत्यंत क्रोधित हो उठे और अप्सब्द कहने लगे -” स्त्रियों क्या तुम पागल हो गयी हो? तुम किसके बाप का मॉल हड़पकर ले जा रही हो? क्या कोई कर्जदार का माल है जो इतनी आसानी से उठा कर लिए जा रही हो ?” फिर उन्होंने कहा की आटे को ले जा कर गाँव की सीमा पर दाल दो. उन दिनों गाँव में हैजे का प्रकोप था और इस आटे को गाँव की सीमा पर डालते ही गाँव में हैजा ख़तम हो गया.  (अध्याय 1 साईं सत्चरित्र )

पहले तो स्त्रियों को गाली दी ! ! फिर  आटे को ले जा कर गाँव की सीमा पर दाल देने को कहा ! ये दोनों बाते जम नही रही ! यदि आटा स्त्रियों को देना ही था तो गाली क्यू दी ? या फिर गाली मुह से निकल जाने के पश्चात ये भान हुआ  की, अरे ये मैंने क्या कह दिया !  ये हरकतें अवतार तो दूर, संत की भी नही  !! 
आटा  गाँव के चरों और डालने से कैसे हैजा दूर हो सकता है?  फिर इन भगवान्  ने केवल शिर्डी में ही फैली हुयी बीमारी  के बारे में ही क्यूँ सोचा ? क्या ये केवल शिर्डी के ही भगवन थे?

2. वे कभी प्रेम द्रष्टि से देखते तो कभी पत्थर मारते , कभी गालियाँ देते और कभी ह्रदय से लगा लेते । अध्याय १० 


3.बाबा को समर्पित करने के लिए अधिक मूल्य वाले पदार्थ लाने वालो से बाबा अति क्रोधित हो जाते और अपशब्द कहने लगते । अध्याय १४ 



F. बाबा बात बात पर क्रोधित हो जाता था !

1. जैसा की आप ऊपर देख ही चुके है की स्त्रियों द्वारा आटा लेते ही वे क्रोधित हो गये !

2. जब जब शिर्डी में कोई नविन कार्यक्रम रचा जाता तब बाबा कुपित हो ही जाया करते थे । (अध्याय 6)

3. बाबा के भक्त उनकी मस्जिद का जीर्णोधार करवाना चाहते थे जब बाबा से आज्ञा मांगी तब पहले बाबा ने स्वीकृति नही दी तत्पश्चात एक स्थानीय भक्त के आग्रह पर स्वीकृति दी । भक्तों ने कार्य आरम्भ करवाया । दिन रात परिश्रम कर भक्तों ने लोहे के खम्भे जमीं में गाड़े । जब दुसरे दिन बाबा चावडी से लौटे तब उन्होंने उन  खम्भों को उखाड़ कर फेंक दिया और अति क्रोधित हो गये । वे एक हाथ से खम्भा पकड़  कर उखाड़ने लगे और दुसरे हाथ से उन्होंने तात्या का सफा उतार लिया और उसमे आग लगा कर उसे गड्ढे में फेंक दिया । बाबा के एक भक्त कुछ साहस कर आगे बड़े बाबा ने धक्का दे दिया । एक अन्य भक्त पर बाबा ईंट के ढ़ेले फेंकने लगे ।  और फिर शांत होने पर दुकान से एक साफा खरीद कर तात्या को पहनाया । अध्याय 6

ठीक उसी प्रकार जैसे आटा  लेने पर बाबा ने स्त्रियों को अपशब्द कहे और बाद में कहा आटे को ले जा कर गाँव की सीमा पर दाल दो। 
यहाँ भी बाबा जी ने पहले तात्या को धोया फिर उसे नया साफा पहनाया । 

इससे ये भी लगता है की बाबा का मानसिक संतुलन ठीक नही था ! 19 वर्ष में ही चिलम पिना  सिख गया  !

4 अनायास ही बाबा बिना किसी कारन क्रोधित हो जाया करते थे ।  अध्याय 6


5 बाबा अपने भक्तों को उनकी इच्छा अनुसार पूजन करने देते परन्तु कभी कभी वे पूजन थाली फेंक कर अति  क्रोधित हो जाते । कभी वे भक्तों को झिडकते तथा कभी शांत हो जाते । अध्याय 11

काश बाबा जी स्वयं की पूजा से कभी समय निकाल कर देश के हित में भी कुछ करते !!

6 . मस्जिद में फर्श बनाने की स्वीकृति बाबा से मिल चुकी थी , परन्तु जब कार्य प्रारंभ हुआ बाबा क्रोधित हो गये और उत्तेजित हो कर चिल्लाने लगे , जिससे भगदड़ मच गई ! अध्याय 13

7. शिरडी पहुँचने पर जब वह मस्जिद मेँ घुसा तो बाबा अत्यन्त क्रोधित हो गये और उसे उन्होने मस्जिद मेँ आने की मनाही कर दी। वे गर्जन कर कहने लगे कि इसे बाहर निकाल दो। अध्याय 28

बेवजह बात बात पर क्रोधित होने वाला व् अपशब्द कहने वाला अवतार तो दूर, एक संत/सिद्ध पुरुष भी नही होता । जबकि इस किताब के अनुसार इसने स्वयं को जीतेजी पुजवा लिया !


दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः ।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते  ---- गीता  २/५ ६ 


G. विचारणीय बिंदु :--



1. मान्यवर सोचने की बात है की ये कैसे भगवन हैं जो स्त्रियों को गालियाँ दिया करते हैं हमारी संस्कृति में  तो स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और कहागया है की यत्र नार्यस्तु पुजनते रमन्ते तत्र देवता . 
2. साईं सत्चरित्र के लेखक ने इन्हें कृष्ण का अवतार बताया गया है और कहा गया है की पापियों  का नाश करने के लिए उत्पन्न हुए थे परन्तु इन्हीं के समय में प्रथम विश्व युध्ध हुआ था और केवल यूरोप के ही ८० लाख सैनिक इस युध्द में मरे गए थे और जर्मनी के ७.५ लाख लोग भूख की वजह से मर गए थे. तब ये भगवन कहाँ थे. (अध्याय 4 साईं सत्चरित्र )
खेर दुनिया की तो बात ही छोड़ो "भारत" के लिए ही बाबा ने क्या किया?? पुरे देश में अंग्रेजों का आतंक था भारतवासी वेवजह मार खा रहे थे !
4. 1918 में साईं   बाबा की मृत्यु हो गयी. अत्यंत आश्चर्य  की   बात है की जो इश्वर अजन्मा है अविनाशी है वो बीमारी से मर गया.  भारतवर्ष में जिस समय अंग्रेज कहर धा  रहे थे. निर्दोषों को मारा जा रहा था अनेकों प्रकार की यातनाएं दी जा रहीं थी अनगिनत बुराइयाँ समाज में व्याप्त थी उस समय तथाकथित भगवन बिना कुछ किये ही अपने लोक को वापस चले गए. हो सकता है की बाबा की नजरों में   भारत के स्वतंत्रता सेनानी अपराधी  थे और ब्रिटिश समाज सुधारक !




H.अन्य कारनामे :--

1  साईं  बाबा चिलम भी पीते थे. एक बार बाबा ने अपने चिमटे को जमीं में घुसाया और उसमें  से अंगारा बहार निकल आया और फिर जमीं में जोरो से प्रहार किया तो पानी निकल आया और बाबा ने अंगारे से चिलम  जलाई और पानी से कपडा गिला किया और चिलम पर लपेट लिया. (अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) 

(इस समय बाबा मात्र 19 वर्ष का था, ऊपर सिद्ध किया जा चूका है)
बाबा नशा करके क्या सन्देश देना चाहते थे और जमीं में चिमटे से अंगारे निकलने का क्या प्रयोजन था क्या वो जादूगरी दिखाना चाहते थे ?  
इस प्रकार के किसी कार्य  से मानव जीवन का उद्धार तो नहीं हो सकता हाँ ये पतन के साधन अवश्य हें .
इस प्रकार की  जादूगरी बाबा ने पुरे जीवनकाल में की । काश एक जादू की छड़ी घुमा कर बाबा सारे अंग्रेजों को इंग्लैंड पहुंचा देते ! अपने हक़ के लिए बोलने वालों को बर्फ पर नंगा लिटा कर पीटने क्यू दिया ??

2  बाबा एक महान जादूगर थे । योग क्रिया (धोति) विशेष प्रकार से करते थे । एक अवसर पर लोगो ने देखा की उन्होंने अपनी आँतों को अपने पेट से बाहर निकल कर चारों ओर से साफ़ किया और पेड़ पर सूखने के लिए टांग दिया । और खंड योग में उन्होंने अपने पुरे शरीर के अंगों को पृथक पृथक कर मस्जिद के भिन्न भिन्न स्थानों पर बिखेर दिया ।  अध्याय 7


3  शिर्डी में एक पहलवान था उससे बाबा का मतभेद हो गया और दोनों में कुश्ती हुयी और बाबा हार गए(अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) . वो भगवान् का रूप होते हुए भी अपनी ही कृति मनुष्य के हाथों पराजित हो गए?

अपनी पहलवानी के कारन बाबा ने इससे पंगा लिया और पिट  गया !

4  बाबा को प्रकाश से बड़ा अनुराग था और वो तेल के दीपक जलाते थे और इस्सके लिए तेल की भिक्षा लेने के लिए जाते थे एक बार लोगों ने देने से मना  कर दिया तो बाबा ने पानी से ही दीपक जला दिए.(अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) आज तेल के लिए युध्ध हो रहे हैं. तेल एक ऐसा पदार्थ है जो आने वाले समय में समाप्त हो जायेगा इस्सके भंडार सीमित हें  और आवश्यकता ज्यादा. यदि बाबा के पास ऐसी शक्ति थी जो पानी को तेल में बदल देती थी तो उन्होंने इसको किसी को बताया क्यूँ नहीं? अंतर्यामी को पता नही था की ये विद्या देने से भविष्य में होने वाले युद्ध टल सकते है । 

5  गाँव में केवल दो कुएं थे जिनमें से एक प्राय सुख जाया करता था और दुसरे का पानी खरा था. बाबा ने फूल डाल  कर  खारे  जल को मीठा बना दिया. लेकिन कुएं का जल कितने लोगों के लिए पर्याप्त हो सकता था इसलिए जल बहार से मंगवाया गया.(अध्याय 6 साईं सत्चरित्र) 
वर्ल्ड हेअथ ओर्गानैजासन  के अनुसार विश्व की ४० प्रतिशत से अधिक लोगों को शुद्ध  पानी पिने को नहीं मिल पाता. यदि भगवन पीने   के पानी की समस्या कोई समाप्त करना चाहते थे तो पुरे संसार की समस्या को समाप्त करते लेकिन वो तो शिर्डी के लोगों की समस्या समाप्त नहीं कर सके उन्हें भी पानी बहार से मांगना पड़ा.  और फिर खरे पानी को फूल डालकर कैसे मीठा बनाया जा सकता है?

6  फकीरों के साथ वो मांस और मच्छली का सेवन करते थे. कुत्ते भी उनके भोजन पत्र में मुंह डालकर स्वतंत्रता पूर्वक खाते थे.(अध्याय 7 साईं सत्चरित्र ) 
अपने मुख के स्वाद पूर्ति हेतु  किसी प्राणी को मारकर  खाना किसी इश्वर का तो काम नहीं हो सकता और कुत्तों के साथ खाना खाना किसी सभ्य मनुष्य की पहचान भी नहीं है. और वो भी फिर एक संत के लिए ?? जरा सोचे !!    जैसा की हम उपर दिखा चुके है अपवित्र भोजन तामसिक मनुष्यों को प्रिय होता है !
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ....गीता १७/१ 
 


"कुत्ते भी उनके भोजन पत्र में मुंह डालकर स्वतंत्रता पूर्वक खाते थे"
जैसा की हम उपर देख चुके है की ये लावारिस था और मानसिक बीमार भी, इसलिए कुत्ते ने इसकी पत्तल में मुह डाल  दिया और इसे पता ही नही पड़ा  ! 

7 . ईश्वरीय अवतार का ध्येय साधुजनों का परित्राण (रक्षा) और दुष्टों का संहार करना है । किन्तु संतों के लिए साधू और दुष्ट प्राय : एक ही सामान है । फिर आगे कहा है की भक्तों  के  कल्याण के निमित ही बाबा अवतीर्ण हुए  । (अध्याय 12

यहाँ लेखक का अभिप्राय है की उसे समय में व्याप्त बुराइयों तथा दुष्टों का संहार बाबा ने इसीलिए नही किया क्योकि ये काम ईश्वरीय अवतार का होता है !!  फिर आगे पुनः अवतार कह दिया । 

अमुक चमत्कारों को बताकर जिस तरह उन्हें  भगवान्  की पदवी दी गयी है इस तरह के चमत्कार  तो सड़कों पर जादूगर दिखाते हें . जिसे हाथ की सफाई भी कहते है !  काश इन तथाकथित भगवान् ने इस तरह की जादूगरी दिखने की अपेक्षा कुछ सामाजिक उत्तथान और विश्व की उन्नति एवं  समाज में पनप रहीं समस्याओं जैसे बाल  विवाह सती प्रथा भुखमरी आतंकवाद भास्ताचार आदी के लिए कुछ कार्य किया होता!




  

I.पोराणिक विवेचन :- 



1 – साई को अगर ईश्वर मान बैठे हो अथवा ईश्वर का अवतार मान बैठे हो तो क्यो?आप हिन्दू है तो सनातन संस्कृति के किसी भी धर्मग्रंथ में साई महाराज का नाम तक नहीं है।तो धर्मग्रंथो को झूठा साबित करते हुये किस आधार पर साई को भगवान मान लिया ?( और पौराणिक ग्रंथ कहते है कि कलयुग में दो अवतार होने है ….एक भगवान बुद्ध का हो चुका दूसरा कल्कि नाम से कलयुग के अंतिम चरण में होगा……. ।)
{ वेदों में तो अवतारवाद है ही नहीं  }
कलयुग में भगवान बुद्ध के अवतार को हम सभी जानते है उन्होंने पूरी दुनिया में योग व् शांति का सन्देश फेलाया ।  तथा इस धरती पर उनके जीवन का  उद्देश्य सार्थक व सफल रहा । परन्तु साईं न तो कोई उदेश्य लेकर जन्मे और न ही कुछ कर पाए !
10 अवतार->(मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्की)

2 – अगर साई को संत मानकर पूजा करते हो तो क्यो? क्या जो सिर्फ अच्छा उपदेश दे दे या कुछ चमत्कार दिखा दे वो संत हो जाता है? साई महाराज कभी गोहत्या पर बोले?, साई महाराज ने उस समय उपस्थित कौन सी सामाजिक बुराई को खत्म किया या करने का प्रयास किया? ये तो संत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ।और फिर संत ही पूजने है तो कमी थी क्या ?  भगवा धारण करने वाले किसी संत को पूज सकते थे ! अनाथ फकीर ही मिला ?
3- अगर सिर्फ दूसरों से सुनकर साई के भक्त बन गए हो तो क्यो? क्या अपने धर्मग्रंथो पर या अपने भगवान पर विश्वास नहीं रहा ?
4 – अगर आप पौराणिक हो और अगर मनोकामना पूर्ति के लिए साई के भक्त बन गए हो तो तुम्हारी कौन सी ऐसी मनोकामना है जो कि  भगवान शिवजी , या श्री विष्णु जी, या कृष्ण जी, या राम जी पूरी नहीं कर सकते सिर्फ साई ही कर सकता है?तुम्हारी ऐसी कौन सी मनोकामना है जो कि वैष्णो देवी, या हरिद्वार या वृन्दावन, या काशी या बाला जी में शीश झुकाने से पूर्ण नहीं होगी ..वो सिर्फ शिरडी जाकर माथा टेकने से ही पूरी होगी???
और यदि श्री विष्णु जी, या कृष्ण जी मनोकामना पूर्ण नही कर सकते तो ये उन्ही का बताया जा रहा अवतार कैसे कर देगा ?
5– आप खुद को राम या कृष्ण या शिव भक्त कहलाने में कम गौरव महसूस करते है क्या जो साई भक्त होने का बिल्ला टाँगे फिरते हो …. क्या राम और कृष्ण से प्रेम का क्षय हो गया है …. ?

आज दुनिया सनातन धर्म की ओर लौट रही है आप किस दिशा में जा रहे है ?
सनातन धर्म  ईश्वर कृत, ईश्वर प्रदत है ! बाकि सब व्यक्ति विशेष द्वारा चलाये हुए मत/मतान्तर/पंथ/मजहब  है !
Hinduism is God centred. Other religions are prophet centred.
यदि हमारी बात पर विश्वास  नही तो दक्षिण अफ्रीका शोध संस्थान पर तो विश्वास  करेंगे । 

यहाँ देखें :--> http://www.hinduism.co.za/founder.htm

".co.za" south african domain ---> http://www.africaregistry.com/


एक अमेरिकन की बात पर भी भरोसा नही करेंगे ??
यहाँ देखें ---> http://www.stephen-knapp.com/proof_of_vedic_culture's_global_existence.htm

क्या आपके लिए ये गौरव पर्याप्त नही !!?? जो देखा देखी में अंधे बन साईं के पीछे होलिये !
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=tS-qhqnM94Q
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=p6FiRt321mU#!
http://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.in/2013/03/blog-post.html
http://www.stephen-knapp.com/proof_of_vedic_culture's_global_existence.htm
http://www.vedicbharat.com/2013/04/Embryology-in-ShriMad-Bhagwatam-and-Mahabharata.html#sanatan
International Society for Krishna Consciousness {ISKCON}
http://iskcon.org/
http://www.iskconcenters.com/



6– ॐ साई राम ……..'' हमेशा मंत्रो से पहले ही लगाया जाता है अथवा ईश्वर के नाम से पहले …..साई के नाम के पहले ॐ लगाने का अधिकार कहा से पाया? 
श्री साई राम ………. 'श्री' मे शक्ति माता निहित है ….श्री शक्तिरूपेण शब्द है ……. जो कि अक्सर भगवान जी के नाम के साथ संयुक्त किया जाता है ……. तो जय श्री राम में से …..श्री तत्व को हटाकर ……साई लिख देने में तुम्हें गौरव महसूस होना चाहिए या शर्म आनी चाहिये?
यदि आप ॐ के बारे में कुछ नही जानते तो यहाँ देखें ॐ क्या है ! --->>  ओ३म्
http://www.vedicbharat.com/2013/04/Om-Cymatics-ShriYantra.html


और अब तो हद हो गई !! !!

भगवान शिव के वामभाग में केवल शक्ति देवी पार्वती का वास होता है :- 
इस तुच्छ, सड़को पर धक्के खाने वाले को  ये अधिकार किसने दिया ?? क्या ये सनातन देवी देवों का अपमान नही ? ये मिठा  विष आप किस प्रकार  पि रहे है ? थोड़ी सी भी शर्म है मुह पर?? क्या आपको  षड़यंत्र की बास नही आती ?? या समस्त ज्ञानेन्द्रियाँ व्यर्थ हो चुकी है ??
महान  संतों में श्री आदिशंकराचार्य,  तुलसीदास जी, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, रामसुखदास  जी .......................आदि आदि  हुए जब उन्हें ही ये सम्मान नही मिल पाया, तो इस फालतू के व्यक्ति को क्यू ???? ऐसा अपमान हमें कदापि स्वीकार्य नही !!! ऐसे कई चित्र आज मार्केट में उपलब्ध है जिन्हें देख कर आप राजी होते है !
उपरोक्त फोटो मेने नही बनाई  है :--
फोटो पता :- http://www.wallsave.com/wallpapers/1440x900/hanuman/249429/hanuman-shirdi-sai-shiva-wide-screen-jpg-249429.jpg
जय शिवपार्वती !!!

इस सड़े हुए नाली के कीड़े को यहाँ किसने बैठाया  ?? क्या इसकी खुद की कोई ओकात नही ? जो शिव, राम , कृष्ण , दुर्गा तथा गणेश जी आदि की बैसाखी दे कर इस पंगु को चलाया जा रहा है.


फोटो पता :

http://gallery.spiritualindia.org/main.php?g2_view=core.DownloadItem&g2_itemId=2576&g2_serialNumber=1

ये  जिन्दगी भर कफ़नी   में भटकता रहा ! अब इसे भगवा पहनाने का अभिप्राय ???

फोटो पता :
http://www.hindudevotionalblog.com/2012/04/shirdi-sai-baba-photo-gallery.html
संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये , संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे … इस साई नाम के मुस्लिम पाखंडी फकीर ने जीवन भर तुम्हारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया , और तुम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो … कितनी भयावह मूर्खता है ये ….

महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज इतने मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता ?


"रामायण-गीता में सदेव उचित  कर्म करने, कर्मठ बनने तथा  अन्याय के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा निहित है क्यू की यदि दुराचारी/पापी/देत्य के विनाश से हजारों मासूम लोगो का जीवन सुरक्षित व् सुखी होता है तो वह उचित बतलाया गया है  !"

 किन्तु साईं की इस किताब में कर्म करने -कर्मठ बनने आदि को  गोली मार दी गई है ! साईं के जादू के किस्से है ! बस जो भी हो, साईं की शरण में जाओ !! गुड की डली दिखा कर साईं मंदिरों तक खींचने का प्रपंच मात्र है !!

जैसा की आप देख चुके है की साईं चालीसा में 100-200 चोपाईयाँ है!!!

उसी प्रकार इस किताब में  51 अध्याय है !!!
जिन्हें  ध्यान से पढने पर आप पाएंगे -- पहले कई अध्यायों में इसे  युवक फिर साईं  , श्री साईं , फिर सद्गुरु , अंतर्यामी, देव , देवता, फिर  ईश्वर तथा फिर परमेश्वर कह कर चतुराई के साथ प्रमोशन किया गया है और फिर जयजय कार की गई है । ताकि पाठकों के माथे में धीरे धीरे साईं इंजेक्शन लगा दिया जाये !

जो व्यक्ति एक गाँव की सीमा के बाहर  भी नही निकला न ही जिसने कोई कीर्ति पताका स्थापित की, उसके लिए 51 अध्याय !! ?



साई बाबा की मार्केटिंग करने वालो ने या उनके अजेंटों ने या सीधे शब्दो मे कहे तो उनके दलालो ने काफी कुछ लिख रखा है। साई बाबा की चमत्कारिक काल्पनिक कहानियो व गपोड़ों को लेकर बड़ी बड़ी किताबे रच डाली है। 

स्तुति, मंत्र, चालीसा, आरती, भजन, व्रत कथा सब कुछ बना डाला… साई को अवतार बनाकर, भगवान बनाकर, और कही कही भगवान से भी बड़ा बना डाला है… 
साईं - "अनंत कोटि ब्रम्हांड नायक और अंतर्यामी"


किसी भी दलाल ने आज तक ये बताने का श्रम नहीं किया कि साई किस आधार पर भगवान या भगवान का अवतार है ? 



कृपया बुद्धिमान बने ! जिस भेड़ों के रेवड़ में आप चल रहे है :- कम से कम ये तो देख लीजिये की गडरिया आप को कहाँ लिए जा रहा है ?


J. जैसे को तैसा:-----

१. 






२. नकली संत को नकली चद्दर !!



Sai Baba Devotee Offers Fake Gold Chadar In Shirdi!

 25 लाख की  चद्दर निकली 25 रूपये की !

४. 



http://www.indiatvnews.com/news/india/india-tv-exposes-irregularities-in-shirdi-sai-trust-15501.html

५.  




http://www.p7news.com/country/7297-shirdi-sai-baba.html

उपरोक्त घोटालों से आप क्या समझे ???
ये चडावे(धन) के लिए आपस में लड़ने वाले वही लोग है जिन्होंने इसे भगवन बनाया !
जैसे किसी धंधे(Business) को शुरू करते समय पैसा लगाया जाता है और लाभ होने पर आपस में बाँट लिया जाता है !
ये  धन के लिए लड़ने वाले वे या उनकी पीढ़ियों में से ही है ! जिन्होंने शुरुआत में मंदिर बनाया मार्केटिंग करने वालों को काम पर रखा, सीरियल , फिल्म, हजारों वेब साइट्स तथा हर रोज न्यूज़ पर दिखाना की ये चमत्कार हुआ वो चमत्कार हुआ आदि में पैसा लगाया !
न्यूज़ वाले तो भांड/दल्ले  है पैसा दो काम कराओ !
जगह जगह कब्रे/मंदिर बना दिए  ! 
अब ये मुनाफा होने पर कुत्तो की तरह लड़ रहे है !
आवारा कुते इसी  प्रकार मेरी गली में रात को 12 बजे बाद लड़ते है !

K.सत्य दिखाने का अंतिम प्रयास :------

गीता जी में श्री कृष्ण ने अवतार लेने के कारण और कर्मो का वर्णन करते हुये लिखा है कि—-

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि यूगे यूगे ॥ ....गीता ४ /८ 
अर्थात, साधू पुरुषो के उद्धार के लिए, पापकर्म करने वालो का विनाश करने के लिए और धर्म/शांती  की स्थापना के लिए मे युग-युग मे प्रकट हुआ करता हू।
श्री कृष्ण जी द्वारा कहे गए इस श्लोक के आधार पर देखते है कि साई कितने पानी में है —
1 परित्राणाय साधूनां (साधु पुरुषो के उद्धार के लिए ) – यदि ये कटोरे वाला साई भगवान का अवतार था तो इसने कौन से सज्जनों का उद्धार किया था? जब कि इसके पूरे जीवनकाल मे ये शिरडी नाम के पचास-सौ घरो की बाड़ी (गाँव) से बाहर भी न निकला था..और इसके मरने के बाद उस गाँव के लगभग आधे लोग भी बेचारे रोगादि प्रकोपों से पीड़ित होके मरे थे…यानि विश्व भर के सज्जन तो क्या अपने गाँव के ही सज्जनों का उद्धार नहीं कर पाया था….उस समय ब्रिटिश शाशन था, बेचारे बेबस भारतीय अंग्रेज़ो के जूते, कोड़े, डंडे, लाते खाते गए और साई महाराज शिरडी मे बैठकर छोटे-मोटे जादू दिखाते रहे, किसी का दुख दूर नहीं बल्कि खुद का भी नहीं कर पाये आधे से ज्यादा जीवन रोगग्रस्त होकर व्यतीत किया और अंत मे भी बीमारी से ही मरे ।
2- विनाशाय च दुष्कृताम( दुष्टो के विनाश के लिए) – साई बाबा के समय मे दुष्ट कर्म करने वाले अंग्रेज़ थे जो भारतीयो का शोषण करते थे, जूतियो के नीचे पीसते थे , दूसरे गोहत्यारे थे, तीसरे जो किसी न किसी तरह पाप किया करते थे, साई बाबा ने न तो किसी अंग्रेज़ के कंकड़ी-या पत्थर भी मारा, न ही किसी गोहत्यारे के चुटकी भी काटी, न ही किसी भी पाप करने वाले को डांटा-फटकारा। अरे बाबा तो चमत्कारी थे न ! पर अफसोस इनके चमत्कारो से एक भी दुष्ट अंग्रेज़ को दस्त न लगे, किसी भी पापी का पेट खराब न हुआ…. यानि दुष्टो का विनाश तो दूर की बात दुष्टो के आस-पास भी न फटके।
3- धर्मसंस्थापनार्थाय ( धर्म की स्थापना के लिए ) – जब साई ने न तो सज्जनों का उद्धार ही किया, और न ही दुष्टो को दंड ही दिया तो धर्म की स्थापना का तो सवाल ही पैदा नहीं होता..क्यो कि सज्जनों के उद्धार, और दुष्टो के संहार के बिना धर्म-स्थापना नहीं हुआ करती। ये आदमी मात्र एक छोटे से गाँव मे ही जादू-टोने दिखाता रहा पूरे जीवन भर…मस्जिद के खण्डहर मे जाने कौन से गड़े मुर्दे को पूजता रहा…। मतलब इसने भीख मांगने, बाजीगरी दिखाने, निठल्ले बैठकर हिन्दुओ को इस्लाम की ओर ले जाने के अलावा , उन्हे मूर्ख बनाने के अलावा कोई काम नहीं किया….कोई भी धार्मिक, राजनैतिक या सामाजिक उपलब्धि नहीं..
जब भगवान अवतार लेते है तो सम्पूर्ण पृथ्वी उनके यश से उनकी गाथाओ से अलंकृत हो जाती है… उनके जीवनकाल मे ही उनका यश शिखर पर होता है….परन्तु !!
 १ ९ १ ८ में साईं की मृत्यु के पश्चात कम से कम एक लाख स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी रूपी यज्ञ में अपनी आहुति देनि पड़ी !
और इस साई को इसके जीवन काल मे शिरडी और आस पास के इलाके के अलावा और कोई जानता ही नहीं था…या यू कहे लगभग सौ- दौ सौ सालो तक इसे सिर्फ शिरडी क्षेत्र के ही लोग जानते थे…. आजकल की जो नयी नस्ल साईराम साईराम करती रहती है वो अपने माता-पिता से पुछे कि आज से पंद्रह-बीस वर्ष पहले तक उन्होने साई का नाम भी सुना था क्या? साई कोई कीट था पतंग था या कोई जन्तु … किसी ने भी नहीं सुना था ….

भगवान श्री कृष्ण के वचनो के आधार पर ये सिद्ध हुआ कि साई कोई भगवान या अवतार नहीं था…इसे पढ़कर भी जो साई को भगवान या अवतार मानेगा या ऐसा मानकर साई की पूजा करेगा , वो सीधे सीधे भगवान श्री कृष्ण का निरादर, और श्री कृष्ण की वाणी का अपमान कर रहा है….श्री कृष्ण का निरादर एवं उनकी वाणी के अपमान का मतलब है सीधे सीधे ईशद्रोह….तो साई भक्तो निर्णय कर लो तुम्हें श्री कृष्ण का आश्रय चाहिए या साई के चोले मे घुसकर अपना पतन की ओर बढ़ोगे……….. जय जय श्री राम 



L.श्री कृष्ण ने गीता जी के ९ वे अध्याय में क्या कहा है जरा देखें, गौर से देखे :-
यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम् .... गीता ९/२५ 

अर्थात 
देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते है, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते है। 
भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते है, और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझे ही प्राप्त होते है ॥ 
................इसलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नही होता !!

भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं.!

मेरे मतानुसार श्री कृष्ण जानते थे की कलियुग में मनुष्य मतिभ्रमित हो कर मुर्दों को पूजेंगे इसीलिए उन्होंने अर्जुन को ये उपदेश दिया अन्यथा गीता कहते समय वे युद्ध भूमि में थे और युद्ध भूमि में  ऐसा उपदेश देने का क्या अभिप्राय ?
                                शिर्डी के मुख्य द्वार पर साईं बाबा उर्फ़ चाँद मियां की कब्र 

यही वो  साईं बाबा उर्फ़ चाँद मियां की कब्र है जहाँ आप माथा पटकने जाते है !

बाबा का शरीर अब वहीँ विश्रांति पा  रहा है , और फ़िलहाल वह समाधी मंदिर नाम से विख्यात है {अध्याय 4}

ध्यान रहे :- आपकी समस्त समस्याओं का समाधान केवल ईश्वर के पास है ! ऐसे सड़े मुर्दों के पास नही !
जिसमे थोड़ी सी भी अक्ल होगी उसे समझ मे आएगा कि ये लेख हर तरह से  स्पष्ट रूप से सिद्ध कर रहा है कि साई कोई भगवान या अवतार नहीं था… …सभी धर्मप्रेमी हिन्दू भाइयो से निवेदन है कि इस लेख को अपने नाम से कोई भी कही भी पोस्ट या कमेंट के रूप में कर सकता है….अगर आपके एक कमेंट या पोस्ट से एक साईभक्त मुर्दे की पूजा छोडकर भगवान की और लौटता है तो आप पुण्य के भागी है…आप इस लेख को प्रिंट करवा कर अपने परिवार/मित्र/पड़ोस आदि में बाँट भी सकते है… ... जय श्री राम

मै ये लेख बाँटना आरंभ कर चूका हु !  श्री गणेशाय नम :
अथवा बाँटने के लिए २ पन्नो का छोटा लेख यहाँ से प्राप्त करें :
http://hindurashtra.in/wp-content/uploads/2013/04/Sai-baba1.pdf
आज मार्केट में ऐसे कई चित्र है जिन्हें  देखकर हिन्दुओ को शर्म से मर जाना चाहिए,इसमे साई को कृष्ण, राम, शिव,विष्णु,दुर्गा सब बनाया गया है, और तो और राधा जी का प्रेमी भी साई को बना दिया है… क्या इस मुस्लिम फकीर की अपनी अलग से कोई औकात है या नहीं? …. जितना अपमान खुद हिन्दू अपने भगवान का करते है या किसी को करता देखकर आनंद लेते है , उतना और कोई नहीं…..थोड़ी सी शर्म करो…. फेंक दो इस साई को अपने घरो से…मुर्दों से डरने की कोई आवश्यकता  नही ....हमारे पास गंगाजल है हमे किसी कीचड़ की जरूरत नहीं……….ॐ


सावधान !! 2050 के दो नए भगवान:-- 
१. निर्मल बाबा :



ये एक मानसिक रोगी है : ये कहता है सात लीवर का ताला खरीदो, कृपया आयेगी !
ये अलसर के रोगी को लाल चटनी और मधुमेह के रोगी को खीर खिलाता है !
ये शायद जेल होकर आ चूका है ! 
http://zeenews.india.com/news/nation/nirmal-baba-booked-for-fraud-cheating_774836.html
http://news.oneindia.in/2012/04/20/nirmal-baba-should-be-behind-bars-satyamitranand.html

२.  सुखविंदर कौर (बब्बू):
ये गऊ  कतलखाने चलाती है !
इन सभी कुत्तो को गौ रक्षा दल पंजाब की चुनोती, निम्न विडियो देखे !
http://www.youtube.com/watch?v=nR7FFHdj_Yo


वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह !!



भारतीय संस्कृति को मिटटी में मिलाने का षड़यंत्र करने वाली 'कोई एक ही' संस्था है जो इन सब को ऑपरेट करती है !

यह संसार अंधविश्वास और तुच्छ ख्यादी एवं सफलता के पीछे  भागने वालों से भरा पड़ा हुआ है. दयानंद सरस्वती, महाराणा प्रताप, शिवाजी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, सरीखे लोग जिन्होंने इस देश के लिए अपने प्राणों को न्योच्चावर कर दीये  लोग उन्हें भूलते जा रहे हैं और साईं बाबा जिसने  भारतीय स्वाधीनता संग्राम में न कोई योगदान दिया न ही सामाजिक सुधार  में कोई भूमिका रही उनको समाज के कुछ लोगों ने भगवान्  का दर्जा दे दिया है. तथा उन्हें श्री कृष्ण और श्री राम के अवतार के रूप में दिखाकर  न केवल इनका अपमान किया जा रहा अपितु नयी पीडी और समाज को अवनति के मार्ग की और ले जाने का एक प्रयास किया जा रहा है.
आवश्यकता इस बात की है  की समाज के पतन को रोका जाये और जन जाग्रति लाकर वैदिक महापुरुषों को अपमानित करने की जो कोशिशे की जा रही,  उनपर अंकुश लगाया जाये.

जय सियाराम ! 


कृपया शेयर करें ...

अब विदा लेने से पूर्व महादेव जी  का एक भजन सुनते जाईये, चित्त शांत होगा  ! jay shankar!!





अस्तोमा सद्ग्मया| तमसोमा ज्योतिरग्मया| मृत्योर्मा अम्रुतान्गमया| ॐ शांति शांति शांतिही || 


|| सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ||


फेसबुक पर :
https://www.facebook.com/shirdi.sai.expose

उपरोक्त लेख Google Docs पर भी उपलब्ध करवा दिया गया है :
https://docs.google.com/file/d/0B-QqeB6P9jsHbGNvU0R0dGllbkE/edit?pli=1


                                                                                                शिर्डी साईं बाबा बेनकाब  भाग २ >>

साभार :
श्री अग्निवीर । 
श्री प्रेयसी आर्य भरतवंशी । 
रोहित कुमार ।    {https://www.facebook.com/Wearehmg }
http://vaidikdharma.wordpress.com/category/शिरडी-साईं-का-पर्दाफास/
http://hinduawaken.wordpress.com/2012/01/page/2/
http://www.voiceofaryas.com/author/mishra-preyasi/
http://hindurashtra.wordpress.com/expose-sai/
http://hindurashtra.wordpress.com/2012/08/13/374/
http://hindutavamedia.blogspot.in/2013/01/blog-post_27.html#.UWAmmulJNmM
http://krantikaribadlava.blogspot.in/2013/01/blog-post_7307.html

69 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यन्त उम्दा लेख लिखा है आपने .... आपके इस सराहनिय प्रयास को नमन ...
    जय हिंद , जय भारत , जय हिंदुराष्ट्र !

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    1. abey tum chutiyon ko kab samajh aayega ki jai hindu rashtra, jai hindu rashtra ka bol baala karne se aur ye do kaudi ka lekh likhne se koi bhi tumhari asliyat jaan sakta hai, tum logon ko kisi hindu neta ne paise khila kar ye sab likhne ko kaha hai, main bhi ek hindu hun aur mujhe sharm aati hai ki tum jaise haraami, hindu paida hue. mere dharm ka naam mat kharaab karo dusre logon ke dharm ko neecha dikhla kar

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    2. abey chutiyon, is type ka behuda lekh likh kar aur "jai hindu rashtra" ka bol baala kar ke tum log kyun hindu dharm ki bachi kuchi aan ko bhi giraane pe tule ho? tum jaise baddimaag logon ke kaaran hi mujhe apne aap ko hindu bolne me sharm aati hai, hindu dharm ne kabhi nahi kaha ki dusre dharmon ko neecha dikhao, tum jaise gadhon ko to lagta hai kisi chhote mote hindu neta ne khareed kar ye sab kaam karne ko bola hai, apne samay ke behtar upyog karo logon ki seva karne me, naa ki dusre dharmon ko neecha dikhane me

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    3. साईं भी आपकी ही तरह गालियाँ दिया करता था.

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    4. Tu RSS Ka Kutta Hai kya..? Mera Bharat Mahan.........

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    5. यह लेख बिलकुल सही है और श्रुति लड़की का नाम रख कर गली गलोच कर अपने साईं वाले संस्कार दिखा दिए है | पर उत्तर नहीं हैं इस लेख का क्युकी सब सत्ये है ..

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    6. Very nice article.Thank you for giving us real information.

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    7. Isme jitne bhdwe is ki pairvi krte hai unke liye

      Isme do char haramkhor hai ..Jinki nasl to ..mugal kaal aur angrejo ke jamne ke Hain..Jo unke khoon me hai bs ab Bharat me janm ho gya hai aur vadik sanantn dhrm Galti se mil gya hai fr bi Apne dhrm ko chodker APNI gandi nasl Ka prichay De rhe. Aur ye unki hi nasl Hain jinho ne apni ijjt aur khud ko kbi mugalo aur angrejo ko Paros dia tha ...

      Ye mulla ji sai murda iski kya awaakat Jo Kuch kr le.sala bhikhmanga khane Ka thikana Nahi..skal choro walai chla hai kripa krne dunia pe..
      Aur ye bhadwe gandi nasl wale iske pairvi kr rhe

      Asli Jo suru se Apne desh aur dhrm pe tika rha aise Hindu sanatni aise ...maleksh aur nali ke kide Jaise logo ke upr thukne na Jaye..pujna bhoot door..kuki khoon me baimani Nahi in bhdwo ki trh Jo bahuk rahe Jaise inka dada ho ye sai

      Aur agr itna Sauk hai iski puja krne ki to masjid me Jake Kayde se puja kro Nanak pdho..wo to Kuran pdhta tha tum bi pdho..

      Bhgwan hmesa Kuch nya gyan deta hai likhi likhai kitaab nai pdhta..

      Ye Uske sai chartra me bi Likha hai kya pdhta tha kha rhta tha kya krta tha..


      To thik se pujo Jinko bdi bhkti hai is .bhikhari me..

      Age raam Shyam aur om laga ke ke baiskhi na bano..



      Aur ispe comments bhdwe hi dnge Apne Baba ki pairvi me ..sacchha sanatni Ka to sina Garv krega..

      Aur ye pairvi krne walo ke tan me aaag lgegi jo inka Baba mitaiga..kuki ye khange sai mughe dkh lega..murda khud ko dekhne ki tras jata hai hme kya dkhega

      हटाएं
  2. Atyant Ghatiya aur kutil mansikta se grast hai yeh lekh. Yadi kisi pustak me koi galati hai to vo lekhak ki hai na ki us pustak ke patra ki. Jo bhi tark diye gayehain vo atyant hi bachkane hain. Main in sabhi tarkon par bahas ki chunauti deta hun. Hindutva ek jeevit dharma hai jo kisi ek pushtak matra par adharit nahi nahi. Is dharm me devik ghatnayen abhi bhi ghatati rehti hain par jaroori nahi ki har ek cheez puranon adi me pehle hi likhi ja chuki ho. for e.g. Hanuman ji BHagwan shiv ke 11ve rudravtar hain, baki ke das avtar ka naam bataye. RIgveda me bhagwan Shiv, Ram, Krishna adi ka naam bhi nahi hai to kya inhen hum bhagwan nahi mane.

    Ek muslim sant ki kabhi murti nahi hoti. Ek muslim kabhi ramnavami nahi manata. aur ant me, mera bhagwan sabhi dharmon se badkar hai, aap aisa kaise keh sakte hain ki hindu ka bhagwan mulsim nahi ho sakta. BHai log, dharam me hum bate hain, bhagwan nahi.

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    उत्तर
    1. itne praman dene par bhi tera ye hal hai.. tuje samajh hi nhi aya.. fir se padh..

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    2. chal man liya ki rigved me kisi bhagwan ka naam nhi, to fir is sadakchhap fakir ko un k sath q joda ja rha hai..
      kya iski khud ki koi okat nhi..
      ye jindgi bhar bhikh mangta rha, ishwar jaisa kya kaam kiya isne..blind faith
      iski achievements-------------->shunya (0)

      हटाएं
    3. ABE CHUTIYE AB BHI NAHI SAMJH ME AAYA TO APNI MAA KE NAAM KE SAATH SAI KA NAAM JOD LE TAB SHAYAD TUJHE OR ACHHI NOUKRI,RUPYA,PAISA,DHAN-DOULAT OR SHOHRAT MIL JAYEGI ....DOOB MARNE KI BAAT HAI YE TO SHARAM AATI HAI KYA APNE AAP KO SHIV JI YA DURGA JI KA BHAKT KAHNE ME ??

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    4. मित्र कृपया असभ्य भाषा का प्रयोग न करें .. ये हमारे भाई - बहिन ही है जो उस मुल्ले के अल-तकिया प्रभाव से ग्रसित है . इनकी बुद्धि कुंठित हो चुकी है ।
      ऊपर इस मित्र ने जो कहा उसका उत्तर :
      स ब्रह्मा स विष्णु : स रुद्रस्य शिवस्सोअक्षरस्स परम: स्वरातट । -केवल्य उपनिषत १.८

      सब जगत के बनाने से ब्रह्मा , सर्वत्र व्यापक होने से विष्णु , दुष्टों को दण्ड देके रुलाने से रूद्र , मंगलमय और सबका कल्याणकर्ता होने से शिव है ।
      -सत्यार्थ प्रकाश पेज १६ , स्वामी दयानंद सरस्वती

      योअखिलं जगन्निर्माणे बर्हती वर्द्धयति स ब्रह्मा
      जो सम्पूर्ण जगत को रच के बढाता है , इसलिए परमेश्वर का नाम ब्रह्मा है
      -पेज २ ६

      वेवेष्टि व्यप्रोती चराचरम जगत स विष्णु: परमात्मा
      चर और अचररूप जगत में व्यापक होने से परमात्मा का नाम विष्णु है ।
      -पेज २ १

      यः शं कल्याणं सुखं करोति स शंकरः
      जो कल्याण अर्थात सुख करनेहारा है, इससे शंकर नाम ईश्वर का है ।
      -पेज २ ९

      यो महतां देवः स महादेव:
      जो महान देवों का देव अर्थात विद्वानों का भी विद्वान, सुर्यादी पदार्थों का प्रकाशक है , इसलिए परमात्मा का नाम महादेव है ।
      -पेज २ ९

      शिवु कल्याणे
      जो कल्याणस्वरुप और कल्याण का करनेहारा है इसलिए परमात्मा का नाम शिव है ।
      -पेज ३ ०

      इसी प्रकार देवी,शक्ति,श्री,लक्ष्मी,सरस्वती तथा गणपति व् गणेश पेज २ ७ -२ ८ पर है ।

      साभार: सत्यार्थ प्रकाश, स्वामी दयानंद सरस्वती

      जय शिवशंकर !

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    5. यदि साईं हिन्दू था अथवा अवतार तो ये मुस्लिम कव्वाल साईं जागरण में क्या कर रहे है ?
      राम कृष्ण को भर पेट गलियां देने वाले ये मुस्लिम , उनके बताये जा रहे अवतार के जागरण में क्या कर रहे है ?
      http://www.youtube.com/watch?v=j9ULV0WOEGE

      हटाएं
    6. अबे ये चुतीये ब्राह्मण, आपने ब्राम्हण वादि विचार आपने घर मे रख , नाही मे साई बाबा को मानता हु ना कि तुम ब्राह्मण वादी कुत्तो …. … चुतीये जैसे लेख मत पोस्ट कर… साले तेरे कम्मुनिटी ( सनातन संस्था ) पर बैन है…

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    7. राम शिव ब्रह्मा का उलेख गीता मैं है ये प्रवीन साहब को पता होना चाहिए | इन्हें मैं चुनोती देता हु ...यह क्या देंगे .. इनके पास तोह उत्तर ही नहीं है ..
      और प्रवीन जी किस को भगवान् मन रहे है वोह .. जो बीडी चिलम पिये .. या मस्जिद मैं ही मास मिश्रित चावल बनाये और खाए और खिलाये | या वोह इंसान को जो जीते जी अपने आप को ही भगवान् बताये .. या वोह पहले पाने को भगवान बताये पर देश को अंग्रेजो की ग़ुलामी मैं छोड़ कर अपनी आरती दिन मैं 5 बार करवाए ..
      जो दान दिए पैसे से बीडी चिलम पिये .. रति भर भी सहनशीलता न हो और बिना बात के अनान्यास ही क्रोधित हो जाये और लोगो से मार पिट करे और गलिय दे |

      हटाएं
  3. sabko galat batao jo ye log kahein wahi sahi maano.. hinduon ko aapas mein apne hi devi devtaaon, sadhuon, fakiron ke astitav k sawaal par ladaao aur hindu dharm ko khatm kar do yahi inki chaal hai.

    ved aur Vedikta k naam mein paakhand aur pardafaash ka ghinona kaam kar rahe hain ye log.

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    उत्तर
    1. paakhand to tum logo ne faila rakha hai.. lagta hai tumhara bhi hissa hai sai ki dukan me

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    2. unkown जी @ वेद तो क्या अपने गीता तक नहीं पढ़ी यह मैं 100% दावे के साथ बोल सकता हु | अगर आज लोगो ने वेद को पढ़ा होता तोह साईं पनपता ही नहीं | हम संतान धरम का इस्लामी कारण होने से बचा रहे है | यह एडमिन ने जो साईं संध्या का विडियो दिया है वोह भी साबुत है |
      और सबसे बड़ा सवाल है की झूट की बुनियाद पर यह साईं बाबा क्यों खड़ा किया गया है ..

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    3. puneet g ved padhna to door ki bat hai dekha bhi nahi hoga 95% hinduon ne kiyon ki sabhi vedon ki bhasha vedic hai jo sambhav hi nahi hai , jai sita ram

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  4. Sri krishna inhe sadbudhhi dain.Ye murkhtapurna tark aur kutark dekar kisi sant ki mahima khandit nahi hoti hai apitu khandan karne wale par daya aati hai. Ek sant ki tulna log bhagwan se karte hain to iska matlab ye nahi ki wo sant bhagwan hai , ye to logo ki sradhaa hai. Sant ka sthaan to bhagwan se bhi bada hai kyonki wo ?????????
    Ye to prem ki baat hai jise gadit aur bhugol padne wale nahi samajh sakte. Nivedan hai ki apni gathiya aur murkhtapurn wato ko hawa dekar hindu dharma aur vedick sanskriti ko kalankit nahi karain.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कमाल है इतने प्रमाण देने पर भी आपको बात समझ नही आयी ..

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    2. bhugol aur ganit??? ha ha, ye log to mujhe gavaar aur anpadh lag rahe hain, rupendra sir aap bhi kahaan in logon ke muh lag rahe hain

      हटाएं
    3. Kuch doubt hai mere clear karo to maan bhi jaaun
      1. Sai Baba mei logon ko apne bhagwaan dikhte the iske baare mei aap kya kahenge
      2. Sai Baba ne kitne rogiyon aur arogya bimaarion ko door kar dia tha isko aap kya kahenge pakhand???
      3. Sai Baba ke naam ke mandir hai ,Sai Baba ke naam ka ek bhi masjid nai.
      4. Sai Baba agar jaisa likha hai cheelam aadi khaate the to aap Bhagwan Shiv ki pooja karna bhi chor dein kyunki wo bhi Bhaang ,Dhature ka sevan karte hain.
      5. Sai Baba ki aarti hoti hai kahin bhi unke naam per namaaz ada nahi ki jaati.

      Agar in me se kisi baat ka jawaab ho to bata dena

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    4. १. अगर मैं दुसरे की बीवी मैं अपनी बीवी देखू .. हज़म नहीं होगा .. ठीक है देखो पर तब देखो जब उसके कर्म भी वैसे ही हो जैसे उस भगवान् के थे | जैसा आज लोग मोदी जी मैं लोह पुर्ष सरदार पटेल को देखते है .. खेल मैं डॉन ब्रदमन मैं सचिन को .. पर क्या साईं मैं राम देख सकते है .. कृष्णा और शिव दिख सकते है .. जैसा बाबा ने काम किया अपने समय मैं और जिन भगवानो ने अधर्म का नाश कर धरम की स्थापना की क्या बाबा ने ऐसा कुछ किया .. भारत की आज़ादी मैं लेश मात्र भी योगदान नहीं है बाबा का ..
      2. आपको बता द बिमारिय दूर करने वाले को भगवान बनाया जाता है क्या .. बाबा रामदेव को भी भगवान बना दो .. जिस इंसान ने पोलियो ड्रॉप्स इजाद करे उसकी भी मूर्ति रख लो घर मैं | वैसे यह भी बता दू की बाबा की खुद की मृत्यु दमे से हुयी | अपना इलाज तोह वोह कर नहीं पाए | शिर्डी मैं बाबा के दोरान कितनी ही बार महामारी फैली | और तो और आज भी बाबा की धुनी जल रही है ..कितने लोग ठीक हो गए वोह धुनी खा कर ...
      3. पहले हसना चाहता हु आप पर .. :D .. बाबा का मंदिर अब एक मस्जिद ही तोह है .. बाबा की मजार पर अप लोग माथा टेकते हो | मजार मस्जिदों मैं होती है और जिस द्वारका मई मैं आप लोग जाते हो वोह भी मस्जिद ही है पर साईं ट्रस्ट वालो ने इसका नाम बदल दिया | और मस्जिद आपको कभी मिलेगी भी नहीं बाबा की इसका जवाब आपको नहीं पता ..
      बाबा की मृत्यु के बाद अब्दुल बाबा पर पर ही बाबा की मजार की देख रेख का जिम था वोह रोज़ कुरान पढते थे बाबा की मजार के आगे | उस समय मुस्लिम भी अत्ती थे दर्शन के लिए पर हिन्दू बहुत काम थे | साईं ट्रस्ट वालो ने ही केस ठोक दिया अब्दुल बाबा पर की रख रखाव का जिम्मेदारी ट्रस्ट वालो को मिले और ट्रस्ट वाले केस जीत भी गए | पर बाद मैं बाबा को ही यह जिमेदारी दी गयी | पर जैसे ही अब्दुल बाबा मारे .. बाबा की मजार के पास ही उनकी मूर्ति लगा दी और मुस्लिम्स ने अन्ना बंद कर दिया क्युकी मुस्लिम न ॐ को मानते है और न ही मूर्ति पूजा को ..अब समझे की क्यों नहीं है कोई मस्जिद बाबा के नाम से .. क्युकी बाबा का पूर्ण रूप से हिन्दू कारण ज़बरदस्ती कर दिया गया ..
      4. भाई साहब किस ग्रन्थ मैं लिखा है की शिव जी भंग धतुरा खाते थे | हमारे सनातन धरम की नीव वेद है सभी देव देवता उसी के उनुरूप आचरण करते थे | एक और बात भंग का सेवान और तम्बको के सेवन मैं अंतर है. भंग बहुत सी दवाई मैं भी उपयोग होती है | तम्बको नहीं |
      5. हम भी नहीं कहते की नामज़ अदा होती है उप्पर मैने पहले ही बता दिया है की क्यों बाबा के नाम की और मस्जिद नहीं | वैसे आपका point भी गलत है आपको इस्लाम का ज्ञान नहीं ..इस्लाम केवल अल्लाह को मानता है और किसी के आगे वोह सजदा नहीं करते चाहे वोह कितना ही कट्टर मुसलमान क्यों न हो नमाज़ "आलाह के नाम की ही पढ़ी जाती है " और यह भी बता दू की बाबा हमेशा अल्लाह मल्लिक ही बोलते थे .. ॐ राम शिव कृष्णा का नाम उन्हों ने कभी नहीं लिया |

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  5. yaar tu kuch bhi kar le par ak baar hinduo ka jis par viswas ho gaya samjho ho gaya... kuch nahi hone wala sir ji agar kuch ho bhi jayega to desh ki rajneeti zindabaad..

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    1. Agree Lalit, but boss i am very very much confuse these days sala ek taraf Zakir Nayak pata nahi kya kya bolta hai aur abe aaj kuch aur he pade reha hoin is blog main .........

      ONE THING IS SURE ILL READ KURAN & GARANTHS .

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    2. १. जाकिर एक नंबर का मुर्ख है । उससे बड़ा मुर्ख मुल्ला आज धरती पर दूसरा नही । वो मुहम्मद का अस्तित्व हिन्दू ग्रंथों :वेदों और पुराणों में ढूंढ़ रहा है । इसका अर्थ है की उसे न ही कुरान पर भरोसा है न ही अल्लाह पर ।
      जब कुरान में साफ साफ लिखा है की अल्लाह ही स्रष्टि कर्ता है और मुहम्मद उसका भेज रसूल है । तो हर मुस्लिम को ये बात माननी चाहिए । परन्तु फिर भी वो मुहम्मद वाकई ईश्वर का भेजा हुआ था या नही इसकी पुष्टी हिन्दू ग्रंथों से करना चाहते है । क्यू की वे जानते है हिन्दू ग्रंथ ही आदिग्रंथ आदिधर्म है । बाकि सब मजहब है लोगो के चलाये हुए ।
      Zakir exposed full:- http://www.youtube.com/watch?v=slKJA8EX1e4
      जाकिर अक्सर हिन्दू पंडितों को डिबेट की चुनोती देता आया है पर जब उसकी चुनोती स्वीकार की जाती है तो वो बीमार पड जाता है
      Zakir Naik Guru Abdullah Thariq from Peace TV defeated in Debate by pt .Mahendra pal arya
      http://www.youtube.com/watch?v=_246Zd5xeHE

      २. "ONE THING IS SURE ILL READ GARANTHS " मेरे हिसाब से जो GARANTHS आदि नही पढ़ते और न ही जानते है वे सबसे बड़े मुर्ख है । क्यू की आज तक विज्ञानं जिन बातो को खोज रहा है वे सभी हमारे ग्रंथों में पहले ही लिखी है । भई आप ठहरे अंग्रेजी किताबे , नोवेल पढने वाले आप क्या जाने ! आपने इस साईट पर लगता है ये एक ही लेख पढ़ा है बाकि भी पढ़िए ।

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  6. Kuch doubt hai mere clear karo to maan bhi jaaun
    1. Sai Baba mei logon ko apne bhagwaan dikhte the iske baare mei aap kya kahenge
    2. Sai Baba ne kitne rogiyon aur arogya bimaarion ko door kar dia tha isko aap kya kahenge pakhand???
    3. Sai Baba ke naam ke mandir hai ,Sai Baba ke naam ka ek bhi masjid nai.
    4. Sai Baba agar jaisa likha hai cheelam aadi khaate the to aap Bhagwan Shiv ki pooja karna bhi chor dein kyunki wo bhi Bhaang ,Dhature ka sevan karte hain.
    5. Sai Baba ki aarti hoti hai kahin bhi unke naam per namaaz ada nahi ki jaati.

    Agar in me se kisi baat ka jawaab ho to bata dena

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. aap logo k fuddu savalon k uttar dene nhi betha hu yaha.. sara proof upar de diya hai, samajh aye to thik nhi to aram karo.

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    2. mujhe to yahi lagta hai ki ess lekh par nazar sirf en murkhon ko hin padi ... aur ......... aree mere bhaiyon jago en pakhandiyon ki pakhandta se nahi .... kanhi bad me rona na pade ki jab pta chale ki jinhe aap bhagwan samajhte thain asal men wo shaitan thain .... aur ye sare shaitano ka sirf ek maksad hai Hindutatwa ka nash ....... Jai Bhawani ....

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    3. to bhavay sood :अबे मुल्ले कि अवलाद... साई ने कोणसे रोग ठिक किये... और कब..वोतो खुद हि तडप तडपके रोग से मर गया.

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    4. मैंने तो महाराज, उन मन्दिरों में जाना बन्द ही कर दिया है, जहाँ लोगों ने बगैर सच को जाने कमाई के चक्कर में "चाँद ☽ मियाँ" की मूर्ति ही पधरा दी हैं...!
      मेरा यह स्पष्ट मत है कि आज देश में हो रहे अधिकांश विप्लवों (उथल-पुथल और अराजकता के माहौल) का कारण चाँद खां(क)साई को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा करना ही है ।

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  7. Kuch doubt hai mere clear karo to maan bhi jaaun
    1. Sai Baba mei logon ko apne bhagwaan dikhte the iske baare mei aap kya kahenge
    2. Sai Baba ne kitne rogiyon aur arogya bimaarion ko door kar dia tha isko aap kya kahenge pakhand???
    3. Sai Baba ke naam ke mandir hai ,Sai Baba ke naam ka ek bhi masjid nai.
    4. Sai Baba agar jaisa likha hai cheelam aadi khaate the to aap Bhagwan Shiv ki pooja karna bhi chor dein kyunki wo bhi Bhaang ,Dhature ka sevan karte hain.
    5. Sai Baba ki aarti hoti hai kahin bhi unke naam per namaaz ada nahi ki jaati.

    Agar in me se kisi baat ka jawaab ho to bata dena

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    1. naBhavya, Tum Hindu ho ya fir pseudo-Hindu...agar tum sacche Hindu hotey toh kabhi bhi yeh bewakufi bhare sawal na karte. Tumne ye article pura pada hi nahi hai. Hinduo ko tum jaisey logo se jyada khatra hai fir musalmano se. Jai Bharat.

      हटाएं
    2. Reply for Bhavay,
      Bhavay@ well frankly speaking m sai baba m believe nhi krti, or na hi mujhe mere dhrm k bhgwano m bhi koi bahut jyada believe h. meri najar m bhgwan khud ka believe h, unki physical appearance s mujhe koi frk nhi pdta but still tum is site pr subse jyada curious lg rhe ho apne doubts clear krne k liye.
      mujhe koi bahut jyada knowledge to nhi h in sb k bare m but still apni ray jroor dena chahungi.
      1. First of all, Sai baba m logo ko apne bhgwan dikhte hn, ye sai baba ki vajah s nhi, logo ki soch ki vajah s dikhta h, medical science m aapko bahut s proof mil jayenge jisme ye pta lgta h ki hum imagine world m kese jite h. Take example of Madhosh Movie, if u have seen.
      2. Bimari theek hone k pichhe bhi logic hota h, agr aap kisi bat pr sch m blv kro na to aapki problems solve ho jati h, its all up to you only. Nirmal baba ki story to sbhi ko pta h na, vo to bilkul fake the bt bahut se logo ko reality m profit hua h unse, iske pichhe only and only un logo ka believe tha.
      3.Sai baba k nam k mandir isliye h kyunki ye hum hindu logo ki problem h ki hum roj apne bhgwan change krte hn, muslim logo ka kevl ek bhgwan h vo Allah h, vo compro nhi krte apne god s.
      4. Sai baba k chilam or bhang khane s mujhe prsnly koi problm nhi h, coz hinduon k bhgwan bhi khate the, Aap sahi hn is jagh but i think aapko iska karn bhi pta hoga, sadhu log hmesha chilm or bhang isliye khate hn taki vo concentrate hokr achhi books or ved pdh sken, par han mujhe Sai baba ko Non-vegetarian hona sahi nhi lga, jo ki bhgwan nhi hote.
      Or aapka 5th doubt 3rd s connected hi h so I think no need to clarify.
      Or meri ek suggestion agr time mile to "The Secrete" Movie/Documentary dekhna ya book jroor read krna, kafi sare questions k answers mil jayenge.
      Last request please gali nikal kr or glt language m reply mt krna. Agr reply kro to

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    3. Reply for Bhavay,
      Bhavay@ well frankly speaking m sai baba m believe nhi krti, or na hi mujhe mere dhrm k bhgwano m bhi koi bahut jyada believe h. meri najar m bhgwan khud ka believe h, unki physical appearance s mujhe koi frk nhi pdta but still tum is site pr subse jyada curious lg rhe ho apne doubts clear krne k liye.
      mujhe koi bahut jyada knowledge to nhi h in sb k bare m but still apni ray jroor dena chahungi.
      1. First of all, Sai baba m logo ko apne bhgwan dikhte hn, ye sai baba ki vajah s nhi, logo ki soch ki vajah s dikhta h, medical science m aapko bahut s proof mil jayenge jisme ye pta lgta h ki hum imagine world m kese jite h. Take example of Madhosh Movie, if u have seen.
      2. Bimari theek hone k pichhe bhi logic hota h, agr aap kisi bat pr sch m blv kro na to aapki problems solve ho jati h, its all up to you only. Nirmal baba ki story to sbhi ko pta h na, vo to bilkul fake the bt bahut se logo ko reality m profit hua h unse, iske pichhe only and only un logo ka believe tha.
      3.Sai baba k nam k mandir isliye h kyunki ye hum hindu logo ki problem h ki hum roj apne bhgwan change krte hn, muslim logo ka kevl ek bhgwan h vo Allah h, vo compro nhi krte apne god s.
      4. Sai baba k chilam or bhang khane s mujhe prsnly koi problm nhi h, coz hinduon k bhgwan bhi khate the, Aap sahi hn is jagh but i think aapko iska karn bhi pta hoga, sadhu log hmesha chilm or bhang isliye khate hn taki vo concentrate hokr achhi books or ved pdh sken, par han mujhe Sai baba ko Non-vegetarian hona sahi nhi lga, jo ki bhgwan nhi hote.
      Or aapka 5th doubt 3rd s connected hi h so I think no need to clarify.
      Or meri ek suggestion agr time mile to "The Secrete" Movie/Documentary dekhna ya book jroor read krna, kafi sare questions k answers mil jayenge.
      Last request please gali nikal kr or glt language m reply mt krna. Agr reply kro to

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  8. Radhe Radhe


    Thanks I am very impressed with your research, have referred your link on http://haribhakt.com/hindus-open-your-eyes-sai-baba-is-fake-god-exposed here ...Thanks again ..I am also spreading this awareness from my end.

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  9. maine apka pura lekha padha ... padh kar main pure yakin ke sath ke sakta hun ki jo main ess pakhandiyon ke bare me sochta tha wo galat nahi sochta tha .... main aapka bahut bahut dhanya bad karna chaunga aapne ess lekh ko etny saralta se wyakhya ki hai ki jo na samajh paye to unse bada andha murkh es dharti par aur dusra koi nahi .... Jai Bhawani...........

    जवाब देंहटाएं
  10. hum aapka bahut bahut dhanyabad karna chahenge ... kyonki ab main pure yakin ke sath ke sakta hun ki en pakhandiyon ke bare me jo main sochta tha wo galat nahi sochta tha aur apne to aise aise sachaya prastut kiye hain ki koi bhi ensan bahut sahaj rup se samajh sakta hai aur ab bhi jo na samajh paye to main unke liye yahi kehna chahunga ki unke jaisa andhmurkh es dharti par aur koi nahi ......... Jai Bhawani

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  11. Iam with you my friend. you efforts are appreciable to expose shirdi sai baba.Those who are opposing you and abusing. they are not worthy for real knowledge of our snatan dharam. wo kehte hai na ki murkh insaan ko teach karne se budhiman bhi murkh ho jata hai. to isliye dnt argue with these kind of fools.

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  12. tum bahut acha kaam kar rahe ho dost. jo log tumhe gaaliyan de rahe hai wo paagal aur murkh hai. kehte hai na ki kabhi bhi murkh ko gyan nahi dena chaiye. kyuki ek budhiman insaan bhi murkh ko buddhi dene ke chakar mein murkh ban jata hai. hats off to you for exposing shirdi sai baba

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  13. Great job done by you to expose these fake babas, will continue to support you in times of need.One thing which really hurts me that one Hindus tend to believe everything presented if coloured in religion and second they don't want to learn and rectify the mistakes.
    Btw...just thrown out the chand miya from our divine temple after convincing my mother last week.

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  14. बेहतरीन और ज्ञानवर्धक लेख है ये , कल ही ता.१७-११-२०१३ को मैंने साईं चरित्र पढ़ना पूरा किया और ये आज १८-११-२०१३ को ये विश्लेषण पढ़ा पाया। ये तो ईश्वर के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन लगता है मेरी आँखे खोलने। साईं चरित्र पढते वक्त की जगह मुझे अतिशयोक्ति लगता था , विषय से हटकर तारीफ़ , अति विचार आदि , परन्तु मुझे भारत के अंध भक्तो पर तरस आता है , एक बार ज़रा सस्पेंस फैलाओ और सारी दुनिया दौड़ जाती है आँख बंद करके।
    मेरे ब्लॉग भी पढ़े जो परमणिविज्ञान पर आधारित है -
    १- मेरे विचार : renikbafna.blogspot.com
    २-इन सर्च ऑफ़ ट्रुथ /सत्य की खोज में : renikjain.blogspot.com
    -आपका : रेणिक बाफना
    एक समाचार निम्न है : एक बहुत बुरी खबर है, विदेशी जानते है की भारत मे मंदिरो मे बहुत सा धन चढावा के रूप मे दिया जाता है. गरीब से गरीब अंध भक्ति के चलते चढावा देते रहते है लाअखो करोड़ो. इसलिये भारत मे अब विदेशी मंदिर की स्थापना कर रहे है, जैसे इस्कॉन भी विदेश संचालित मदिर है जो बहुत सा धन विदेश भेजता है. चढावा इन्कम्टेक्स फ्री होता है, आस्था से जुड़ा हुआ , इसलिये कमाई का बढिया जरिया है. अन्धे भारतियो की आंख कब खुलेगी पता नही !!!!!!

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  15. बेहतरीन और ज्ञानवर्धक लेख है ये , कल ही ता.१७-११-२०१३ को मैंने साईं चरित्र पढ़ना पूरा किया और ये आज १८-११-२०१३ को ये विश्लेषण पढ़ा पाया। ये तो ईश्वर के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन लगता है मेरी आँखे खोलने। साईं चरित्र पढते वक्त की जगह मुझे अतिशयोक्ति लगता था , विषय से हटकर तारीफ़ , अति विचार आदि , परन्तु मुझे भारत के अंध भक्तो पर तरस आता है , एक बार ज़रा सस्पेंस फैलाओ और सारी दुनिया दौड़ जाती है आँख बंद करके।
    मेरे ब्लॉग भी पढ़े जो परमणिविज्ञान पर आधारित है -
    १- मेरे विचार : renikbafna.blogspot.com
    २-इन सर्च ऑफ़ ट्रुथ /सत्य की खोज में : renikjain.blogspot.com
    -आपका : रेणिक बाफना
    एक समाचार निम्न है :एक बहुत बुरी खबर है, विदेशी जानते है की भारत मे मंदिरो मे बहुत सा धन चढावा के रूप मे दिया जाता है. गरीब से गरीब अंध भक्ति के चलते चढावा देते रहते है लाअखो करोड़ो. इसलिये भारत मे अब विदेशी मंदिर की स्थापना कर रहे है, जैसे इस्कॉन भी विदेश संचालित मदिर है जो बहुत सा धन विदेश भेजता है. चढावा इन्कम्टेक्स फ्री होता है, आस्था से जुड़ा हुआ , इसलिये कमाई का बढिया जरिया है. अन्धे भारतियो की आंख कब खुलेगी पता नही !!!!!!

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  16. Dear Blogger,

    I do not know how and what you understand about Sai satcharitra.

    But your understanding is not correct. let me correct on few things :
    1. Gotra was mentioned for the writer for the book of Sai satcharitra not for the Sai baba. please read again and understand that.
    2. if a person take chillam wow hats is wrong in that, we have many sadhu in our religion who does it.
    3. your argument is base less for point no.3
    4. there is not point no. 4, so it means you just want to increase the nos. of your arguments.
    5. In the chapter 4 it is mentioned as he met to Chand patil at age of 19 years and went to marrieg of his nephew, so tell me if 19 years is not a your age (tarun), and if it is mentioned as tarun fakir then what is wrong in that.
    6. please refer the above reply of point no. 5,
    7. Hemadpant has started collection of Baba’s leela from 1910 and kept till 1944 and later on it was published as Sai satcharitra. In this book all the incident were added after the deahth of the Baba, after cross verifying those statement. Men like you were present during that time also and latter came in the shade of Baba.
    8. this age is based on the logic of average age of human being, Auther was not born in 1858 year.
    9. Okay, baba never said that he is a god he always told others that he is a devotee of God. Read sai satcharitra carefully and understand that book properly.
    10. if sai chalisa has 204 lines then what is a mistake of Baba in that, baba did not wrote that. It was written by a devotee of baba.

    Also, in our religion, we give equal respect to everyone including our Guru, parents, brothers. if you say baba was not God, which is correct but he was god through his deeds, he was a saint which you said already.

    Do not write for disgrace. write for unity. Read carefully Sai Sat Charitra, Baba will bless you with good thought.

    Brother, whenever you will be in toruble, just remember Baba with true heart and he will come to save you.

    Do not wish to write much, you are also educated. May Baba bless you.

    Regards,

    Kishor Giri



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  17. kafi achi bakwas ki hai baba galat the ya nahi the vo find karne se acha tu baba k vichar par chal to acha hoga, vo galat ho sakte hai par unke diye hui vichar galat nai hai vo sache or ache hai....

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    उत्तर
    1. धर्मेश : कौन से बाबा के विचार पर चले.. बीडी और चिलम पिये सुबह सुबह उठ कर ...या घर मैं बकरे लाकर कटे . या लोगो को वैष्णो पंत से जोड़े की ..साईं जैसे पंत से जो जानवरों का मास खाने के लिए प्रेरित करता है ..
      या उस साईं की रह पर जो खुद डरपोक और कायरो की भांति दुपक कर बैठ गया शिर्डी मैं और देश के लिए एक शब्द न बोला ..

      रही हिन्दू मुस्लिम की एकता जो सब अंध साईं भक्त बोलते है ..तो शिर्डी मैं आज भी मुस्लिम नहीं जाते ..केवल मुर्ख हिन्दू ही दिखते है ..

      हटाएं
  18. KaSai Baba ki puja ak Shadyantar ke tahat karvai ja rahi pahale Hinduo ko adha Mulla bana kar pure Sanatan Dharm ko nast karna hai Jo kam Aurngjab Nahi kar saka vo kam KaSai Baba ko Mahima Mandit karke kiya ja raha hai

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  19. KaSai Mulla Baba ko Mahima mandit ak Jahad ke dwara kiya ja raha hai lekin dukhad bat to ye hai ki 90 % Hindu us vykti ko hi galia dete hai aur murkh kahate hai jo is Jihad ka virodh ya khulasa karne ka Sahas dikhata hai

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  20. अति उत्तम मित्रवर,
    बहुत सही लिखा आपने..
    ये सब पढ़े लिखे बेवकूफ ही कर रहे हैं...
    और...,
    पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव है...

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  21. Jo ye sab is post pr likha gaya hai or jisane b likha hai wo khud hi apni bhasha pr dhyan de..........
    Or punit bhai tumko to kya kahe.... ..... Shabd hi nahi hai........
    Acttuly shabd ki b bey zati ho jayegi
    Nitesh dixit

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  22. तुम जैसे ही लोग आज देश में लड़ाइयां पैदा कर रहे हो यह सब छोड़ दो बाबा कहां से आए थे कहां से नहीं उनके विचार देखो क्या थे उन्होंने कभी किसी को गलत शिक्षा नहीं दी सब के प्रति प्रेम श्रद्धा और भक्ति के लिए ही बोला है... थोड़ी बहुत इंसानियत है तो बाबा की बातों पर ही अमल कर लो बच जाओगे यह जो पाप तुमने लिखा है इससे
    .
    .
    गेट लॉस्ट बेवकूफ इंसान

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  23. mai kisi ko na bura khungi na acha bs apna vichar btana chahungi kisi ne kabhi bhi kisi ko nhi dekha god sirf hmare vishwas me hote hai chahe pathar ko man lo kisi ko kuch kehte kuch khate ya peete huye nhi dekha bs jo likha hota hai usi ke base pr sb bol rhe hai kisi ne khate dekha sai ko non veg ya gali dete huye sirf ek he paksh dikha rhe hai unka ldna bnd kre sbhi ki shrdha ka snmaan kre pooja jiski bhi kr lo phunch ek he jgah rhi hai jis se sare god avtarit huye hai kisi ko poojna glt nhi hota insaan ko kbhi bhi kisi cheej ka poora gyan nhi ho skta isliye kisi bhi cheej ke bare me gnda bolne ka insan ko hakk nhi hai faida to nhi pr nuksan hoga apni jban gndi hogi or paap bhi badh jayega apna .isliye meetha bolo meetha suno apni life jiyo ache insan bn ke .ye duniya aisi he rhegi achayi ke sath burayi hoti he hai .or kuch bno na bno apni life me ache insan he bn jayo bhagvan khush ho jayenge .ek acha insan vhi hai jo gali gloch na kre jitna ho ske shant rhe .apni achi soch na bdle kisi ke kehne pr .sbhi dhrmo ko mera prnaam jo hmesha ache rah pr chlne ki seekh dete hai.god is one.

    जवाब देंहटाएं
  24. Maine y kisi or ne sai ko nahi dekha.... But mI dil se aai ki bhakt hu. Maine aaj tak jo bhi chaha.. Namumkin bhi mumkin ho paya. Jaha de kuch bhi umeef nahi thi.. Waha bhi safalta mili... Vrat rKhti hi sai ke... Fal bhi mila hai.....
    Mere liyr toh sai bhagwan hI.. Dusro ko jo bolna sochna karn kare.... Jai sai nath

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  25. Isme do char haramkhor hai ..Jinki nasl to ..mugal kaal aur angrejo ke jamne ke Hain..Jo unke khoon me hai bs ab Bharat me janm ho gya hai aur vadik sanantn dhrm Galti se mil gya hai fr bi Apne dhrm ko chodker APNI gandi nasl Ka prichay De rhe. Aur ye unki hi nasl Hain jinho ne apni ijjt aur khud ko kbi mugalo aur angrejo ko Paros dia tha ...

    Ye mulla ji sai murda iski kya awaakat Jo Kuch kr le.sala bhikhmanga khane Ka thikana Nahi..skal choro walai chla hai kripa krne dunia pe..
    Aur ye bhadwe gandi nasl wale iske pairvi kr rhe

    Asli Jo suru se Apne desh aur dhrm pe tika rha aise Hindu sanatni aise ...maleksh aur nali ke kide Jaise logo ke upr thukne na Jaye..pujna bhoot door..kuki khoon me baimani Nahi in bhdwo ki trh Jo bahuk rahe Jaise inka dada ho ye sai

    Aur agr itna Sauk hai iski puja krne ki to masjid me Jake Kayde se puja kro Nanak pdho..wo to Kuran pdhta tha tum bi pdho..

    Bhgwan hmesa Kuch nya gyan deta hai likhi likhai kitaab nai pdhta..

    Ye Uske sai chartra me bi Likha hai kya pdhta tha kha rhta tha kya krta tha..


    To thik se pujo Jinko bdi bhkti hai is .bhikhari me..

    Age raam Shyam aur om laga ke ke baiskhi na bano..



    Aur ispe comments bhdwe hi dnge Apne Baba ki pairvi me ..sacchha sanatni Ka to sina Garv krega..

    Aur ye pairvi krne walo ke tan me aaag lgegi jo inka Baba mitaiga..kuki ye khange sai mughe dkh lega..murda khud ko dekhne ki tras jata hai hme kya dkhega

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मूर्ख सुधरेङ्गे नगि ग्यानिजन जो तर्कसिल है उनके लिए कुछ पक्तिया हि काफी था 😎

      हटाएं
  26. सत्य ही तो लिखा है
    भक्ति जिहाद इं सूअरों का नया चाल है

    आधे हिन्दू समाज के लोग पिरों की मजार पर जाए है और आधे चांद मियां शिर्डी साईं की कबर पर

    भगवान भला करें

    कृपया अजमेर शरीफ की सच्चाई भी सामने लाइए

    जवाब देंहटाएं